महायुति सरकार की चुनावी सफलता में अहम भूमिका निभाने वाली 'लाडकी बहिन योजना' के दुरुपयोग का मामला सामने आया है. हाल ही में हुए खुलासे से पता चला है कि पुणे जिला परिषद की 1000 से ज्यादा महिला कर्मचारियों ने इस योजना का गलत तरीके से लाभ उठाया. महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और संबंधित अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
इस मामले में विभाग ने 1183 नामों की सूची ज़िला परिषद को भेज दी है. साथ ही महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज रूल्स के तहत अनुशासनात्मक एक्शन की मांग की है.
जांच में ये भी सामने आया है कि कुछ अयोग्य लोग, यहां तक कि पुरुष भी लाभार्थियों में शामिल पाए गए हैं. आगे गड़बड़ी रोकने के लिए आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है.
महिला एवं बाल विकास विभाग ने अब पुणे जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को पत्र लिखकर कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और कम्प्लायंस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.
चुनाव से पहले शुरू हुई थी योजना
लाडकी बहिन योजना विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई थी, जिसके तहत लाभार्थियों को 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे थे. हालांकि इस योजना के कारण अन्य विभागों पर वित्तीय बोझ बढ़ा. इसके चलते सामाजिक न्याय और पिछड़ा वर्ग विभाग से भी फंड डाइवर्ट किया गया, जिससे शिंदे गुट और अजित पवार गुट के बीच कैबिनेट में खींचतान शुरू हो गई थी.
पहले भी हुई गड़बड़ी
इससे पहले'लाड़की बहिन योजना' का फायदा 14,298 पुरुषों द्वारा उठाए जाने की बात सामने आई थी. इन पुरुषों को 10 महीने तक 1500 रुपए की सहायता दी गई, जिससे सरकारी खजाने को 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ये आंकड़े जांच के दौरान सामने आए.
ओमकार