जंग में 'सेफ जोन' पर अटैक से चौतरफा घिरा इजरायल, जानें- रफाह में कैसे हैं ताजा हालात

पिछले साल सात अक्टूबर से शुरू हुई इजरायल और हमास की जंग अब और खतरनाक होती जा रही है. बीते तीन हफ्तों से इजरायली सेना ने रफाह में ऑपरेशन तेज कर दिया है. रफाह वो शहर था जहां गाजा के 10 लाख से ज्यादा शरणार्थियों ने शरण ले रखी थी. ऐसे में समझना जरूरी है कि आखिर रफाह में इजरायली सेना ने हमले तेज क्यों कर दिए?

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रफाह शहर में तीन हफ्तों से इजरायली सेना का ऑपरेशन जारी है. रफाह शहर में तीन हफ्तों से इजरायली सेना का ऑपरेशन जारी है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2024,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

गाजा पट्टी के रफाह शहर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. तीन हफ्ते से इजरायली सेना यहां ताबड़तोड़ हमले कर रही है. इजरायली हमलों के कारण रफाह में रहने वाले लोगों की हालत बिगड़ती जा रही है. 

न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, गाजा के हरेक एंट्री प्वॉइंट्स पर इजरायली सेना तैनात हैं. इस कारण यहां मानवीय सहायता भी नहीं पहुंच पा रही है. इससे पता चलता है कि इजरायली सेना रफाह में जमीनी हमले और तेज करने जा रही है.

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एक ओर, रफाह में कार्रवाई को लेकर दुनियाभर में इजरायल की निंदा हो रही है. दूसरी ओर, इजरायल का कहना है कि हमास के खात्मे तक जंग जारी रहेगी.

गाजा पट्टी में रफाह इकलौता ऐसा शहर था, जहां लाखों फिलीस्तीनियों ने शरण ले रखी थी. इतना ही नहीं, रफाह से ही पूरी गाजा पट्टी में मानवीय सहायता भी पहुंचाई जा रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इजरायली सेना ने रफाह में इतनी सख्त कार्रवाई क्यों कर रही है?

रफाह पर हमलों के पीछे इजरायल का मकसद क्या?

रफाह पर इजरायली सेना का ऑपरेशन 6 मई से शुरू हुआ है. लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 9 फरवरी को रफाह में ऑपरेशन चलाने की बात कही थी. उनका कहना था कि उनका मकसद हमास को खत्म करना है. उनका दावा है कि रफाह शहर में हमास की चार बटालियन हैं.

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फरवरी में नेतन्याहू ने कहा था कि जब तक रफाह से हमास की चार बटालियन को खत्म नहीं कर दिया जाता, तब तक इस जंग का मकसद हासिल नहीं होगा.

तब इजरायल के पीएम ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि रफाह में बड़ा ऑपरेशन चलाने से पहले वहां बसे आम नागरिकों को निकालना जरूरी है, इसलिए प्रधानमंत्री ने इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) को लोगों को वहां सुरक्षित निकालने और हमास की बटालियन को खत्म करने का प्लान मांगा है.

नेतन्याहू ने कहा था कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई तभी बंद होगी, जब पूरी तरह से हमास का खात्मा हो जाएगा. 

उन्होंने कहा था, 'अगर हम हमास के आतंकियों को खत्म नहीं करते हैं, तो ये नए नाजी कभी भी अगला नरसंहार कर सकते हैं.' उन्होंने ये भी कहा था कि रफाह में इजरायली सेना को न घुसने देना जंग हारने जैसा होगा.

रफाह में बना राहत कैंप. (फोटो-AP)

रफाह में इजरायल का एक्शन

7 अक्टूबर को हमास से जंग शुरू होने के सात महीने बाद इजरायली सेना ने 6 मई को रफाह में ऑपरेशन शुरू किया. आईडीएफ ने हमास के 20 लड़ाकों को मार गिराने और तीन सुरंगें ढूंढने का दावा किया था.

इजरायली सेना ने मिस्र से लगने वाली गाजा पट्टी की सीमा पर पूरी तरह से कब्जा कर करने का दावा किया है. ये सीमा सिर्फ 100 मीटर चौड़ी है और 13 किलोमीटर लंबी है. इजरायली सेना ने इस बॉर्डर को हमास की 'लाइफलाइन' बताया है. उसका दावा है कि इसी बॉर्डर के जरिए हमास गाजा में हथियार स्मगल करता है. इजरायली सेना ने यहां हथियार स्मगलिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली 20 सुरंगें मिलने का दावा भी किया है.

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20 मई को आईडीएफ ने हमास के 30 लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया था. इस दौरान आईडीएफ ने रफाह न सिर्फ जमीनी हमले बल्कि हवाई हमले भी तेज कर दिए थे. 

27 मई को आईडीएफ ने रफाह में सबसे भयावह और घातक हमला किया था. इजरायली सेना ने रफाह में एक राहत कैंप पर हवाई हमले किए. इजरायल ने राहत कैंप पर 900 किलो वजनी बम गिराए थे. ये पहली बार था जब इजरायल ने राहत कैंप को टारगेट किया था. इस हमले में हमास ने 45 नागरिकों के मारे जाने का दावा किया था.

राहत कैंप पर हमले को लेकर दुनियाभर में इजरायल की आलोचना हुई. इसके बाद नेतन्याहू ने इस हमले को 'त्रासद दुर्घटना' बताया. इजरायली संसद को संबोधित करते हुए नेतन्याहू ने कहा, 'जो इस जंग में शामिल नहीं हैं, उन्हें नुकसान न पहुंचाने की तमाम कोशिशों के बावजूद कल रात एक त्रासद दुर्घटना हुई. हम इस मामले की जांच करेंगे.'

हालांकि, इस हमले के तुरंत बाद आईडीएफ ने दावा किया था कि उन्होंने हमास के ठिकाने को निशाना बनाया था. इस हमले में आईडीएफ ने हमास के दो टॉप कमांडर- यासिन राबिया और खालेद नज्जर को मार गिराने का दावा किया था.

(फोटो- AP)

रफाह इतना जरूरी क्यों?

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पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद ये जंग शुरू हुई थी. इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमला कर दिया था. उस समय नेतन्याहू ने इसे हमास के खिलाफ जंग बताया था. हमास को इजरायल आतंकी संगठन मानता है.

हमास के खिलाफ गाजा में जंग शुरू करने के बाद इजरायल ने आम नागरिकों से उत्तर से दक्षिण जाने की अपील की थी. रफाह शहर गाजा के दक्षिण में है. 7 अक्टूबर से पहले यहां की आबादी 3 लाख थी. लेकिन इजरायल के हमलों के बाद यहां की आबादी 14 लाख हो गई, जिनमें 11 लाख से ज्यादा शरणार्थी थे.

रफाह इसलिए मायने रखता था, क्योंकि यही एकमात्र ऐसा शहर था जिसकी सीमा इजरायल से नहीं लगती थी. मिस्र और गाजा की सीमा पर रफाह क्रॉसिंग थी और गाजा में सारी मानवीय सहायता यहीं से पहुंच रही थी. अब रफाह में इजरायली हमले तेज होने के बाद ये भी बंद हो गया है.

शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNRWA से जुड़े फिलिप लैजरानी का कहना है कि पिछले तीन हफ्तों में 10 लाख से ज्यादा लोगों ने रफाह छोड़ दिया है.

बहरहाल, इजरायल और हमास में जारी जंग में लगभग आठ महीनों में 37 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि, लाखों लोग शरणार्थियों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं और राहत कैंपों में रह रहे हैं.

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