दिवाली के बाद से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. इससे दिल्लीवासियों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बिगड़ने से आज दिल्ली का औसत एक्यूआई 384 रिकॉर्ड किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, आनंद विहार इलाके में AQI 400 अंक को पार कर गया है, जो आज यानी 5 नवंबर को सुबह करीब 7 बजे 457 दर्ज किया गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है. इससे पहले सोमवार को भी यहां का AQI 350 के पार दर्ज किया गया था. वहीं, दिल्ली के जहांगीरपुरी में AQI 440 दर्ज किया गया है.
NCR में भी बिगड़ने लगी हवा
कहां से आ रहे प्रदूषक?
जब दिल्ली लगातार प्रदूषण के उच्च स्तर से जूझ रही है, और एक दर्जन से अधिक स्टेशन "गंभीर" श्रेणी में हैं, तो यह जानना जरूरी है कि प्रदूषक कहां से आ रहे हैं. सोमवार 4 नवंबर को, दिल्ली के वायु प्रदूषण का लगभग एक-चौथाई हिस्सा पराली जलाने से जुड़ा हुआ पाया गया, जो एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती है. हर साल की तरह Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM), पुणे के आंकड़ों के अनुसार, 4 अक्टूबर को दिल्ली के प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने का वास्तविक योगदान 23.4% था. उल्लेखनीय है कि शनिवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान लगभग 15% और रविवार को 20% था. इसका मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों में लगातार पराली जलाना है, इससे दिल्ली की वायु गुणवत्ता काफी प्रभावित होती है.
गाड़ियों में धुएं के कारण 13.7 प्रदूषण
दिल्ली में 13.7 प्रतिशत प्रदूषण गाड़ियों में धुएं के कारण था. दिवाली के बाद से दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. इसका मुख्य कारण ऑफिस जाने वाले लोगों की गाड़ियां हैं. दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में, फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषण का 3.4 प्रतिशत योगदान रहा है. वही, निर्माण गतिविधियों के कारण लगभग 2% फीसदी और सड़क की धूल दिल्ली में कुल प्रदूषण का 1% हिस्सा था. शहर में लगातार चिंता का विषय बने रहने वाले कचरे को जलाने से प्रदूषण में 1.3% से अधिक की वृद्धि हुई है. दिल्ली के ऊर्जा स्रोतों के संचालन ने राजधानी के कुल उत्सर्जन में 1.7% का योगदान दिया है. स्थानीय सोर्स के अलावा, पड़ोसी शहरों से भी काफी अधिक प्रदूषण हो रहा है. इन शहरों में गाजियाबाद सबसे ज्यादा योगदान देने वाला शहर रहा, जिसकी दिल्ली के प्रदूषण में 9% हिस्सेदारी थी, उसके बाद नोएडा 6.5% के साथ दूसरे स्थान पर था. गुरुग्राम और फरीदाबाद ने क्रमशः 2.6% और 2.2% का योगदान रहा.
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है, और इसका एक प्रमुख उदाहरण है आनंद विहार, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'सीवियर प्लस' श्रेणी में पहुंच चुका है. आनंद विहार में AQI 450 से ऊपर होने का मुख्य कारण धुआं नहीं, बल्कि धूल है. यहां पीएम 10 कणों की मात्रा बढ़ रही है, जो आकार में पीएम 2.5 कणों से चार गुणा बड़े होते हैं और धूल के कारण फैलते हैं. दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं, और हर क्षेत्र की स्थिति अलग है. उदाहरण के लिए, जहांगीरपुरी में मंगलवार की सुबह प्रदूषण स्तर 440 तक पहुंच गया, और वहां भी इसका प्रमुख कारण धूल है, न कि धुंआ. आनंद विहार और जहांगीरपुरी दोनों ही ऐसे क्षेत्र हैं जहां वाहनों की भारी आवाजाही होती है, जिससे सड़कों पर धूल अधिक उड़ती है.
जल्द ढूंढना होगा समाधान
वजीरपुर में भी AQI 437 तक पहुंच चुका है, और यहां भी प्रदूषण के लिए प्रमुखतः पीएम 10 कण जिम्मेदार हैं. द्वारका NSIT स्टेशन की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. इनके अलावा, अशोक विहार, बवाना, मोती नगर, लाजपत नगर, विवेक विहार, और पंजाबी बाग जैसे स्टेशनों पर, प्रदूषण का प्रमुख कारण पीएम 2.5, अर्थात धुआं, है. इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं और स्थान के हिसाब से इनके समाधान की आवश्यकता है. धूल और धुआं, दोनों ही प्रदूषण के मुख्य कारक हैं और इनके नियंत्रण के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता है. ट्रैफिक प्रबंधन, सड़क साफ सफाई और औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण जैसी पहले इसमें सहायक हो सकती हैं. दिल्ली के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी है कि प्रदूषण की समस्या का समाधान जल्द से जल्द ढूंढा जाए.
कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी?
अगर किसी क्षेत्र का AQI जीरो से 50 के बीच है तो AQI ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 AQI होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’माना जाता है, अगर किसी जगह का AQI 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का AQI ‘खराब’ माना जाता है. अगर AQI 301 से 400 के बीच हो तो बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI होने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसी के आधार पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप श्रेणी की पाबंदियां लगाई जाती हैं. आपको बता दें ग्रैप-2 लागू होने के बाद 5 प्रमुख पाबंदियां भी लग गई हैं.
क्या होता है ग्रैप?
ग्रैप का मतलब GRAP से है. GRAP का फुल फॉर्म ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान है. ये सरकार की एक योजना है, जिसे दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ बनाया गया है. इस प्लान के जरिए प्रदूषण को कंट्रोल किया जाता है. दरअसल, इसके कई चरण हैं और ये चरण भी बढ़ते प्रदूषण के साथ बढ़ते जाते हैं. जैसे जैसे चरण बढ़ते हैं, वैसे वैसे दिल्ली में पाबंदियां भी बढ़ती जाती हैं.
GRAP के 4 चरण होते हैं
जब दिल्ली में हवा 201 से 300 एक्यूआई तक खराब होती है तो पहला चरण लागू किया जाता है.
इसके बाद अगर हवा ज्यादा खराब होती है और एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंच जाता है तो इसका दूसरा चरण लागू हो जाता है.
अगर हवा ज्यादा खराब हो जाए यानी एक्यूआई 400 से भी ज्यादा हो जाए तो तीसरा चरण लगता है.
हालात ज्यादा खराब होने पर GRAP का चौथा लेवल लागू कर दिया जाता है.
दिल्ली-NCR में ग्रैप-2 के तहत ये पाबंदियां लागू
कुमार कुणाल