इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव में 'मेंटल हेल्थ' यानि मानसिक स्वास्थ्य पर आयोजित सत्र में इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के डॉ विनय कुमार और साइकोलॉजिस्ट डॉ. उपासना चड्ढा हिस्सा लिया. डॉ. कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य का कोई मॉडल है तो वह है बायो साइको सोशल मॉडल.
डॉ. कुमार ने बताया गोली क्यों है जरूरी
डॉ. कुमार ने कहा, 'मानसिक स्वास्थ्य की जो दवाएं होती हैं वो हैबिट फॉर्मिंग बिल्कुल नहीं होती है. कुछ कंपोनेंट्स हैं जो हैबिट फॉर्मिंग हैं.हैबिट में वहीं घुसेंगे जिसमें उसकी कैपिसिटी होगी, उसके अंदर उसके अंदर उस तरह की प्रवृत्ति होगी उसकी बनावट वैसी होगी... मानसिक रोग बहुत प्रकार के होते हैं. बात नशे की नहीं है उसकी जरूरत की है. ब्लड प्रेशर की गोलियां अगर शरीर मांग रहा है तो हम क्यों नहीं देंगे? अगर डायबिटीज की गोलियां शरीर मांग रहा है तो हमें बुरा नहीं लगता है.... हमारे यहां ऐसी ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं जहां एक गोली ने जीवन बदल दिया.'
डिप्रैशन का जिक्र करते हुए डॉ. कुमार ने कहा, 'सबसे बड़ी बात डिप्रेशन की गोलियों को लेकर है. अगर आपको सिर्फ डिप्रेशन है, और उसका इलाज नहीं कराया तो आपको डाइबीटीज और ब्लड प्रेशर भी होगा क्योंकि वो आदमी के अंदर तनाव पैदा करेगा, उसके बाद इंफेक्शन भी होगा. कोविड में भी ऐसा हुआ कि जो लोग कोविड से इलाज करा रहे थे उनकी मौतें कम हुईं, जिन लोगों ने इलाज नहीं कराया था या दवा छोड़ दी थी, वो ज्यादा मरे हैं.शरीर की इम्युनिटी सबसे अहम है, अगर आप डिप्रैस्ड हैं तो आपकी इम्युनिटी भी अच्छी नहीं होगी, आपका ब्लड प्रेशर भी बढ़ेगा. तो अगर मेरे मस्तिष्क में अगर कोई क्रोनिक सिस्टम ऐसा बना हुआ है जिसमें कई चीजें काम नहीं कर रही हैं, तो अगर एक गोली से मेरी समस्या दूर हो सकती है, तो क्यों ना वो गोली लें.'
डॉ. उपासना ने बताया कैसे होता है स्ट्रैस
एक सवाल का जवाब देते हुए साइकोलॉजिस्ट डॉ. उपासना चड्ढा ने कहा, 'हमारे दिमाग में हमेशा विचार चलते रहते हैं. ये थॉट्स ही हैं तो हमें थ्रेड्स भी दिलाते हैं. जैसे बच्चों को अपने अकेडमिक्स या करियर या कुछ अच्छा करना है, इस प्रकार के विचार उन्हें स्ट्रैस की तरफ ले जाते हैं. कोविड के बाद हमने देखा कि कैसे लोग मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूक हुए हैं. कोविड के दौरान या होम आइशोलेशन के दौरान हम सबने एंग्जाइटी को महसूस किया है. तो अधिकतर लोगों को पता कि एंग्जाइटी और डिप्रैशन क्या होता है. आप इस पर जागरूकता पैदा करके ही इससे निजात पा सकते हैं... अगर हम ज्यादा से ज्यादा अवैयरनेस बढ़ा सकें और उसके वैलनेस पर ध्यान दें तो ज्यादा फायदा मिलेगा.'
क्या है मेंटल हेल्थ का उपचार?
डॉ. विनय कुमार ने बताया कि कब इस बीमारी का इलाज कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि या तो आप परेशान है, या फिर आपसे कोई परेशान है. किसी भी इंसान में होने वाला वह बदलाव जो उसे परेशान करे या फिर किसी अन्य को परेशान करे, तब उसे इलाज की जरूरत है, यही इसका सिंपल जवाब है. उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ सबके लिए लास्ट प्रायोरिटी होती है.
कोटा में छात्रों के सुसाइड से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. विनय कुमार ने कहा, 'ये बात भी सोचनी होगी कि बच्चे सुसाइड क्यों कर रहे हैं, सारे सुसाइड डिप्रैशन से लिंक्ड नहीं हैं. इंपल्स से भी बहुत सारे सुसाइड होते हैं.इंपल्स को लेकर ऐसा माहौल बना दिया है समाज में कि टारगेट ये है कि उसको कितना पैकेज मिल रहा है, कितनी सैलरी मिल रही है. वो करेगा क्या क्या, आपने टारगेट सेट कर दिया है. आपने पढ़ाई को इंज्वॉय करने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं.कोई भी अध्ययन का आनंद नहीं उठा रहा है देश में, सारे नंबरों की बात कर रहे हैं. जिसकी रूचि जो है, उस पर कोई बात नहीं कर रहा है.'
वहीं डॉ. चड्ढा ने कहा कि हमें अवैयरनेस जानना बहुत जरूरी है. आप एक काउंसलर के पास जाकर कभी भी बात कर सकते हैं. कई तरह के बदलाव भी स्ट्रैस लाते हैं.
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