मुंबई की हवा पर इथियोपियाई ज्वालामुखी का असर? सैटेलाइट डेटा से खुली महाराष्ट्र सरकार की पोल

महाराष्ट्र सरकार की वकील ज्योति चव्हाण ने अदालत में कहा था कि इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट के कारण मुंबई की वायु गुणवत्ता बिगड़ी है. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. अब सैटेलाइट डेटा विश्लेषण से भी इस दावे की पोल खुल गई है.

Advertisement
मुंबई में प्रदूषण को लेकर कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं (File Photo- PTI) मुंबई में प्रदूषण को लेकर कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं (File Photo- PTI)

बिदिशा साहा

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST

मुंबई की बिगड़ती हवा को इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट से जोड़ने वाले महाराष्ट्र सरकार के दावे पर सैटेलाइट डेटा ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. पिछले सोमवार को इथियोपिया में हुए दुर्लभ ज्वालामुखी विस्फोट के तुरंत बाद सरकार की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में यह दलील दी गई कि इसी कारण राज्य की वायु गुणवत्ता खराब हुई. लेकिन अदालत ने इसे मानने से इंकार कर दिया.

Advertisement
Copernicus Sentinel-5P TROPOMI डेटा, Google Earth Engine में प्रोसेस किया गया, जिसने Hayli Gubbi विस्फोट से निकले सल्फर डाइऑक्साइड को ट्रैक किया.

 

अब आजतक की OSINT के ओपन-सोर्स विश्लेषण ने भी सरकारी दावे को खारिज कर दिया है. सैटेलाइट डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि ज्वालामुखी से निकला धुआं मुंबई के ऊपर से गुजरा ही नहीं. महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े भी दिखाते हैं कि इथियोपिया के विस्फोट का मुंबई की वायु गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. ज्वालामुखीय राख का रास्ता मुंबई से नहीं गुजरा, लेकिन अदालत में सरकार के तर्क को गलत साबित करने वाला यह अकेला कारण नहीं है.

यह भी पढ़ें: 'इथियोपिया की ज्वालामुखी की राख को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता', मुंबई में खराब वायु गुणवत्ता पर हाईकोर्ट का बयान

डेटा के अनुसार, मुंबई की हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) अधिक पाई गई है, जो उद्योग, वाहनों और दहन से निकलती है. जबकि इथियोपिया के ज्वालामुखी से निकली मुख्य गैस सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) है, जो भारत के आसमान में जरूर देखी गई, लेकिन मुंबई की हवा में इसका असर नहीं दिखा.

Advertisement

 

ज्वालामुखी गतिविधि का मुख्य संकेतक सल्फर डाइऑक्साइड है, जबकि उद्योग व वाहनों से होने वाले प्रदूषण का संकेतक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड है.

सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने अदालत में कहा था कि इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट के कारण महाराष्ट्र की वायु गुणवत्ता बिगड़ी है. लेकिन मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंकलद की बेंच ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था, "वह तो दो दिन पहले हुआ था, उससे पहले भी हम 500 मीटर से आगे नहीं देख पा रहे थे."

न्यायाधीश की यह टिप्पणी केवल एक पहलू है. शहरभर के आंकड़ों से साफ है कि पिछले हफ्ते मुंबई का औसत AQI मध्यम श्रेणी (160-200) में ही था. जब ज्वालामुखीय धुआं भारत के पास पहुंचा, तब भी मुंबई का AQI नहीं बढ़ा.

तो क्या इथियोपिया का ज्वालामुखी मुंबई के प्रदूषण की असली वजह से ध्यान हटाने का एक बहाना है? इसका सीधा जवाब हां, ऐसा ही लगता है.

इंडिया टुडे ने यूरोपियन Sentinel-5P सैटेलाइट के डेटा का उपयोग कर वायुमंडलीय नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का विश्लेषण किया. इस सैटेलाइट का TROPOMI यंत्र SO₂, NO₂, ओज़ोन समेत कई गैसों को उच्च सटीकता से मापता है.

सैटेलाइट विश्लेषण से पता चलता है कि Hayli Gubbi विस्फोट से निकला धुआं इथियोपिया से यमन, ओमान होते हुए अरब सागर तक पहुंचा, जहां उसने S-आकार की घुमावदार राह लेते हुए पाकिस्तान, गुजरात और उत्तर भारत की ओर रुख किया और फिर चीन की ओर मुड़ गया. इस पूरे रास्ते में यह प्लूम कभी भी मुंबई के ऊपर नहीं गया.

Advertisement

IMD के अनुसार, ज्वालामुखी की राख ऊपरी क्षोभमंडल (8.5-15 किमी ऊंचाई) में रही. जबकि मुंबई में वायु गुणवत्ता मापने वाले सेंसर 6 से 33 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं यानी ज्वालामुखीय धुआं उन पर असर डालने की ऊंचाई से कहीं ऊपर था.

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े भी इस निष्कर्ष की पुष्टि करते हैं कि जैसे ही ज्वालामुखीय धुआं भारत के ऊपर पहुंचा, SO₂ स्तर में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज नहीं हुई.

पूरे विश्लेषण के दौरान मुंबई में NO₂ स्तर लगातार ऊंचे रहे, जबकि SO₂ सामान्य रूप से कम रहा.

डेटा एक बात साफ तौर पर बताता है कि मुंबई का प्रदूषण स्थानीय कारणों से पैदा हो रहा है, न कि किसी दूर देश के ज्वालामुखी से.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement