फैक्ट चेक: बलिया के पूर्व DM ने 2019 में की थी BSP नेता के जूतों और गाड़ी पर टिप्पणी, मामला अभी का बताकर हुआ वायरल

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें एक जिलाधिकारी के बयान को शेयर किया जा रहा है. बसपा नेता के जूतों और गाड़ी पर टिप्पणी को वर्तमान समय का बताकर वायरल किया जा रहा है. तो जानिए क्या है सच्चाई.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
बलिया के डीएम ने कहा है कि तीस लाख की गाड़ी में चलने वाला और दस हजार के जूते पहनने वाला व्यक्ति दलित कैसे हो सकता है.
सच्चाई
इस तरह का बयान बलिया के पूर्व डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने 2019 में दिया था, न कि अभी. इसको लेकर खंगारौत ने माफी भी मांगी थी. अब वो बलिया के डीएम नहीं है.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST

“तीस लाख की गाड़ी में चलने वाला और दस हजार के जूते पहनने वाला व्यक्ति दलित कैसे हो सकता है?”. कुछ सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो ये बयान बलिया, यूपी के जिलाधिकारी (डीएम) ने दिया है. बलिया डीएम के इस कथित बयान को शेयर करते हुए बहुत सारे लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं.

वायरल पोस्ट में लिखा है, “दोस्तों जोरदार आवाज उठाओ बलिया के डीएम ठाकुर साहब ने बहुत सही बोला है कि 30 लाख की गाड़ी में चलने वाले 10,000 का जूता पहनने वाले दलित कैसे हो सकते है तब से फर्जी दलित उनके पीछे पड़े हैं ऐसे ईमानदार और सज्जन इंसान के  सपोर्ट में जुट जाओ #i_support_baliya_dm”.

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फेसबुक पर ऐसे एक पोस्ट को पांच हजार से भी ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. फेसबुक पर भी ये दावा काफी वायरल है. ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.  

‘आजतक फैक्ट चेक’ ने पाया कि इस तरह बयान बलिया के पूर्व डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने साल 2019 में दिया था न कि अभी. इस बयान को लेकर खंगारौत ने माफी भी मांगी थी. अब वो बलिया के डीएम नहीं है.

वर्तमान में बलिया के डीएम रविंद्र कुमार हैं. उन्होंने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है.

कैसे पता लगाई सच्चाई?

कुछ कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें इस घटना से संबंधित कई रिपोर्ट्स मिलीं. ये मामला बलिया के एक स्कूल में दलित छात्रों के साथ हुए कथित भेदभाव को लेकर शुरू हुआ था. तीन सितंबर, 2019 को छपी ‘पत्रिका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बलिया जिले में ​स्थित रामपुर प्राथमिक स्कूल के एक वीडियो के जरिए दावा किया गया था कि वहां कुछ बच्चे, दलित बच्चों से अलग हटकर भोजन करते हैं. इस मामले को लेकर मीडिया में चर्चा शुरू हो गई और दलित छात्रों के साथ भेदभाव के आरोप लगाए जाने लगे.  

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इसका संज्ञान लिया और सच जानने के लिए पार्टी के चीफ जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. मदन राम को बलिया के इस विद्यालय में भेजा. इसी दौरान बलिया के तत्कालीन डीएम भवानी सिंह खंगारौत भी वहां पहुंच गए. मामले को लेकर उनकी मदन राम से नोकझोंक हो गई. इसी दौरान खंगारौत ने मदन राम की गाड़ी, जूतों और घड़ी पर टिप्पणी कर दी.

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और दलितों ने खंगरौत की आलोचना करना शुरू कर दी. वायरल वीडियो में खंगारौत ये कहते हुए सुने गए कि 25 लाख की गाड़ी में घूमने वाले यहां राजनीति करने आए हैं. बाद में खंगारौत, बसपा नेता से उनकी घड़ी और जूतों के दाम भी पूछने लगे.

बसपा नेता ने इसको लेकर आपत्ति जताई और डीएम की मानसिकता पर सवाल उठाए. खंगारौत के ऐसे बर्ताव को लेकर बवाल खड़ा हो गया और उन्हें ट्विटर पर माफी मांगनी  पड़ी.

नवंबर 2019 में उनका बलिया से तबादला हो गया था. फिलहाल वो “मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड” के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.  

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