नेहरू-गांधी परिवार पर इतने सवाल क्यों? विपक्ष के आरोपों पर मंत्री रिजिजू ने दिया जवाब

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम में नेहरू-गांधी परिवार के नाम से सरकारी संस्थानों, एयरपोर्ट और सड़कों के नामकरण पर अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे, इसलिए इतिहास में उनका नाम आना स्वाभाविक है.

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संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने एजेंडा आजतक के मंच पर दिए सवालों के जवाब संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने एजेंडा आजतक के मंच पर दिए सवालों के जवाब

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने तमाम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी. कार्यक्रम के दौरान 'संसद यूं ही चलेगी' के विशेष सत्र में शिरकत करने पहुंचे किरेन रिजिजू ने कई सवालों के जवाब दिए और इसी सिलसिले में उन्होंने कहा कि हम पर विपक्ष हमेशा ये गलत सवाल उठाता है कि हम नेहरू-गांधी परिवार का इतना नाम क्यों लेते हैं. उन्होंने इसके जवाब में यह भी कहा कि देश में नामकरण की परंपरा में नेहरू-गांधी परिवार के नाम से बहुत नामकरण हुआ है और जब हर जगह उनका ही नाम दिखता है तो स्वाभाविक है कि चर्चा भी उन पर ही होगी और सवाल भी उन पर ही उठेंगे. 

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नेहरू की विरासत पर चर्चा क्यों स्वाभाविक है?

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पंडित नेहरू 17 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे, इसलिए जब भी इतिहास की बात होगी, उनका नाम आना स्वाभाविक है. उन्होंने आगे कहा कि सरकारी संस्थानों, एयरपोर्ट, सड़कों और विश्वविद्यालयों का बड़े पैमाने पर गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर नामकरण हुआ है, ऐसे में जब उनकी चर्चा की जाती है तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने कहा कि 'पं. नेहरू 17 साल देश के पीएम रहे हैं. इतिहास पर चर्चा करेंगे तो उनका ही नाम लेंगे न. कल को हमारी सरकार भी नहीं होगी, तो बीते समय की बात होगी तो हमारी भी बात की जाएगी. ये तो नेचुरल प्रोसेस है. इस पर हमें दोष नहीं दिया जाना चाहिए. देश में गांधी-नेहरू परिवार के नाम से इतना नामकरण हुआ है. सोनिया जी दिल्ली में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से प्लेन में बैठकर आए. वहां सीधा पहुंचा राजीव गांधी ग्राउंड पर उतरीं. मैं 2007 की यूपीए की बात कर रहा हूं. राजीव गांधी ग्राउंड से वह पहुंची अरुणाचल यूनिवर्सिटी, जिसका नाम बदलकर राजीव गांधी यूनिवर्सिटी किया जाने वाला था, उसके उद्घाटन के लिए गईं. 

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वहां से वह एक डिप्लोमा इंस्टीट्यूट (ईटानगर) गईं, उसका नाम राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी है. फिर वहां से वह इंदिरा गांधी म्यूजियम का उद्घाटन करने गईं. उन्होंने एक दिन चक्कर लगाया और पूरा एक दिन उन्होंने इंदिरागांधी से राजीव गांधी और नेहरू तक नामकरण किया. फिर हमको लोग कहते हैं कि इंदिरा का नाम मत लो, राजीव गांधी का नाम मत लो. जवाहर लाल नेहरू का नाम मत लो.' सरकारी पैसे से बना एयपोर्ट, सरकारी इंस्टीट्यूट, सरकारी सड़क सभी का नाम उनके परिवार से रखा गया है. तो किसका नाम लेंगे, उनका ही तो नाम लेंगे.

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