नीट-पीजी (NEET PG) काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में देरी होने की वजह से दिल्ली के डॉक्टर्स एक बार फिर हड़ताल पर चले गए हैं. इससे सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो गई हैं. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) का कहना है कि हमारी यह हड़ताल अनिश्चितकालीन है, हम परेशान हैं क्योंकि सरकार ने FORDA की मांगें निश्चित समय में पूरी नहीं की.
पहले चरण में RDA के डॉक्टर 27 नवंबर से 8 दिसंबर तक हड़ताल पर चले गए थे. हालांकि तब केंद्र सरकार से आश्वासन मिलने पर उन्होंने हड़ताल वापस ले ली थी. लेकिन डॉक्टर्स एक बार फिर से हड़ताल पर हैं. संगठन का कहना है कि FORDA ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को हड़ताल को लेकर पहले नोटिस दिया था.
17 दिसंबर से शुरू हुई FORDA की हड़ताल अनिश्चितकालीन है. हड़ताल की वजह से सभी चिकित्सा सेवाओं से वापस ले लिया गया है. बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसके चलते नीट पीजी काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है. फोर्डा की हड़ताल से मरीज संकट में आ गए हैं. ओपीडी बंद होने के चलते देशभर से हजारों मरीजों ने मुसीबत झेली. लिहाजा मरीजों को बिना इलाज के ही ओपीडी से लौटना पड़ा.
अब सिर्फ मौखिक आश्वासन से काम नहीं चलेगा
FORDA के अध्यक्ष डॉ. मनीष ने कहा कि हमने 27 नवंबर को विरोध शुरू किया था जो कि 8 दिसंबर तक जारी रहा. केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में सरकार हमें ठोस समाधान दे देगी. लेकिन पिछले सप्ताह हमें कोई जवाब नहीं मिला है. मतलब सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है. इसके चलते हम एक बार फिर से हड़ताल करने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार को 16 दिसंबर तक कार्रवाई करने के लिए कहा था. लेकिन इस बार हम सिर्फ मौखिक आश्वासन के साथ समझौता नहीं करेंगे.
घंटों इंतजार के बाद लौटना पड़ा
दिल्ली के उत्तम नगर निवासी अजीत चौहान अपनी दो साल की बेटी के साथ उसकी आंखों का इलाज कराने सफदरजंग अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. उन्होंने यहां काफी इंतजार किया, लेकिन निराश होकर वापस लौटना पड़ा.
कई किलोमीटर की यात्रा कर यहां आए
यही हाल फरीदाबाद निवासी राजेंद्र का भी था. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को ऐसा तरीका अपनाना चाहिए जिससे उनका विरोध व्यक्त हो सके और मरीजों को परेशानी भी न हो. उन्होंने कहा कि हमने कई किलोमीटर की यात्रा की, मुश्किल से यहां पहुंचे लेकिन हमें निराश होकर लौटना पड़ रहा है.
अमित भारद्वाज