जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के बाद खोले गए बगलिहार और सलाल डैम के 6 गेट

जम्मू-कश्मीर रीजन में भारी बारिश के बाद जलाशयों में काफी पानी जमा हो गया है. इसके बाद चिनाब नदी पर बने सलाल और बगलिहार डैम पर बने छह गेटों को खोल दिया है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का प्रवाह तेज हो गया है.

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बगलिहार डैम के गेट खोले. बगलिहार डैम के गेट खोले.

aajtak.in

  • श्रीनगर,
  • 08 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST

चिनाब नदी पर बने सलाल डैम का सिर्फ एक गेट खुला है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का प्रवाह काफी कम हो गया है. वहीं, बगलिहार डैम के 5 गेटों को खोल दिया गया है. जिन्हें सिंधु जल समझौता रद्द कर बंद कर दिया था.  

प्राप्त जानकारी के अनुसार चिनाब नदी पर बने सलाल डैम को एक गेट खुला हुआ है, जिससे नदी पर पानी का प्रवाह कम हो गया है. हालांकि, डैम से बिजली तैयार करने के लिए टर्बाइन चलाने की जरूरत के हिसाब से पानी छोड़ा जा रहा है. क्योंकि भारत ने पाकिस्तान में पानी के प्रवाह पर प्रतिबंध लगा दिया है.

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बगलिहार डैम के खोले पांच गेट

इसके अलावा जम्मू और कश्मीर रीजन में भारी बारिश के बाद जलाशय में काफी पानी जमा हो गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए रामबन में बने बगलिहार डैम के पांच गेटों को खोल दिया गया है. इससे पानी के प्रवाह में थोड़ी-सी तेजी आई है. वहीं, रामबन जिले में भारी बारिश से कई जगहों पर भूस्खलन हुआ है. जिसके कारण जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे को बंद कर दिया गया है. 

रामबन एसएसपी ट्रैफिक राजा आदिल हामिद ने कहा, 'भारी बारिश के कारण एनएच 44 बंद है. राहत और बचाव का काम शुरू हो गया है. रास्ता साफ करने में अभी वक्त लगेगा. जम्मू और श्रीनगर में यातायात रोक दिया गया है. मैं लोगों से यात्रा करने से पहले एडवाइजरी का पालन करने की अपील करता हूं.'

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PAK के कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा असर

इससे पहले सरकार ने सलाल और बगलिहार डैम के सभी गेटों को बंद कर पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोक दिया था, जिसे चिनाब नदी का जलस्तर काफी कम हो गया जो कभी 25 से 30 फीट तक रहता था. लेकिन अब जलस्तर 2 से 3 फीट पर आ गया है.

भारत की इस कार्रवाई के बाद एक्सपर्ट का मानना है कि चिनाब का पानी कम होने से पाकिस्तान की कृषि और पर्यावरण दोनों पर बुरा असर पड़ सकता है.

बीते दिनों ये भी जानकारी आई थी कि भारत बगलिहार और सलाल डैम पर पानी रोकने के बाद अब झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह के कदम उठाने की प्लानिंग कर रहा है. जबकि झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा डैम के प्रभाव को कानूनी और कूटनीतिक जांच का सामना करना पड़ रहा है.

आपको बता दें कि विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई सिंधु जल संधि ने 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के इस्तेमाल को नियंत्रित करता है, लेकिन भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को रद्द कर दिया. जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे. वहीं, भारत की इस कार्रवाई को पाकिस्तानी सरकार ने युद्ध की कार्रवाई करार दिया है.

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