उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक मामले से आक्रोशित होकर हाल ही में कुछ लोगों ने ददरपुर गांव के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका तो कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. मामले में पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
इस बीच सोशल मीडिया पर सड़कों पर उतरे लोगों की भारी भीड़ का एक वीडियो वायरल हो गया है. वीडियो में काली गाड़ी पर एक शख्स मौजूद है और बड़ी संख्या में लोग उसे घेरे हुए हैं. लोगों के हाथों में पीले झंडे भी नजर आ रहे हैं.
वीडियो के अंदर टेक्स्ट में लिखा है, “इटावा में यादव भाइयों का काफिला. यादव ही कह दे.” लोगों की मानें तो ये इटावा का वीडियो है, जहां बड़ी संख्या में यादव जाति के लोग इस तरह सड़कों पर उतर आए हैं.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो न तो हाल-फिलहाल का है, और न ही इटावा का. दरअसल, ये 4 अप्रैल, 2024 को राजस्थान के बाड़मेर में हुई रविंद्र सिंह भाटी की रैली का पुराना वीडियो है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये 4 अप्रैल, 2024 के एक इंस्टाग्राम पोस्ट में मिला. इतना तो यहीं साफ हो जाता है कि इस वीडियो का हाल ही में इटावा में हुए कथावाचक विवाद से कोई लेना-देना नहीं है.
इस वीडियो पर ‘@ravindrabhati_9’ इंस्टाग्राम अकाउंट का वाटरमार्क लगा हुआ है. ये बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र के विधायक रविंद्र सिंह भाटी का अकाउंट है.
हमें इस अकाउंट पर भी वायरल वीडियो का लंबा वर्जन 4 अप्रैल, 2024 के एक पोस्ट में मिला. पोस्ट के कैप्शन के मुताबिक ये बाड़मेर में हुई नामांकन रैली का वीडियो है.
इसके बाद हमें इस बारे में छपी अप्रैल 2024 की न्यूज रिपोर्ट्स भी मिलीं. इनमें बताया गया है कि रविंद्र सिंह भाटी, साल 2024 में बाड़मेर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे. तब 4 अप्रैल, 2024 को हुई उनकी नामांकन रैली में लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए थे. हालांकि, बाद में कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने लोकसभा चुनाव में भाटी को हरा दिया था.
अप्रैल 2024 में भाटी की इस रैली के और भी कई वीडियो सामने आए थे. गौर से देखने पर पता चलता है कि लोगों ने हाथों में जो पीले झंडे पकड़े हैं, उनमें भाटी की तस्वीर बनी हुई है.
हालांकि, कथावाचक वाले मामले से नाराज लोगों ने इटावा में सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया है. लेकिन, वायरल वीडियो 2024 में बाड़मेर में हुई एक रैली का है, जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
संजना सक्सेना