बदलते मौसम में अक्सर लोग खांसी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं, खासतौर पर बच्चे इस मौसम में जल्दी बीमार पड़ते हैं. सर्दियों के मौसम में जब हवा प्रदूषित हो जाती है तो खांसी, जुकाम, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कतें बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बुजुर्गों और बच्चों में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है और ऐसे में डॉक्टर्स लोगों को भाप लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे जमा हुआ बलगम बाहर निकल जाता है और सांस लेने की परेशानी कम होती है. ऐसे में लोग घरों में नेबुलाइजर और स्टीमर का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, लेकिन इन दोनों में क्या फर्क होता है, चलिए जानते हैं कि नेबुलाइजर और स्टीमर क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है और कौन-सा तरीका किसके लिए बेहतर होता है.
नेबुलाइजर एक मेडिकल डिवाइस है जो दवाओं को बहुत ही बारीक धुएं या भाप में बदल देता है ताकि मरीज उसे आसानी से सांस के जरिए अंदर ले सके. अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और गंभीर सर्दी-जुकाम के मरीजों को डॉक्टर इनकी सलाह देते हैं. नेबुलाइजर में लिक्विड दवा को मशीन में डालकर मास्क या माउथपीस के जरिए सांस के जरिए यानी इनहेल किया जाता है.
स्टीमर एक आम घरेलू उपकरण है जिसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम, गले की खराश, नाक बंद होने या स्किन क्लीनिंग के लिए किया जाता है. आपने पार्लर में स्टीमर का इस्तेमाल करते हुए अधिक करते देखा होगा. स्टीमर पानी को गर्म करके भाप बनाता है, जिसे आप नाक या मुंह के जरिए इनहेल करते हैं. यह श्वसन मार्ग को नमी देता है और जकड़न को कम करने में मदद करता है. यह सस्ता होता है, इसलिए लोग इसका इस्तेमाल घरों में सर्दी-जुकाम में स्टीम लेने के लिए करते हैं.
हल्के सर्दी-जुकाम या नाक बंद की समस्या
स्किन क्लीनिंग या फेशियल के लिए
गले की खराश या साइनस की परेशानी में राहत पाने के लिए
यह मेडिकल डिवाइस है जो दवा को बारीक धुएं में बदलता है.
इस्तेमाल अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और COPD जैसी श्वसन बीमारियों में किया जाता है.
दवा को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाता है, जिससे जल्दी असर होता है.
डॉक्टर की सलाह और सटीक डोज जरूरी होती है.
छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए सही है, जिन्हें इनहेलर चलाना मुश्किल होता है.
नेबुलाइजर और स्टीमर कौन है अधिक बेहतर?
यह पूरी तरह आपकी स्थिति पर निर्भर करता है. अगर आपको सिर्फ सर्दी-जुकाम या गले में खराश है, तो आपके लिए स्टीमर काफी है. लेकिन अगर आपको अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस या बार-बार सांस लेने में दिक्कत होती है तो नेबुलाइजर बेहतर ऑप्शन है. लेकिन हमेशा डॉक्टर की निगरानी में इसका इस्तेमाल करना सुरक्षित होता है.
स्टीमर और नेबुलाइजर दोनों ही फायदेमंद हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल अलग परिस्थितियों में किया जाता है. स्टीमर हल्की समस्याओं में राहत देता है, जबकि नेबुलाइजर गंभीर श्वसन समस्याओं के लिए मेडिकल डिवाइस है. गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर दोनों से नुकसान भी हो सकता है, इसलिए सावधानी और सही जानकारी के साथ ही इनका इस्तेमाल करें.
आजतक हेल्थ डेस्क