गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगे पर अपना फैसला सुना दिया है. फैसले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत मिली है. गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें निर्दोष करार दिया है. वहीं बाबू बजरंगी को राहत नहीं मिली है. बता दें, इस केस में निचली आदालत ने बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया था. इनकी अर्जी पर ही हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसपर आज फैसला आया है. जानिए क्या है नरोदा पाटिया दंगा मामला और इस केस में कब क्या हुआ.
गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे. इस घटना को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के एक दिन बाद अंजाम दिया गया था. दरअसल, साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के बाद विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने बंद का आह्वान किया था. इस दौरान ही नरोदा पाटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था. इसी मामले में आरोपियों पर आज फैसला आया है.
कब क्या हुआ?
25 फरवरी 2002: अयोध्या से 2000 से ज़्यादा कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस से अहमदबाद जाने के लिए बैठे.
27 फरवरी 2002: गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस 4 घंटे की देरी से पहुंची. यहां एक भीड़ ने ट्रेन को घेर का आग के हवाले कर दिया. जिसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई. (इस मामले में अदालत ने 31 लोगों को दोषी ठहराया है. इनमें से 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है.)
28 फरवरी 2002: वीएचपी ने गोधरा कांड के विरोध में बंद का आह्वान किया. इसी दौरान उग्र भीड़ ने नरोदा पाटिया इलाके में हमला कर दिया.
2009 में शुरू हुआ मुकदमा
अगस्त 2009 में नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा शुरू हुआ. इसमें 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई. अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए. इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे.
2012 में स्पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा
अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने बीजेपी विधायक और राज्य की नरेन्द्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया. इसके अलावा 32 अन्य को भी दोषी ठहराया गया था.
आरोपियों ने हाई कोर्ट में दी चुनौती
विशेष अदालत के फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. यहां जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद अगस्त 2017 में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
विशेष अदालत से किसको कितनी सजा?
1. माया कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा
2. बाबू बजरंगी को जीवनपर्यन्त आजीवन कारावास की सजा
3. 7 अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास की सजा
4. बाकी 14 लोगों को साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. (इस मामले में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था)
रणविजय सिंह