हिमाचल प्रदेश के शिमला में पुलिस ने एक ड्रग्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसे एक सेब व्यापारी द्वारा करीब 5-6 साल से चलाया जा रहा था. इस रैकेट को सेब विक्रेता जिस तरह से ऑपरेट कर रहा था, उसके बारे में जानकर पुलिस भी हैरान रह गई. यह पूरा रैकेट व्हाट्सएप के जरिए चलता था. लेकिन डिलीवरी करने वाले शख्स और इसे हासिल करने वाला व्यक्ति कभी एक-दूसरे से नहीं मिलते थे.
6 सालों से चला रहा था रैकेट
दरअसल, शिमला का एक सेब व्यापारी जिसका नाम शाही महात्मा (शशि नेगी) है वह पिछले पांच-छह वर्षों से एक अंतरराज्यीय 'चिट्टा' (मिश्रित हेरोइन) रैकेट चला रहा था. उसने इस रैकेट को इतनी कड़ियों में बांट रखा था कि उसे यकीन था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकती है. लेकिन 20 सितंबर को उसे उस वक्त झटका लगा जब पुलिस ने शिमला में इस साल की सबसे बड़ी ड्रग्स की जब्ती की. पुलिस को इस दौरान 465 ग्राम 'चिट्टा' मिला.
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शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि तमाम कड़ियों को जोड़ने के बाद पुलिस सेब विक्रेता तक पहुंची. जांच में पता चला कि उसका दिल्ली में नाइजीरियन ड्रग गैंग और हरियाणा के अन्य गैंग के साथ संपर्क था. उन्होंने कहा कि उसका कश्मीर में भी कुछ लोगों के साथ संपर्क था.
ऐसे चल रहा था रैकेट
इस गिरोह के काम करने के तरीके को समझाते हुए पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये लोग पहले सुनिश्चित करते थे कि ड्रग्स के वितरण से पहले यह चार हाथों से गुजरें. उन्होंने मांग लाने, ड्रग्स की आपूर्ति करने और भुगतान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग अप्रत्याशित लोगों को नियुक्त किया. अधिकारी ने कहा कि वह खुद कभी भी किसी भी साझेदार के साथ सीधे संपर्क में नहीं आते थे.
ड्रग्स की मांग व्हाट्सएप पर होती थी. डिलीवरी करने वाला व्यक्ति ड्रग को एक अलग स्थान पर रखता और खरीदार को वहां से उठाने के लिए एक वीडियो साझा करता था. पैसे भी अलग-अलग खातों से होते हुए नेगी के खाते में पहुंचते थे. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पिछले 15 महीनों में आरोपियों के बैंक खातों में 2.5-3 करोड़ रुपये के फंड फ्लो का पता चला है.
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