वाटर टैंकर संगठनों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से जूझ रही मुंबई में पानी की किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है. आम नागरिकों को पीने के पानी तक के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) एक अहम फैसला लेने की तैयारी में है.
मुंबई महानगरपालिका अब वाटर टैंकर और कुओं को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 (Disaster Management Act, 2005) के अंतर्गत लाने पर विचार कर रही है. अगर ये प्रस्ताव लागू होता है, तो पानी की आपूर्ति से जुड़े इन संसाधनों पर प्रशासन का सीधा नियंत्रण हो जाएगा और आपातकालीन स्थिति में इन्हें किसी भी तरह की हड़ताल से अलग रखा जा सकेगा.
हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित
महाराष्ट्र वाटर टैंकर एसोसिएशन (MWTA) पिछले कुछ दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. संगठन की मांग है कि बीएमसी द्वारा खुले कुओं और बोरवेल्स के मालिकों के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) अनिवार्य करने का निर्णय वापस लिया जाए. संगठन इस आदेश का विरोध कर रहा है और अपनी हड़ताल समाप्त करने को तैयार नहीं है, जिससे शहर के हजारों लोग जल संकट से जूझ रहे हैं.
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट क्या है?
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 देश में प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं से निपटने के लिए लागू किया गया कानून है. इसका उद्देश्य आपदा से निपटने की तैयारियों में सुधार करना, नुकसान को कम करना और एक आपदा प्रतिरोधी तंत्र विकसित करना है. यह अधिनियम पूरे भारत में लागू होता है.
अधिनियम के दायरे में लाने से क्या होगा?
अगर वाटर टैंकर और कुएं इस अधिनियम के दायरे में लाए जाते हैं, तो प्रशासन को इन पर नियंत्रण प्राप्त होगा और जरूरत पड़ने पर हड़ताल जैसी स्थिति को टाला जा सकेगा.
दीपेश त्रिपाठी