Chandrayaan-3 की लैंडिंग में अहम रोल निभाएगा झारखंड का आयुष, गांव में जश्न की तैयारी

चंद्रयान-3 की लैंडिंग में झारखंड के युवा वैज्ञानिक आयुष झा भी शामिल हैं. आयुष मिशन चंद्रयान-3 में बतौर इसरो वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे हैं. उनकी भूमिका चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर अहम है. आयुष की इस कामयाबी पर चक्रधरपुर चाईबासा समेत पूरे पश्चिम सिंहभूम जिले में लोग गर्व महसूस कर रहे हैं.

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Chandrayaan-3 की लैंडिंग अहम रोल निभाएगा युवा वैज्ञानिक Chandrayaan-3 की लैंडिंग अहम रोल निभाएगा युवा वैज्ञानिक

सत्यजीत कुमार

  • चाइबासा,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST

(Chandrayaan-3 Landing) आज शाम चंद्रयान-3 की लैंडिंग है. इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम में झारखंड के युवा वैज्ञानिक आयुष झा भी शामिल हैं. आयुष पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर शहर के रहने वाले हैं. आयुष मिशन चंद्रयान-3 में बतौर इसरो वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे हैं. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कराने वाली टीम में उनकी भूमिका अहम है. चक्रधरपुर चाईबासा समेत पूरे पश्चिम सिंहभूम जिले में लोग गर्व महसूस कर रहे हैं. आयुष ने इसी जिले से अपनी माध्यमिक शिक्षा हासिल की.

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आयुष झा की स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि आयुष ने न सिर्फ चंद्रयान मिशन तीन में शामिल हुए हैं बल्कि चंद्रयान मिशन दो में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. प्रिंसिपल ने आयुष झा से अपील भी की है कि वो एक दिन स्कूल जरूर आएं ताकि बच्चों को उनसे प्रेरणा मिल सके.

चंद्रयान 3 की लैंडिंग में अहम भमिका निभाएगा देश का युवा वैज्ञानिक

स्कूल के भूगोल के शिक्षक विवेकानंद ओझा बताते हैं कि आयुष झा स्कूल का सबसे होनहार बच्चों में से एक था. गणित और विज्ञान के विषयों में आयुष की काफी रुचि थी. यही नहीं स्पोर्ट्स में भी आयुष काफी अच्छा प्रदर्शन करता था. शिक्षक ने उम्मीद जगाई है कि आने वाले जितने भी स्पेस मिशन होंगे उसमें आयुष झा की भूमिका बेहद अहम होगी. 

बता दें की इसरो वैज्ञानिक आयुष झा के पिता ललन कुमार झा चक्रधरपुर में प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे. मां विनीता झा हाउस वाइफ हैं. आयुष झा ने पश्चिमी सिंहभूम के जवाहर नवोदय विद्यालय से दसवीं करने के बाद डीएवी बिष्टुपुर से 12वीं पूरी की. जेईई में सफल होने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम से ग्रेजुएशन किया.

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चंद्रयान-3 के लैंडिंग मैनेजमेंट सिस्टम में जमशेदपुर का पूर्व छात्र

फिर 2016 में इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद में एक वैज्ञानिक के तौर पर योगदान दिया. पहले बड़े प्रोजेक्ट की बात करें तो चंद्रयान-2 के रडार के विकास पर आयुष ने काम किया. अब चंद्रयान-3 के रडार विकास के साथ उसकी लैंडिंग और रियूजेबल लॉन्च व्हीकल मिशन पर काम कर रहे हैं. आयुष अभी बेंगलुरू में हैं, जहां सेटेलाइट लॉन्च होने के बाद सारा ऑपरेशन होता है.

इसरो अहमदाबाद में रहने वाले आयुष चंद्रयान-3 की लैंडिंग ऑपरेशन के लिए पिछले महीने से बेंगलुरू में हैं. वो और उनकी पूरी टीम बेंगलुरु में चंद्रायन की लैंडिंग के काम में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.

बता दें चंद्रयान प्रक्षेपण के बाद सारा काम बेंगलुरू के इसरो टेलेमेट्री, ट्रेकिंग एंड कमांड नेटवर्क में होता है, जहां से जितने भी सेटेलाइट या चंद्रयान-मंगलयान आदी लॉन्च होते हैं उसकी ट्रैकिंग व लैंडिंग की मॉनिटरिंग यहीं से की जाती है. 

(इनपुट- जय कुमार तांती)

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