400 साल पुराना, अक्षरधाम जैसा मंदिर, यूनिवर्सिटी भी ...कैसा है बाबा मस्तनाथ मठ जिसके महंत हैं बालकनाथ योगी

रोहतक के बाबा मस्तनाथ मठ में हर साल एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर के कई नामी-गिनामी संत और राजनीतिज्ञ भाग लेते हैं. मठ के मुख्य पुजारी बाबा बालकनाथ मठ के इतिहास में पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने राजनीति में हाथ आजमाया है.

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रोहतक का बाबा मस्तनाथ मठ करीब 400 वर्ष पुराना है. बालकनाथ योगी इसी मठ के महंत हैं. रोहतक का बाबा मस्तनाथ मठ करीब 400 वर्ष पुराना है. बालकनाथ योगी इसी मठ के महंत हैं.

aajtak.in

  • रोहतक,
  • 09 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

राजस्थान के संभावित मुख्यमंत्रियों में बाबा बालकनाथ का नाम बार-बार सामने आ रहा है. बालकनाथ योगी ने राजस्थान की अलवर की तिजारा विधानसभा सीट से जीत हासिल की और विधायक के रूप में काम करने के लिए संसद की सदस्यता छोड़ दी. वह अलवर लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा के सांसद निर्वाचित हुए थे. वह रोहतक में स्थित नाथ संप्रदाय के मस्तनाथ मठ के प्रमुख हैं. 

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बाबा मस्तनाथ मठ परिसर मुख्य दिल्ली-रोहतक मार्ग पर हजारों वर्ग मीटर में फैला हुआ है. परिसर में बाबा मस्तनाथ के नाम पर एक निजी विश्वविद्यालय है- जो बीएएमएस, बीपीटी, बी.कॉम, बी.एससी, बी.एड और अन्य सहित 35 पाठ्यक्रम संचालित करता है. बालकनाथ योगी इस यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं. बाबा मस्तनाथ की समाधि पर एक विशाल मंदिर का निर्माण सैकड़ों करोड़ रुपये के बजट से किया जा रहा है. 

इस मंदिर का निर्माण दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर और अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की तरह प्राचीन भारतीय वास्तुकला का अनुसरण करते हुए किया जा रहा है. बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि किसी भी स्टाफ को मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं  है, हालांकि मीडिया कर्मियों को अपने कैमरों के साथ मंदिर और विश्वविद्यालय परिसर के अंदर जाने की अनुमति है.

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मंदिर में नाथ संप्रदाय के एक साधु ने बताया कि मठ का गोरखपुर में उसी संप्रदाय के मठ से कोई सीधा संबंध नहीं है, जिसके मुख्य पुजारी महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. संत ने कहा, 'बाबा गोरखनाथ लंबे समय तक गोरखनाथ मंदिर में रहे थे इसलिए वहां एक मठ का निर्माण किया गया था. इस मठ (रोहतक) का निर्माण 300-400 साल पहले किया गया था जब बाबा मस्तनाथ यहां आए थे'.

हर साल मठ में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर के कई नामी-गिनामी संत और राजनीतिज्ञ भाग लेते हैं. मठ के मुख्य पुजारी बाबा बालकनाथ मठ के इतिहास में पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने राजनीति में हाथ आजमाया है. उनका जन्म बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में एक यदुवंशी हिंदू परिवार में हुआ था. बालकनाथ योगी की जड़ें अलवर में गहराई से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने साढ़े छह साल की उम्र में संन्यास लेने का फैसला किया और अपना घर छोड़कर आश्रम में चले गए थे.

कम उम्र में बाबा खेतानाथ ने उनका नाम गुरुमुख रखा था. वह 1985-1991 तक मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में रहे, उसके बाद वह महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ जिले के नाथावली थेरी गांव में एक मठ में चले गए. महंत बालकनाथ योगी की राजनीतिक पारी को उनके गुरु महंत चांदनाथ, जो अलवर से पूर्व सांसद थे, ने आकार दिया. अपने गुरु के नक्शेकदम पर चलते हुए, बालकनाथ योगी उनके उत्तराधिकारी के रूप में हरियाणा में बाबा मस्तनाथ मठ के प्रमुख बने. (रिपोर्ट अभिषेक आनंद)

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