दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पद संभालने के लगभग 50 दिन बाद भी आधिकारिक आवास नहीं मिल पाया है. पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उपयोग किए गए विवादास्पद 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित आवास में शिफ्ट होने से इनकार करने के बाद अब तक उनके लिए उपयुक्त सरकारी आवास तय नहीं हो सका है. दिल्ली सरकार का लोक निर्माण विभाग (PWD) इन बंगलों के रखरखाव और आवंटन की जिम्मेदारी संभालता है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई स्पष्टता नहीं आ सकी है.
फिलहाल मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता शालीमार बाग स्थित अपने निजी आवास से प्रतिदिन दिल्ली सचिवालय तक यात्रा कर रही हैं. वह चाहती हैं कि उन्हें या तो दिल्ली सरकार के पूल से या फिर केंद्र सरकार के पूल से आधिकारिक बंगला आवंटित हो जाए. उनके सामने दो मुख्य समस्याएं हैं- पहली, उनके निजी आवास पर जगह की कमी है, जिसके चलते वहां आने वाले लोगों से मुलाकात करना और बैठकें करना कठिन हो जाता है. सुबह से ही आम जनता, वरिष्ठ अधिकारी और वीआईपी मिलने आते हैं, लेकिन उनके आवास की जगह इतनी नहीं है कि वहां बैठकर कोई बैठक की जा सके. दूसरी समस्या है दूरी की. शालीमार बाग से दिल्ली सचिवालय की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है, और उन्हें रोज़ यह दूरी तय करनी पड़ रही है.
इसी कारण सीएम रेखा गुप्ता एक उपयुक्त सरकारी आवास की तलाश में हैं जो या तो सिविल लाइंस इलाके में हो या लुटियंस दिल्ली में. उन्होंने कुछ बंगलों का निरीक्षण भी किया है. सिविल लाइंस उनका विधानसभा क्षेत्र होने की वजह से सुविधाजनक हो सकता है, जबकि लुटियंस जोन केंद्र सरकार के अधिकारियों से मिलने और बैठकों के लिहाज से ज्यादा अनुकूल है.
हालांकि, अगर वह केंद्र सरकार के पूल से कोई आवास लेना चाहती हैं तो इसके लिए सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) जैसी केंद्रीय एजेंसियों की मंजूरी जरूरी होगी, जिससे इसमें और देरी हो सकती है. इसी वजह से अब तक दिल्ली की मुख्यमंत्री को सरकारी आवास नहीं मिल पाया है और वे रोजाना लंबी दूरी तय कर कामकाज संभाल रही हैं.
कुमार कुणाल