फैक्ट चेक: ट्रेन का कांच तोड़ रहे शख्स का ये वीडियो पांच साल पुराना है, अभी का बताकर दिया गया ‘रेल जिहाद’ का एंगल

हाल ही में वंदे भारत एक्सप्रेस का कांच तोड़ते शख्स का वीडियो ‘रेल जिहाद’ के नाम से वायरल हुआ और उसने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं. लेकिन जब आजतक ने इस वीडियो की पूरी कहानी बताई तो इस झूठे सांप्रदायिक दावे पर ब्रेक लग गए. वीडियो में दिख रहा शख्स न तो मुस्लिम निकला और न ही वो किसी गलत इरादे से ट्रेन की खिड़की का कांच तोड़ रहा था.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक मुस्लिम शख्स ट्रेन को नुकसान पहुंचा रहा है और रेलवे प्रशासन गायब है.
सच्चाई
ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि 2019 में पश्चिम बंगाल में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के समय का है.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

हाल ही में वंदे भारत एक्सप्रेस का कांच तोड़ते शख्स का वीडियो ‘रेल जिहाद’ के नाम से वायरल हुआ और उसने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं. लेकिन जब आजतक ने इस वीडियो की पूरी कहानी बताई तो इस झूठे सांप्रदायिक दावे पर ब्रेक लग गए. वीडियो में दिख रहा शख्स न तो मुस्लिम निकला और न ही वो किसी गलत इरादे से ट्रेन की खिड़की का कांच तोड़ रहा था.

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अब सोशल मीडिया पर ‘ट्रेन जिहाद’ के नाम पर एक और वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें लुंगी और हरी टोपी पहना एक आदमी, रेलवे स्टेशन पर खड़ी हमसफर एक्सप्रेस के शीशे को डंडे से तोड़ रहा है. वीडियो को शेयर करते हुए लोग लिख रहे हैं कि ‘जिहादी’ ट्रेन को नुकसान पहुंचा रहे हैं और रेलवे प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा.

वीडियो के साथ लोग कैप्शन में लिख रहे हैं, “रेलवे स्टेशन पर ट्रेन जिहाद करते हुए जिहादी! ट्रेन के डिब्बे तोड़े जा रहे हैं? कहां गायब है रेलवे प्रशासन?”. साथ ही कुछ लोग पीएम मोदी और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव पर तंज करते हुए अपील कर रहे हैं कि वो ऐसे लोगों को जेल में डालें. वीडियो को अभी की घटना बताकर फेसबुकएक्स और इंस्टाग्राम पर कई यूजर्स शेयर कर चुके हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

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आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि 2019 में पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के समय का है.

कैसे पता की सच्चाई?

वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये दिसंबर 2019 के कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में मिला. इससे एक बात तो यहीं साफ हो गई कि वीडियो किसी हालिया घटना का नहीं, बल्कि सालों पुराना है.

“द स्टेट्समैन” की 13 दिसंबर 2019 की एक खबर में इस वीडियो से ली गई एक फोटो का इस्तेमाल किया गया है. खबर में इसे बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए प्रर्दशन का बताया गया है. उस समय देश के कई राज्यों में ये प्रर्दशन चल रहे थे. इनमें से एक पश्चिम बंगाल भी था. रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक प्रदर्शनकारियों ने बंगाल में कई स्टेशनों पर रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और ट्रेन रोकने के लिए ट्रैक को भी ब्लॉक किया था.

खबर में बताया गया है कि हावड़ा जिले के उलुबेड़िया स्टेशन परिसर में प्रदर्शनकारियों ने काफी तोड़फोड़ की थी. साथ ही यहां खड़ी ट्रेनों को भी निशाना बनाया गया था. हमें ऐसे कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स भी मिले जिनमें वायरल वीडियो को उलुबेड़िया स्टेशन का ही बताया गया है.

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उस समय दक्षिणपूर्व रेलवे के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी उलुबेड़िया स्टेशन की एक फोटो शेयर की गई थी जिसमें खिड़कियों के टूटे शीशों के साथ हमसफर एक्सप्रेस खड़ी नजर आ रही है. इस फोटो को “डेक्कन हेराल्ड” ने भी अपनी खबर में प्रकाशित किया था. 17 दिसंबर 2019 की इस खबर के अनुसार, ये हिंसक प्रदर्शन हावड़ा, मुर्शिदाबाद, बीरभूम के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में हुए थे.

इस तरह ये स्पष्ट हो जाता है कि लगभग पांच साल पुराने वीडियो को ‘रेल जिहाद’ की हालिया घटना बताकर रेलवे प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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