Aajtak Health Summit 2025: स्क्रीन टाइम और रील्स कैसे कर रही मेंटल हेल्थ खराब! डॉक्टर ने बताया

Aajtak Health Summit 2025: आजतक हेल्थ समिट 2025 में डॉ. समीर पारिख और डॉ. संदीप वोहरा ने बताया कि ज्यादा स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया रील्स युवाओं में तनाव, चिंता, ध्यान की कमी और नींद की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं. विशेषज्ञों ने समय पर रोकथाम और डिजिटल संतुलन अपनाने की सलाह दी.

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सोशल मीडिया की बढ़ती लत से युवाओं में बढ़ रहा तनाव और डिप्रेशन: डॉ. संदीप वोहरा (Photo: Aajtak/AI Generated) सोशल मीडिया की बढ़ती लत से युवाओं में बढ़ रहा तनाव और डिप्रेशन: डॉ. संदीप वोहरा (Photo: Aajtak/AI Generated)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

Aajtak Health Summit 2025: आज के दौर को डिजिटल युग कहा जाता है क्योंकि इन दिनों बिजनेस से लेकर बैकिंग तक आज ऑनलाइन कर सकते हैं. यहां तक कि लोग अपने इमोशंस यानी प्यार, गुस्सा और दुख तक डिजिटली दिखाना पसंद करते हैं, जिसकी वजह से उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना और सोशल मीडिया रील्स आपको बेशक मनोरंजक लग सकती हैं, लेकिन ये आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं. ये हमारा नहीं बल्कि आजतक हेल्थ समिट 2025 के 'सर, जो तेरा चकरए' सेशन में शामिल हुए जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख और न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ. संदीप वोहरा का कहना है. उन्होंने बताया कि कैसे रील्स और स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है. उन्होंने कहा कि लगातार स्क्रॉल करना, नोटिफिकेशन और सोशल मीडिया पर दूसरों से तुलना करना लोगों, खासकर युवाओं में स्ट्रेस समेत कई तरह की परेशानियां बढ़ा रहा है.

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सोशल मीडिया का मजा अब बन रहा है खतरा

डॉ. संदीप वोहरा से जब पूछा गया कि आजकल हर उम्र के लोग सोशल मीडिया पर रील्स देखने और फोटो पोस्ट करने में इतने ज्यादा क्यों डूबे हुए हैं, तो उन्होंने इस ट्रेंड के कराण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पहले लोग रील्स या तस्वीरें मजे के लिए शेयर करते थे, लेकिन अब ये आदत दिमाग और रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक असर डाल रही हैं. लोग दूसरों की तस्वीरें देखकर खुद से तुलना करने लगते हैं कि 'हम ऐसे क्यों नहीं दिखते?' और घंटों-घंटों रील्स देखते रहते हैं, जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी पर सीधा असर पड़ता है.

फॉलोअर्स की होड़ से बढ़ रही लत

डॉ. वोहरा के मुताबिक, खासकर युवाओं में सोशल मीडिया पर ज्यादा फॉलोअर्स पाने की एक होड़ सी लग गई है. अब फॉलोअर्स बढ़ाना उनके लिए एक तरह की उपलब्धि बन गया है. यही वजह है कि इंटरनेट, रील्स और सोशल मीडिया का एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में यह लत एक बीमारी की तरह मानी जाएगी और इसका बाकायदा इलाज करना पड़ेगा.

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डिजिटल एडिक्शन से बढ़ेंगी मानसिक परेशानियां

डॉ. वोहरा ने आगे बताया कि जैसे-जैसे डिजिटल एडिक्शन बढ़ेगा, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ेंगी. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कनाडा में हुई एक हेल्थ स्टडी का जिक्र किया, जिसमें 350 किशोरों पर रिसर्च की गई. ये सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे. नतीजों में पाया गया कि हर दूसरे किशोर में चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) के लक्षण देखने को मिले. खास बात यह रही कि इन युवाओं के परिवार में पहले कभी किसी को एंग्जायटी या डिप्रेशन की समस्या नहीं रही थी.

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