इन दिनों दिल्ली-एनसीआर में वायरल बीमारियों का प्रकोप नजर आ रहा है. लगभग हर घर में कोई न कोई सदस्य बुखार, खांसी या गले में खराश से जूझ रहा है. एक हालिया सर्वे के मुताबिक, 69 प्रतिशत घरों में वायरल संक्रमण के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. H3N2 इन्फ्लुएंजा A स्ट्रेन इस संक्रमण की मेन वजह बन चुका है, जिससे लंबे समय तक बीमारी मरीज के शरीर में डेरा जमा रही है. हालात ये हैं कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर का महीना वायरल संक्रमणों यानी फ्लू के लिए सबसे खतरनाक होता है. पांच दिन पहले हुई एक रिसर्च में इसके पीछे की वजहें बताई गई हैं. आइए जानते हैं कि आखिर सितंबर क्यों बनता है वायरल मंथ. इस मौसम में बचाव के उपाय कैसे अपनाएं और डॉक्टर क्या सलाह दे रहे हैं.
दिल्ली-NCR में अस्पतालों से मिल रही रिपोर्ट के अनुसार H3N2 फ्लू के केसों में तेजी आई है, जिसमें 37 प्रतिशत घरों में चार या अधिक सदस्य प्रभावित हैं, जबकि 32 प्रतिशत में एक से तीन सदस्यों को लक्षण दिख रहे हैं. इस साल सितंबर 2025 के आंकड़े चिंताजनक हैं, जहां कोविड-फ्लू जैसे लक्षणों से लोग परेशान हैं. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ये संक्रमण दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद तक फैल चुका है, जहां अस्पतालों के OPD में 30-40 प्रतिशत मरीज वायरल से संबंधित हैं.
सितंबर क्यों बनता है वायरल संक्रमण का मंथ?
सितंबर का महीना उत्तर भारत में वायरल बीमारियों के लिए 'पीक सीजन' माना जाता है. भारत में मानसून (जुलाई-अगस्त) के बाद सितंबर में संक्रमणों का उछाल आना सामान्य है. PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ की एक हालिया स्टडी (5 दिनों पहले पब्लिश) के अनुसार RSV (रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस) संक्रमण मानसून के दौरान सितंबर-अक्टूबर में पीक पर पहुंच जाते हैं. ये स्टडी भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित है जिसमें पाया गया कि बारिश के बाद नमी का स्तर वायरस की स्थिरता बढ़ाता है.
वहीं PMC और BMC की स्टडीज भी बताती हैं कि मानसून के बाद की नमी और बदलता मौसम वायरस की एक्टिविटी बढ़ाते हैं. लंग इंडिया जर्नल (2025) में साफ कहा गया है कि सितंबर-नवंबर के बीच वैक्सीन-प्रिवेंटेबल रेस्पिरेटरी वायरस सबसे ज्यादा फैलते हैं.
क्यों बढ़ता है खतरा?
मानसून के बाद हवा में नमी ज्यादा होती है, जिससे वायरस जिंदा रहते हैं.
तापमान 20-30 डिग्री के बीच होने से फ्लू और राइनोवायरस को अनुकूल माहौल मिलता है.
स्कूल-कॉलेज खुलने और त्योहारों से भीड़ बढ़ने पर संक्रमण तेजी से फैलता है.
गर्मियों के बाद विटामिन D लेवल गिर जाता है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर होती है.
दिल्ली-NCR का प्रदूषण (AQI 200+) भी वायरस के ट्रांसमिशन को आसान बनाता है.
कैसे करें बचाव?
सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनें, हाथ धोते रहें.
फ्लू वैक्सीन जरूर लगवाएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए.
विटामिन C-D सप्लीमेंट्स लें, संतुलित खानपान रखें.
बीमार होने पर घर पर आराम करें, बच्चों को स्कूल न भेजें.
लगातार 3 दिन तक तेज बुखार या सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
क्या कहते हैं डॉक्टर
दिल्ली के डॉक्टरों ने फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया है. फिजीशियन डॉ कौसर उस्मान का कहना है कि सितंबर में मौसम चेंज से वायरस एक्टिव होते हैं लेकिन इस बार इम्यूनिटी कमजोर होने से लक्षण लंबे हैं.लखनऊ के केजीएमयू में भी वायरल के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई. दिल्ली एनसीआर के 69% घर वायरल से प्रभावित होना चिंताजनक है. आइसोलेशन से 70% केस रोके जा सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रदूषण वायरस को मजबूत बनाता है. अगर बुखार-जुकाम के लक्षण हैं तो ऐसे में आउटडोर एक्टिविटी कम करें.
मानसी मिश्रा