जम्मू-कश्मीर का किश्तवाड़ जिला गुरुवार दोपहर एक भयावह प्राकृतिक आपदा का गवाह बना. दूरदराज के चिशोती गांव में बादल फटने से आई तबाही ने सैकड़ों लोगों की जिंदगी और सालों की मेहनत को मलबे में बदल दिया. यह वही इलाका है, जहां से मचैल माता मंदिर है. सालाना यात्रा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, तभी यह हादसा हुआ और पलक झपकते ही पूरा नजारा मौत और मलबे के मंजर में बदल गया.
हादसे के बाद की कई वीडियो सामने आई हैं. एक वीडियो में साफ दिखता है कि किस तरह पहाड़ से उमड़ता पानी तेज बहाव में गांव को अपनी चपेट में ले रहा है. बहाव इतना तेज कि घर, गाड़ियां, दुकानें, सबकुछ मलबे में दब गया. दृश्य में सुरक्षाकर्मी लगातार लोगों को “पीछे हटो… यहां से हट जाओ” कहते नजर आते हैं, जबकि पीछे से पानी और पत्थरों का सैलाब आता दिख रहा है. यह डर और हड़बड़ी का ऐसा मंजर था, जिसमें कई लोग अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए नजर आए तो कई लोगों की चीखें सुनाई पड़ रही थीं.
अब तक 33 लोगों की मौत
अब तक 33 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें दो सीआईएसएफ जवान भी शामिल हैं. 220 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 120 लोग घायल हैं, जिनमें से 37 की हालत गंभीर है. फ्लैश फ्लड ने गांव में कई घरों को बहा दिया और 8.5 किलोमीटर दूर 9,500 फीट ऊंचे मचैल माता मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते को भी भारी नुकसान पहुंचाया.
हादसे के बाद डिप्टी कमिश्नर पंकज कुमार शर्मा और एसएसपी किश्तवाड़ खुद मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू करवाया. एनडीआरएफ की दो टीमें, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस के जवानों के साथ मौके पर जुटी हैं. लेकिन लगातार गिरता मलबा और तेज धारा बचाव कार्य में बड़ी चुनौती बना हुआ है.
मचैल माता यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी गई है. गांव में मलबा हटाने, लापता लोगों को खोजने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम युद्धस्तर पर जारी है. पहाड़ी इलाका, टूटी सड़कें और तेज पानी का बहाव इस मिशन को बेहद मुश्किल बना रहा है.
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