किसी भी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट मरीज और डोनर के ब्लड पर ग्रुप पर टिका होता है. समान ब्लड ग्रुप न मिलने की वजह से कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है, लेकिन अब ऐसा रोका जा सकेगा. दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने बिना ब्लड ग्रुप मैच के किडनी ट्रांसप्लांट करने का कारनामा कर दिखाया है. यह पहली बार है जब सफदरजंग हॉस्पिटल में डोनर और मरीज का अलग-अलग ब्लड ग्रुप होने के बावजूद सफल ट्रांसप्लांट हो गया.
28 वर्षीय पत्नी ने 43 वर्षीय पति को दी अपनी किडनी
सफदरजंग हॉस्पिटल में किडनी को बीमारी से पीड़ित 43 वर्षीय अपने पति को 28 वर्षीय पत्नी ने किडनी दान की है. महिला का पति काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था और उसकी डायलिसिस चल रही थी. उसकी जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी लेकिन उसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था और पत्नी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था. ऑपरेशन के बाद सारे पैरामीटर्स ठीक काम कर रहे हैं.
इसे कहते हैं एबीओ ट्रांसप्लांट
किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे ऐसे मरीजों के लिए अच्छी खबर है जिनका ब्लड ग्रुप किडनी दान करने वाले से अलग होता है. सफदरजंग हॉस्पिटल के किडनी रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर हिमांशु वर्मा ने बताया कि इसे एबीओ ट्रांसप्लांट कहते हैं जिसमें अंगदान करने वाले और अंग प्राप्त करने वाले का ब्लड ग्रुप एक नहीं होता है. डॉक्टरों ने एबीओ तकनीक के जरिये यह सफल ट्रांसप्लांट किया. इसपर हॉस्पिटल की चिकित्सा अधीक्षक वंदना तलवार ने खुशी जताई है.
लगभग 15 लाख का खर्च, सफदरजंग में मिलेगी फ्री सुविधा
सफदरजंग हॉस्पिटल में एबीओ किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध होगी जबकि निजी हॉस्पिटलों में इसका लगभग 15 लाख रुपए तक खर्च आता है. डॉक्टर हिमांशु वर्मा ने बताया कि सफदरजंग किडनी ट्रांसप्लांट कराने वालों को लंबे समय तक मुफ्त में दवाएं देने वाला एकमात्र हॉस्पिटल है.
डॉ. ने की अंगदान की अपील
डॉ हिमांशु ने बताया कि देश में कई मरीजों को डोनर की जरूरत है, लेकिन उसकी तुलना में अंगदान करने वाले काफी कम है. ऐसे में लोगों से अपील है कि अंगदान को लेकर जागरूक रहें.
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