आजादी को 78 साल पूरे हो रहे हैं. बीते दो साल की तरह ही इस बार भी 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर अपील भी की थी. इसके बाद तिरंगे की बिक्री में 60 से 70 प्रतिशत का उछाल आया है.
'हर घर तिरंगा' अभियान पहली बार 2022 की 15 अगस्त को चलाया गया था. तब आजादी को 75 साल पूरे हुए थे. उसी साल सरकार ने फ्लैग कोड में भी कई बदलाव किए थे.
वैसे तो स्वतंत्रता दिवस के मौके पर घर पर तिरंगा फहराने का चलन नया नहीं है. लेकिन हर घर तिरंगा अभियान के कारण अब ज्यादातर सभी लोग अपने घर पर तिरंगा फहराने लगे हैं. हालांकि, घर पर तिरंगा फहराने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है. वरना जाने-अनजाने में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान भी हो सकता है. कुछ मामलों में तो तीन साल की कैद भी हो सकती है.
हमारे देश में तिरंगा फहराने से जुड़े सारे नियम-कायदे 'फ्लैग कोड 2002' के तहत आते हैं. ये फ्लैग कोड 26 जनवरी 2002 से लागू है. इससे पहले तक तिरंगा फहराने के नियम एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेन्शन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 और प्रिवेन्शन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के तहत आते थे.
फ्लैग कोड को तीन भाग में बांटा गया है. पहले भाग में तिरंगे से जुड़ी सामान्य जानकारियां हैं. दूसरे भाग में आम लोग, निजी संगठन और संस्थानों में तिरंगा फहराने से जुड़े नियम हैं. और तीसरे भाग में केंद्र, राज्य सरकार और उनसे जुड़े संगठन-एजेंसियों के तिरंगा फहराने से जुड़े नियम-कानून हैं.
ऐसे मिला आम लोगों को तिरंगा फहराने का अधिकार
आजादी के बाद कई सालों तक आम लोगों को घर पर तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था. मशहूर उद्योगपति और पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने आम नागरिकों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया.
दरअसल, अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब 1992 में नवीन जिंदल भारत वापस लौटे तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री में हर दिन तिरंगा फहराना शुरू कर दिया. इसके बाद प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी तो वो कोर्ट चले गए. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में फैसला दिया कि तिरंगा फहराना देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.
इस फैसले के बाद पीडी शेनॉय के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया. इस तरह से 2002 में फ्लैग कोड बनी. इस हर नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिल गया.
तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसका सम्मान करना मौलिक कर्तव्य. संविधान के अनुच्छेद 51A (a) में इसका प्रावधान है. ये अनुच्छेद कहता है कि तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करना भारत के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है.
2022 में हुए थे दो बड़े बदलाव
केंद्र सरकार ने 2022 में फ्लैग कोड के नियमों में दो बड़े बदलाव किए थे. पहला तो ये कि अब तिरंगे को रात में भी फहराया जा सकता है. पहले तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहरा सकते थे. लेकिन अब 24 घंटे घर पर तिरंगा फहरा सकेंगे. इस बदलाव के बाद अब आम लोग, निजी संगठन या संस्थान दिन और रात तिरंगा फहरा सकते हैं.
ऐसा इसलिए ताकि लोगों को घर पर तिरंगा फहराने के लिए मोटिवेट किया जा सके. अब तक लोगों को रात में तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं थी. लेकिन अब रात में भी तिरंगा फहरा सकते हैं.
और दूसरा बदलाव ये है कि अभी तक हाथ से बुना और काता हुआ ऊन, कपास या रेशमी खादी से बना राष्ट्रीय ध्वज ही फहराने की इजाजत थी, लेकिन अब मशीन से बना हुआ कपास, ऊन या रेशमी खादी से बना तिरंगा भी फहरा सकेंगे. साथ ही अब पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकता है.
तिरंगे का साइज क्या होगा?
भारत में तिरंगे के साइज को लेकर कोई नियम नहीं है. ये कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा हो सकता है. लेकिन तिरंगा हमेशा आयताकार होगा, जिसका अनुपात 3:2 होगा.
हालांकि, VVIP के एयरक्राफ्ट पर 450X300 mm, मोटर कार पर 225X150 mm और टेबल पर 150X100 mm साइज का तिरंगा होगा.
तिरंगे में हमेशा सबसे ऊपर केसरिया और नीचे हरा रंग होगा. बीच में सफेद कलर होगा, जिस पर अशोक चक्र बना रहेगा. अशोक चक्र के अंदर 24 तीलियां ही होंगी.
क्या कागज से बना तिरंगा खरीद सकते हैं?
वैसे तो कागज से बने तिरंगे नहीं बनाए जा सकते. लेकिन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कागज से बने तिरंगे फहराए जा सकते हैं.
फ्लैग कोड के इन खास दिनों में कागज से बने तिरंगों को फहराया जा सकता है, लेकिन इसे फेंका या फाड़ा नहीं जा सकता. कागज से बने तिरंगों का सम्मान के साथ डिस्पोजल जरूरी है.
क्या गाड़ियों पर लगा सकते हैं तिरंगा?
तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसे आप अपनी गाड़ी पर लगाकर घूम सकें. फ्लैग कोड के मुताबिक, सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ही तिरंगा लगाने की इजाजत है.
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, राज्यों के राज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, विदेशों में नियुक्त भारतीय दूतावासों और कार्यालयों के अध्यक्ष, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री, राज्य की विधान परिषदों के सभापति और उप सभापति, भारत के चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज अपने वाहन में तिरंगा लगा सकते हैं.
इसके अलावा अगर किसी विदेशी अतिथि को केंद्र सरकार की ओर से कार मुहैया कराई जाती है, तो उस कार की दाईं ओर तिरंगा, जबकि बाईं ओर उस देश का राष्ट्रीय ध्वज लगेगा. अगर राष्ट्रपति किसी विशेष ट्रेन से यात्रा करते हैं तो जब गाड़ी खड़ी रहेगी, तब ड्राइवर के केबिन पर प्लेटफॉर्म की ओर तिरंगा लगेगा. अगर राष्ट्रपति किसी विमान से यात्रा करते हैं तो उस पर भी राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाएगा. इसी तरह प्रधानमंत्री या उपराष्ट्रपति किसी देश की यात्रा करते हैं तो विमान पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाता है.
तिरंगे का अपमान कब माना जाएगा?
जब आप घर में तिरंगा फहराएं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वो झुका न हो, वो जमीन से टच न हो रहा हो या फिर पानी न लग रहा हो. अगर ऐसा होता है तो ये तिरंगे का अपमान होगा.
तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया और सबसे नीचा हरा रंग होना चाहिए. किसी भी स्थिति में ऊपर हरा और नीचे केसरिया रंग नहीं होना चाहिए.
झंडे पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता. तिरंगे को किसी ड्रेस या यूनिफॉर्म के किसी हिस्से में भी लगाने की मनाही है. न ही किसी रूमाल, तकिया या नैपकिन में तिरंगे की डिजाइन होनी चाहिए.
झंडे को किसी भी रूप में लपेटने, जिसमें किसी व्यक्ति की शवयात्रा भी शामिल है, के काम में नहीं लाया जा सकता. किसी सामान को देने, पकड़ने या ले जाने के तौर पर भी इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता. हालांकि, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समेत खास अवसरों पर तिरंगे के अंदर फूलों की पंखुड़ियां रखी जा सकती हैं.
राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किसी मूर्ति या इमारत को ढंकने के लिए नहीं किया जा सकता. किसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल स्पीकर की टेबल को ढंकने या मंच को सजाने के लिए नहीं होगा. किसी वाहन, रेलगाड़ी, नाव या हवाई जहाज में भी इसे नहीं लगाया जा सकता. सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के वाहन में ही इसे लगाने की इजाजत है.
झंडा फटा हुआ या मैला-कुचैला नहीं होना चाहिए. घर पर या किसी भी संस्थान में तिरंगा फहराया जा रहा है, तो उसके बराबर या उससे ऊंचा कोई दूसरा झंडा नहीं होना चाहिए.
अगर ऐसा किया तो क्या हो सकता है?
अगर आप घर पर तिरंगा फहरा रहे हैं और वो किसी कारण से फट जाता है या पुराना हो जाता है, तो उसे सम्मानित तरीके से डिस्पोज किया जाएगा. तिरंगे को सम्मान के साथ एकांत में कहीं जलाकर या दूसरे तरीके से नष्ट कर सकते हैं.
तिरंगे का अपमान करने पर 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. इसके लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 में प्रावधान किया गया है. इसके तहत किसी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे और संविधान को जलाना, कुचलना, फाड़ना या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना अपराध होगा.
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