दिल्लीः सरकारी हलफनामे पर SC सख्त, कहा- ये कोर्ट से पहले मीडिया में कैसे पहुंच जाते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी हलफनामा हम तक पहुंचने से पहले मीडिया में कैसे पहुंच जाते हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:54 PM IST
  • 'पीआरओ भेजते हैं अखबारों की कटिंग'
  • कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर मांगा था जवाब

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस्पात मंत्रालय से संबंधित एक मामले में सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने सरकार से कुछ बिंदुओं पर हलफनामा मांगा था. लेकिन ये कोर्ट में पहुंचने से पहले मीडिया में पब्लिश हो गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के हलफनामे पहले कोर्ट तक पहुंचने चाहिए. ये बात सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए कि हमें मीडिया के माध्यम से सरकार के हलफनामे की तफसील ना मिले. ये अच्छी आदत नहीं है.

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बता दें कि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस कृष्णमुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही थी. लौह अयस्क के एक्सपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमण ने एएसजी केएम नटराज से कहा कि अपना हलफनामा हमें भी दीजिए. क्योंकि हमें तो हमारे पीआरओ रोज सुबह अखबारों की कटिंग भेजते हैं कि सरकार ने अपने हलफनामे में क्या क्या जानकारी भेजी है. ये अच्छी आदत नहीं है.

गौरतलब है कि कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या देश में इस्पात और लौह अयस्क की घरेलू खपत और इस्तेमाल के लिए पर्याप्त भंडार है. क्या लौह अयस्क और इस्पात के निर्यात की अनुमति दी जा सकती है?

इस मामले में सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा तो भेजा, लेकिन यह मीडिया में ये पहले ही प्रकाशित हो गया. कोर्ट ने सरकार की ओर से आए दिन होने वाली इस तरह की लापरवाही पर अपनी नाराजगी जताई.

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