फैक्ट चेक: क्या है महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मुस्लिमों को 'तस्बीह' बांटने का सच?

ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ पुलिसकर्मी गली में मुस्लिम समुदाय के लोगों को तस्बीह (खुदा का नाम जपने की माला) बांट रहे हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
महाराष्ट्र में नई सरकार बनते ही पुलिस ने मस्जिद के बाद 'तस्बीह' बांटना शुरू किया.
सच्चाई
वायरल वीडियो कौमी एकता सप्ताह का है जो हर साल मनाया जाता है.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:17 PM IST

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर पिछले हफ्ते गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब रही. हालांकि, तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने इस गठबंधन को 'अवसरवादी' बताया और शिवसेना पर आरोप लगाया कि उसने अपनी 30 साल पुरानी सहयोगी बीजेपी की 'पीठ में छुरा' घोंपा है. कुछ ने इस गठबंधन को सांप्रदायिक रंग देते हुए ऐसी घटनाओं को भी इस सरकार के गठन से जोड़ दिया, जिसका इससे कोई संबंध नहीं है.

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ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ पुलिसकर्मी गली में मुस्लिम समुदाय के लोगों को तस्बीह (खुदा का नाम जपने की माला) बांट रहे हैं.

ट्विटर पर अक्सर राजनीतिक टिप्पणी करने वाली मधु पूर्णिमा किश्वर ने उद्धव ठाकरे सरकार को निशाने पर लेते हुए इस वीडियो को ट्वीट किया और साथ में हिंदी में कैप्शन लिखा,  'सेक्युलरिज्म शुरू. शपथ लेते ही महाराष्ट्र में सेक्युलरिज्म की बहार आ गई. मुंब्रा में जुमे की नमाज के बाद कौसा मस्जिद के बाहर बुला-बुला कर तस्बीह बांटते हुए पुलिस वाले. जय महाराष्ट्र.'

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा भ्रामक है. वीडियो में जो पुलिसकर्मी तस्बीह बांटते दिखाई दे रहे हैं, वह 'कौमी एकता सप्ताह' (National Integration Week)  आयोजन का हिस्सा हैं जो सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए हर साल देश भर में आयोजित होता है. यह कहना गलत है कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद यह आयोजन किया गया है.

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यह स्टोरी लिखे जाने तक मधु किश्वर का यह ट्वीट करीब 4500 बार रीट्वीट किया जा चुका है. 30 सेकेंड का यह वीडियो करीब 7000 बार देखा जा चुका है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है. यह वीडियो फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी वायरल हो रहा है.

AFWA की पड़ताल

हमने मुंब्रा पुलिस थाने के सीनियर इंस्पेक्टर एमएस कद से संपर्क किया और उनसे बात करके इसके पीछे की सच्चाई सामने आ गई. उन्होंने कन्फर्म किया कि यह वीडियो मुंब्रा का ही है और यह एक वार्षिक आयोजन है. इसका नई सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.

एमएस कद ने ​बताया, 'यह आयोजन कौमी एकता सप्ताह का हिस्सा था. यह हर साल पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. पुलिस और समुदाय के बीच दूरी को पाटने और विश्वास बढ़ाने के लिए इस सप्ताह का आयोजन किया जाता है. इस बार यह आयोजन 29 नवंबर, शुक्रवार को हुआ था.'

कौमी एकता सप्ताह केंद्र सरकार का आयोजन है जो पूरे देश में सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है. यह कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती, यानी हर साल 19 नवंबर को शुरू होता है और एक सप्ताह तक मनाया जाता है. पिछले साल यह 19-25 नवंबर  के बीच मनाया गया था.

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इंस्पेक्टर एमएस कद ने यह भी स्पष्ट किया कि इस साल यह कार्यक्रम उनकी तरफ से देर से शुरू हुआ था इसलिए 29 नवंबर तक खिंच गया. मुंब्रा में आयोजित इस कार्यक्रम की खबर मराठी अखबार लोकमत  में प्रकाशित भी हुई थी.

इंडिया टुडे ने सब-इंस्पेक्टर विनायक कराडे से भी बात की जो इस वायरल वीडियो में देखे जा सकते हैं. कराडे ने हमें बताया कि उन्होंने मुंब्रा के कौसा मस्जिद के सामने 29 नवंबर को तस्बीह बांटकर कौमी एकता सप्ताह मनाया.

कराडे ने कहा, 'सिर्फ कौमी एकता सप्ताह के दौरान ही नहीं, बल्कि हर शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय को बधाई देते हैं और कभी-कभी गुलाब के फूल भी बांटते हैं. हम मानते हैं कि इससे पुलिस और लोगों के ​बीच एकता बढ़ती है और उनके बीच की दूरी कम होती है. वीडियो के साथ किया जा रहा दावा राजनीति से प्रेरित है.' कराडे ने हमें कुछ तस्वीरें भी भेजीं जिसमें वे और उनके अन्य सहकर्ती मुस्लिम समुदाय के लोगों को फूल बांटते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह तस्वीरें 22 नवंबर को ली गई हैं.

हमने कौसा मस्जिद के सदस्यों से भी बात करने की कोशिश की है. उनका जवाब आते ही इस लेख को अपडेट कर दिया जाएगा. लेकिन यह स्पष्ट है कि वायरल हो रहे वीडियो में जो आयोजन दिख रहा है वह कौमी एकता सप्ताह का है जो हर साल पूरे देश में मनाया जाता है और इसका महाराष्ट्र में नई सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.

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