फैक्ट चेक: फिलहाल लैब में नहीं बन सकते हैं बच्चे, वायरल वीडियो सिर्फ एक कल्पना है

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला कहती है, 'अब बच्चे पैदा करेंगे मशीन...' इस वीडियो को कुछ लोग ऐसे पेश रहे हैं जैसे कि असल में ये तकनीक आ चुकी हो. घाइली के मुताबिक, इस वीडियो को बनाने का मकसद इस उभरती तकनीक के बारे में चर्चा शुरू करना है जिसे शायद हम आने वाले वक्त में देख सकेंगे.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये एक ऐसी लैब है जिसकी मदद से कृत्रिम तरीके से बच्चे पैदा किए जा सकते हैं.
सच्चाई
ये लैब महज एक कॉन्सेप्ट है. असल में लैब में बच्चे पैदा करने की कोई तकनीक फिलहाल उपलब्ध नहीं है.

विकास भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

अगर कोई आपसे कहे कि वैज्ञानिकों ने बच्चे पैदा करने की एक ऐसी फैक्ट्री बना ली है, जिसमें हर साल तीस हजार बच्चे पैदा किए जा सकते हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे? कुछ ऐसे ही दावे के साथ एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. 

इस वीडियो में हजारों पारदर्शी मर्तबानों में नन्हे शिशु लेटे हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो के वॉयस ओवर में एक महिला कहती है, 'अब बच्चे पैदा करेंगे मशीन...' साइंटिस्ट हाशेम अल-घाइली ने ये वीडियो पोस्ट किया है और ये दावा किया है कि उनकी कंपनी ‘एक्टोलाइफ’ ने एक पॉड तैयार किया है जिसमें आर्टिफिशियल तरीके से बच्चों को जन्म दिया जाएगा."

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महिला आगे कहती है कि ये तकनीक उन दंपतियों के लिए बहुत मददगार साबित होगी जिनके बच्चे नहीं हो रहे हैं. जिन महिलाओं का यूटरस यानि बच्चेदानी नहीं है, वो भी अब इस तकनीक से मां बन सकेंगी. 


इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वर्तमान में कहीं भी बच्चे बनाने वाली लैब या फैक्ट्री नहीं है. वायरल वीडियो एक जर्मन वैज्ञानिक की कल्पना के आधार पर बनाया गया एक भविष्य का कॉन्सेप्ट डिजाइन है, जिसे बहुत सारे लोगों ने हकीकत समझ लिया.  

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये वीडियो महज एक कॉन्सेप्ट है और अभी तक आर्टिफिशियल भ्रूण विकसित करने की कोई मशीन नहीं बनी है. रिपोर्ट के मुताबिक ये कॉन्सेप्ट जर्मन वैज्ञानिक हाशेम अल-घाइली के दिमाग की उपज है. असल में ‘एक्टोलाइफ’ किसी कंपनी का नहीं, बल्कि इस कॉन्सेप्ट का नाम है. 

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यूएसए टुडे को दिए गए एक इंटरव्यू में घाइली ने बताया है कि इस वीडियो को कुछ लोग ऐसे पेश रहे हैं जैसे कि असल में ये तकनीक आ चुकी हो. घाइली के मुताबिक, इस वीडियो को बनाने का मकसद इस उभरती तकनीक के बारे में चर्चा शुरू करना है जिसे शायद हम आने वाले वक्त में देख सकेंगे. 

ये वीडियो हमें घाइली के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी मिला. इस कॉन्सेप्ट वीडियो में बताया गया है कि ‘एक्टोलाइफ’ एक ऐसा पैकेज ऑफर करता है जिसके तहत माता-पिता अपने बच्चे के बालों का रंग, त्वचा का रंग, लंबाई, और बुद्धि का स्तर तक चुन सकेंगे. 


घाइली की वेबसाइट के मुताबिक वो एक जीव वैज्ञानिक, फिल्म निर्माता और साइंस कम्यूनिकेटर हैं. वो सोशल मीडिया के जरिए लोगों को विज्ञान के बारे में शिक्षित करने की कोशिश करते हैं. विज्ञान से जुड़े नए-नए कॉन्सेप्ट्स की परिकल्पना करते हैं. इनमें 'स्काई क्रूज फ्लाइंग होटल' नाम का एक उड़ने वाला होटल और दुनिया की पहली कृत्रिम गर्भ सुविधा ‘एक्टोलाइफ’ शामिल हैं. 

कृत्रिम गर्भ पर चल रहा है काम  

'आर्टिफिशियल गर्भ प्रौद्योगिकी' (Artificial womb technology), जिसे आम तौर पर 'एक्टोजेनेसिस' भी कहा जाता है, अभी प्रारम्भिक चरण में है. इसके जरिये शरीर के बाहर भ्रूण का आंशिक या पूर्ण विकास मुमकिन हो सकेगा. 

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पिछले साल ये वीडियो इसी दावे के साथ मलयालम भाषा में वायरल हुआ था. उस वक्त भी हमने इसकी सच्चाई बताई थी. 
 

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