हरियाणा-राजस्थान में एक्टिव गोरक्षकों को सरकार क्या रिकॉगनाइज करती है? जानिए बड़े विवाद

हरियाणा में गोतस्करी के शक में एक स्टूडेंट की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस घटना से लोगों में नाराजगी है. इस मामले में पुलिस का कहना है कि वो लोग (आरोपी) सड़क के किनारे खड़े थे. उन्हें शक हुआ कि कार से कोई अपराधी जा रहे हैं. इस पर उन्होंने पीछा किया और गोली चला दी.

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फरीदाबाद के रहने वाले आर्यन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनके पिता ने हमले पर सवाल उठाए हैं. फरीदाबाद के रहने वाले आर्यन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनके पिता ने हमले पर सवाल उठाए हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

हरियाणा के फरीदाबाद में गो-तस्करी के शक में 12वीं कक्षा के छात्र आर्यन मिश्रा (19 साल) की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. पुलिस ने मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. हमलावर ने खुद स्वीकार किया है कि उसने गोतस्कर समझकर गोली चलाई है. घटना को लेकर पुलिस से लेकर प्रशासन तक पर सवाल उठ रहे हैं. इस बीच, आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा ने सवाल पूछा, गोतस्करी के शक में किसी को गोली मारने का अधिकार किसने दिया है? अगर मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है तो क्यों? हालांकि, पुलिस ने आधिकारिक तौर पर आरोपियों को गोरक्षक नहीं बताया है. सवाल उठ रहा है कि क्या सरकारें एक्टिव गोरक्षकों को रिकॉगनाइज करती हैं? जानिए हरियाणा-राजस्थान में गौतस्करी से जुड़े बड़े विवाद...

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राजस्थान और हरियाणा में गोरक्षा को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं, जिसमें गोहत्या और गोतस्करी के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान है. इन कानूनों का हवाला देकर अक्सर गोरक्षक समूह अपनी गतिविधियों को सही ठहराते हैं. हालांकि, विवाद सामने आने पर इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है.

केस नंबर-1. छात्र को गौतस्कर समझकर गोली मार दी

पहले जानिए हरियाणा के पलवल में क्या हुआ है? मामला 23-24 अगस्त की दरमियानी रात का है. आर्यन मिश्रा 12वीं का छात्र था और फरीदाबाद का रहने वाला था. आर्यन समेत पांच लोग कार में सवार थे और कहीं जा रहे थे. आरोप है कि रात दो बजे कथित गो-रक्षकों ने कार को जाते देखा तो पीछा किया और गो-तस्करी के शक में आर्यन की मारकर हत्या कर दी. मामले में पुलिस ने सभी 5 आरोपियों सौरभ, अनिल कौशिक, वरुण, कृष्ण और आदेश को गिरफ्तार कर लिया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि 23 अगस्त की रात उन्हें सूचना मिली थी कि दो एसयूवी सवार कुछ संदिग्ध मवेशी तस्कर शहर में रेकी कर रहे हैं. उन्होंने आर्यन मिश्रा और उसके दोस्तों शैंकी और हर्षित को मवेशी तस्कर समझा और दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गढ़पुरी टोल के पास करीब 30 किलोमीटर तक उनकी कार का पीछा किया. जब उन्होंने कार रोकने को कहा तो चालक ने स्पीड बढ़ा दी, जिसके बाद उन्होंने गोलियां चला दीं और आर्यन की पलवल में गढ़पुरी टोल के पास मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल अवैध हथियार और कार बरामद कर ली है. पुलिस इस मामले में आरोपियों को गो-रक्षक मानने से इनकार कर रही है. पुलिस ने आरोपियों और आर्यन के बीच आपसी रंजिश से भी इनकार किया है. 

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आर्यन मिश्रा के पिता सियानंद मिश्रा ने आजतक से कहा, आरोपी अनिल कौशिक को पुलिस ने पकड़ा है. जब अनिल से हमने बात की तो उसका कहना था कि उसने मुसलमान समझ कर गोली मारी है. उससे गलती से गोली चल गई है. वो गोतस्कर समझकर गोली चला रहा था. पिता का कहना था कि जब मैंने उससे पूछा कि उसने पास जाकर दूसरी गोली क्यों मारी तो उसने कोई जवाब नहीं दिया. अनिल से यह भी पूछा कि सिर्फ आर्यन को ही गोली क्यों लगी? जबकि कार में कहीं गोली लगने का निशान नहीं है? जब एक गोली आर्यन को लग गई तो दूसरी गोली पास में जाकर क्यों मारी गई?

वहीं, पुलिस का कहना है कि वो लोग (आरोपी) सड़क के किनारे खड़े थे. उन्हें शक हुआ कि कार से कोई अपराधी जा रहे हैं. इस पर उन्होंने पीछा किया और गोली चला दी. पिता का कहना था कि 31 डी इलाके से करीब 30 किमी दूर पलवल तक लगातार गोली चलाई गई. मेरे बेटे को सिर और कंधे पर गोली लगी. मुझे इस सवाल का जवाब चाहिए कि दूसरी गोली करीब जाकर क्यों मारी गई है? हर्षित गुलाटी समेत अन्य लोगों (ये सभी आर्यन के साथ कार में सवार थे) ने पुलिस को गुमराह किया और बताया कि एक नंबर मैन मार्केट में रहने वाले लोगों ने गोली मारी है.  उस रात करीब एक बजे हर्षित की मां का कॉल आया और बेटे से बात हुई. बेटा घर से चला गया. रात तीन बजे मुझे फोन आया कि तुम्हारे बेटे को गोली मार दी गई. घटना के बाद जब मैं अस्पताल पहुंचा तो वहां पर सभी लोग मिले. सुझाता के शरीर पर खून लगा हुआ था. 

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क्या उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कुछ बोलेंगे?

इस घटना पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ये घटना नफरत के एजेंडे को बढ़ावा देने के कारण हुई है. उन्होंने पूछा कि क्या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घटना पर बोलेंगे. सिब्बल ने एक्स पर लिखा, हमें शर्म आनी चाहिए. हरियाणा में गोरक्षकों ने आर्यन मिश्रा (12वीं कक्षा का छात्र) को 'गाय ट्रांसपोर्टर' समझकर गोली मारकर हत्या कर दी. कारण: नफरत के एजेंडे को बढ़ावा देना. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, क्या हमारे प्रधानमंत्री, हमारे उपराष्ट्रपति, हमारे गृह मंत्री बोलेंगे.

केस नंबर-2: बीफ खाने के शक में प्रवासी मजदूर की हत्या

ये घटना 27 अगस्त की है. हरियाणा के चरखी दादरी जिले में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर साबिर मलिक (20 साल) की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने बताया कि बीफ खाने के संदेह में यह घटना हुई है. गोरक्षा से जुड़े लोगों को एक बर्तन में मांस का टुकड़ा मिला था जिसके बाद उन्हें बीफ होने का शक हुआ. मामले में गोरक्षक समूह के पांच सदस्यों अभिषेक, मोहित, रविंदर, कमलजीत और साहिल को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पीड़ित साबिर मलिक को खाली प्लास्टिक की बोतलें बेचने के बहाने एक दुकान पर बुलाया और फिर उसकी पिटाई की. कुछ लोगों के हस्तक्षेप के बाद आरोपी, साबिर मलिक को दूसरी जगह ले गए और फिर उसके साथ जमकर मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या जैसी बातें कहना सही नहीं है. हमने गायों की सुरक्षा के लिए राज्य विधानसभा में एक सख्त कानून बनाया है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. 

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सीएम सैनी ने कहा, लोगों के मन में गौमाता के लिए आस्था है. उनकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं. जब ऐसी कोई सूचना आती है तो गांव के लोग प्रतिक्रिया करते हैं. मैं इस बात पर जोर देता हूं कि लिंचिंग की ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं और नहीं होनी चाहिए. पुलिस ने बताया कि साबिर मलिक चरखी दादरी जिले के बांद्रा गांव के पास एक झुग्गी में रहता था और जीविका के लिए कचरा और कूड़ा इकट्ठा करता था. वो पश्चिम बंगाल का रहने वाला था.

केस नंबर 3: 2017 में पहलू खान हत्या केस

अप्रैल 2017 में अलवर (राजस्थान) में हरियाणा के नूंह जिले के निवासी पहलू खान को गोतस्करी के आरोप में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मार डाला. यह घटना उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आई जब इसका वीडियो वायरल हुआ और इसमें भीड़ द्वारा की गई हिंसा के विजुअल दिखे. पहलू खान और अपने बेटे उमर और ताहिर के साथ जयपुर के हाटवाड़ा से पशु खरीदकर हरियाणा लौट रहे थे. रास्ते में उनकी गाड़ी को रोका गया और हमला कर दिया गया. अलवर की एडीजे कोर्ट ने 14 अगस्त 2019 को आरोपियों को बरी कर दिया था. इस मामले में जुवेनाइल कोर्ट ने 2 नाबालिगों को दोषी मानते हुए 3-3 साल के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया था. 

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केस नंबर 4: 2017 में जुनैद खान हत्या केस

जून 2017 में हरियाणा के बल्लभगढ़ के पास चलती ट्रेन में जुनैद खान नाम के 15 वर्षीय लड़के की भीड़ ने हत्या कर दी. हमलावरों ने उसे और उसके भाइयों को बीफ खाने के शक में निशाना बनाया. इस घटना ने गो रक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर सवाल उठाए. दरअसल, जुनैद, उसके भाई हाशिम, शाकिर और पड़ोसी दोस्त मोहसिन दिल्ली के सदर बाजार से ईद की खरीदारी कर ट्रेन से घर लौट रहे थे. ओखला में 20-25 लोग ट्रेन में चढ़े और धक्का मुक्की करने लगे. जुनैद को धक्का लगा तो वो नीचे गिर गया. उसने आपत्ति जताई तो आरोपियों ने कहा कि तुम मुसलमान हो, मांस-मीट खाते हो. भीड़ ने उसके सिर से टोपी हटा दी. उसके बाद जुनैद के साथ मारपीट की गई. तुगलकाबाद स्टेशन आने तक भीड़ उसे पीटती रही. कुछ लोगों ने चाकू निकाला और शाकिर को मारना शुरू किया. जुनैद ने बीच-बचाव किया तो उन लोगों ने जुनैद को भी मारा और असावटी स्टेशन पर उसे ट्रेन से बाहर फेंक दिया.

केस नंबर 5: 2018 में रकबर खान हत्या केस

जुलाई 2018 में अलवर के पास गोतस्करी के आरोप में रकबर खान की भीड़ ने हत्या कर दी. वो हरियाणा के नूंह जिले का निवासी था और अपने साथी असलम के साथ गाय ले जा रहा था. हमले के बाद किसी तरह असलम भाग निकला. इस मामले में पुलिस की भी भूमिका पर सवाल उठे. क्योंकि पुलिस की कथित तौर पर देरी के कारण रकबर खान की मौत हो गई. पुलिस ने घायल रकबर और गायों को रामगढ़ थाने ले गई. रकबर को थाने में डाल दिया और गायों को गोशाला लेकर चले गए. एक घंटे या उससे ज्यादा समय के बाद रकबर को रामगढ़ अस्पताल भेजा गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. अलवर कोर्ट ने चार आरोपियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही एक आरोपी नवल किशोर को कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है, उनमें परमजीत, धर्मेंद्र, नरेश और विजय शामिल हैं.

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केस नंबर 6: 2022 में गोरक्षकों पर नूंह में हमला

अगस्त 2022 में मेवात जिले के नूंह में गोतस्करों ने गोरक्षकों की टीम पर हमले किया. एक व्यक्ति को पीटने का आरोप लगाया गया.  25 से 30 गोतस्करों ने घटना को अंजाम दिया. ये पूरा विवाद फिरोजपुर झिरका के रवा गांव में हुआ था. दरअसल, गौ रक्षक दल के सदस्य तस्करी की शिकायत मिलने पर रवा गांव में पड़ताल करने पहुंचे थे. इस घटना ने कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक तनाव के मुद्दे को उजागर किया था.

 

केस नंबर 7: नासिर और जुनैद की हत्या का मामला

राजस्थान के भरतपुर जिले के घाट मीका गांव के रहने वाले जुनैद और नासिर की जीप में जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी. ये घटना 14 फरवरी 2023 की रात हरियाणा के भिवानी इलाके में हुई थी. जुनैद और नासिर के परिजन ने 16 फरवरी को भरतपुर के गोपालगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई और 5 लोगों के खिलाफ आरोप लगाए. आरोपियों में मोनू मानेसर का नाम भी शामिल था. एफआइआर में नाम होने की वजह से भरतपुर पुलिस को मोनू मानेसर की तलाश थी. उससे पूछताछ की जानी थी. हालांकि, तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने हरियाणा सरकार को घेरा था और दावा किया था कि मोनू की गिरफ्तारी में हरियाणा सरकार सहयोग नहीं कर रही है. राजस्थान पुलिस ने इस घटना के लिए हरियाणा के गोरक्षकों को जिम्मेदार ठहराया था. इस घटना ने गोतस्करी और भीड़ हिंसा के मुद्दे को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. बाद में राजस्थान पुलिस ने मोनू से पूछताछ की और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मोनू का नाम 31 जुलाई 2023 को हरियाणा के नूंह में हिंसा भड़काने के मामले में भी आया था. मोनू मानेसर के साथ बिट्टू बजरंगी का एक भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

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राजस्थान पुलिस ने मोनू मानेसर को गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो)

क्या रिकॉगनाइज करती हैं सरकारें?

राज्य सरकारें गोरक्षा के लिए कठोर कानून लागू करती हैं और गायों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं. इससे गोरक्षक समूहों को एक प्रकार का नैतिक समर्थन मिलता है. जानकार कहते हैं कि कई बार सरकारें गोरक्षकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से बचती हैं, जो उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन का संकेत देती हैं. हालांकि, जब गोरक्षक समूह हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल होते हैं तो सरकारों की टेंशन बढ़ जाती है और आलोचना झेलनी पड़ती है. पुलिस को कानूनी कार्रवाई करनी पड़ती है. चूंकि, गोरक्षक समूहों को स्थानीय संगठनों और कुछ धार्मिक समूहों का समर्थन प्राप्त होता है. ये संगठन अक्सर 'गौरक्षा' के मुद्दे पर मुखर रहते हैं और स्थानीय समुदायों में भी प्रभाव रखते हैं.

हरियाणा में गोरक्षा के कानून क्या कहता है?

हरियाणा में गोरक्षा के लिए सरकार ने नंबर 2015 में कानून बनाया. इस कानून में गोहत्या और तस्करी को रोकने और राज्य में मवेशियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं. अधिनियम की धाराओं के तहत गाय की तस्करी, गोहत्या और गोमांस रखने या खाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. यहां तक कि डिब्बाबंद गोमांस की बिक्री को भी बैन किया गया है. कानून बनाए जाने के बाद गोरक्षक समूह मवेशियों की तस्करी को रोकने के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगे और सड़कों पर उतर आते हैं. हालांकि, ये विधेयक अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में भी पीछे चल रहा है. इस कानून के तहत दोषसिद्धि की दर बेहद कम रही है. जबकि जांच धीमी गति से चल रही है. साल 2022 में राज्य में हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन (HGSG) अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए 402 मामले दर्ज किए गए, लेकिन सिर्फ 8 ही मुकदमे के फेज तक पहुंचे. नूंह में इस अधिनियम के तहत सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए. दिसंबर 2022 तक अदालतों में 1,192 मामले लंबित थे. जबकि सिर्फ 69 में ही सुनवाई पूरी हुई. सिर्फ़ चार मामलों में ही सजा हुई. गोरक्षा से जुड़े कानून में कहीं भी पुलिस के अधिकार को गोतस्करी निषेध के लिए गोरक्षकों या किसी अन्य के साथ नहीं रखा गया है.

कानूनी जानकार कहते हैं कि राज्य सरकार ने भी अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियम नहीं बनाए हैं, जिसके बिना जांच में उद्देश्य और दिशा दोनों की कमी है. इस बीच, गोरक्षकों का नेटवर्क सामने आया. मार्च 2019 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मामलों में अभियुक्तों की गिरफ्तारी और दोषसिद्धि में विफल रहने पर राज्य सरकार की खिंचाई की थी.

राजस्थान में गोतस्करी को लेकर क्या कानून?

राजस्थान में भी गोस्तकरी पर कानून लागू है. यहां राजस्थान गोजातीय पशु (वध प्रतिषेध तथा अस्थायी प्रवसन या निर्यात विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत एक्शन लिया जाता है. कानून के तहत गायों और उनके गोवंश के वध पर प्रतिबंध लगाया गया है. गोमांस की बिक्री और परिवहन भी बैन है. वध के उद्देश्य से राज्य से बाहर किसी भी स्थान पर गोजातीय पशुओं का निर्यात नहीं किया जा सकता है. गोजातीय पशु को गंभीर चोट, शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता पहुंचाने पर कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है. अधिनियम के अनुपालन में सद्भावनापूर्वक कार्य करने वाले व्यक्तियों को कानूनी कार्यवाही से संरक्षण प्राप्त है. इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं की जाएगी. 

गोहत्या करने पर 10 साल तक की सजा और 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. राज्य सरकार ने गायों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए राजस्थान गोसेवा आयोग की स्थापना भी की है. यह आयोग गायों के रखरखाव, गौशालाओं के निर्माण और उनके संचालन में भी मदद करता है. बेसहारा और असहाय गायों की देखभाल के लिए राज्य सरकार गौशालाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है.

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