जम्मू-कश्मीर के कठुआ में सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा रेखा यानी जीरो लाइन पर खेती करने की तैयारी है. सरकार 18 साल बाद इस दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है. बॉर्डर पर स्थिति का जायजा लेने और खेती की तैयार को लेकर कठुआ के उपायुक्त ओपी भगत, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी, कृषि विभाग के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और सीमा क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि ने बैठक की. यह मीटिंग जीरो लाइन पर हुई.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कठुआ के उपायुक्त का कहना है कि जीरो लाइन पर खेती से न केवल फसल का उत्पादन बढ़ेगा बल्कि उग्रवाद के मामलों में कमी आएगी. बता दें कि भारत का राज्य, जम्मू और कश्मीर, पाकिस्तान के साथ सबसे लंबी सीमा साझा करता है, जिसकी लंबाई 1222 किलोमीटर है.
इन अधिकारियों ने जीरो लाइन का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया. खेती की जमीनी की स्थिति का आकलन भी किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक जीरो लाइन पर खेती करने के लिए सरकार किसानों को मदद मुहैया करायेगी. किसानों को उपकरण, ट्रैक्टर आदि को लेकर मदद दी जाएगी. बीएसएफ किसानों की सुरक्षा का बंदोबस्त संभालेगा.
किसानों से जीरो लाइन पर खेती के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. जम्मू-कश्मीर सरकार इस पूरी जमीन पर तार लगाने की तैयारी में हैं. इससे बीएसएफ को जीरो लाइन पर सतर्कता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. मीटिंग में शामिल अफसरों का कहना था कि जीरो लाइन पर खेती बाड़ी से किसानों को फायदा होगा. साथ ही उग्रवाद और गोलाबारी में कमी आएगी.
बॉर्डर पर जीरो लाइन
दुनिया में हरेक देश अपने देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करता है. इस सीमा को पार करना सीमा में घुसपैठ माना जाता है. इन सीमाओं के तय करने का फायदा यह भी है कि देशों को यह बात पता होती है कि उन्हें कहां तक अपने राज्य की सीमा का विस्तार करना है. जीरो लाइन बॉर्डर वो होता जहां जमीन समतल होती है और सीमा निर्धारण के बाद तार का बड़ा बना दिया गया होता है.
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