बिहार में 1900 करोड़ के सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को CBI ने किया गिरफ्तार

बिहार में सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई टीम ने रजनी को गाजियाबाद के साहिबाबाद से पकड़ा है. इस घोटाले के एक आरोपी अमित कुमार की मौत हो चुकी है.

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रजनी प्रिया गिरफ्तार. (File Photo) रजनी प्रिया गिरफ्तार. (File Photo)

aajtak.in

  • भागलपुर,
  • 11 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

बिहार के भागलपुर में सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को सीबीआई ने गाजियाबाद के साहिबाबाद से गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले के एक और आरोपी अमित कुमार की मौत हो चुकी है. सीबीआई सूत्रों ने इस मामले की जानकारी दी. सृजन घोटाला 1900 करोड़ रुपये का था. इस मामले में अभी तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. कई बैंक अफसरों से लेकर क्लर्क तक सलाखों के पीछे हैं.

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जानकारी के अनुसार, सृजन घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के निधन के बाद मनोरमा के आरोपी बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की तलाश जा रही थी. अमित कुमार की भी मौत हो चुकी है. रजनी प्रिया को कोर्ट में पेशी होने का आदेश जारी हुआ था.

कोर्ट में हाजिरी नहीं होने पर सीबीआई ने उसके पुराने आवास सहित तीनों मकानों पर नोटिस चिपकाए थे. सृजन घोटाला केस में सीबीआई ने 25 अगस्त 2017 को जांच शुरू की थी. इस मामले में एनजीओ के खाते में ट्रांसफर की गई राशि का बंदरबांट हुआ था.

क्या था पूरा मामला

अगस्त 2017 के पहले हफ्ते में भागलपुर के पूर्व जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के हस्ताक्षर वाला एक चेक बैंक ने यह कहकर वापस कर दिया था कि आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है. चेक सरकारी खाते का था. जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के लिए यह हैरान करने वाली बात थी, क्योंकि उनको जानकारी थी कि सरकारी खाते में पर्याप्त राशि है. इसके बाद उन्होंने जांच के लिए एक कमेटी बनाई. मामला सामने आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी जानकारी दी गई.

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मामले से पर्दा उठा तो सीबीआई को सौंपी जांच

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई का विशेष जांच दल भागलपुर पहुंचा. इसका नेतृत्व आईजी रैंक के पुलिस अफसर कर रहे थे. इस टीम को तीन दिन तो यह समझने में लग गए कि सरकारी खाते का पैसा एक एनजीओ के खाते में कैसे गया. उसके बाद एक के बाद एक कड़ी खुलने लगी. इसके बाद सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया गया.

साल 2004 में रख दी गई थी घोटाले की नींव

सृजन घोटाले की नींव साल 2004 में ही रख दी गई थी. जैसे-जैसे जांच प्रक्रिया आगे बढ़ी, वैसे–वैसे रकम भी बढ़ती गई. कई नाम और नामचीन चेहरे भी सामने आ गए. वहीं भागलपुर में पदस्थ रह चुके जिलाधिकारी केपी रमैया का भी नाम इसमें सामने आया. केपी रमैया को भागलपुर के लोग एक अच्छे व्यक्ति के रूप में जानते थे. आज भी चर्चा होती है, लेकिन सृजन घोटाले में संलिप्तता होने के कारण छवि खराब हो गई. केपी रमैया अभी फरार चल रहे हैं. घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के निधन के बाद उनके आरोपी बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की संपत्ति पर 10 जनवरी को कोर्ट ने नोटिस दिया था.

(रिपोर्टः निभाष मोदी)

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