मिर्जापुर एक्टर बोले- मेरा करियर खत्म हो रहा था, OTT ने बचा लिया

अमित स्याल ने कहा कि मेरे लिए अप्रोच काफी सिंपल था, मेरा करियर खत्म हो रहा था. मुझे ऐसी फिल्में नहीं मिल रही थी जिनका मैं हिस्सा होना चाहता था और मुझे जो भी मिल रहा था वो मेरे लिए बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं था. ओटीटी ने मेरे करियर को बचाया है. ऐसा मैं इसलिए भी कह सकता हूं क्योंकि मैं हार मानने की स्थिति में था और मैं काफी हद तक ऐसे हालातों में था जहां मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना है.

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अमित सियाल सोर्स इंस्टाग्राम अमित सियाल सोर्स इंस्टाग्राम

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

सुपरहिट वेबसीरीज मिर्जापुर में इंस्पेक्टर का किरदार निभाकर चर्चा में आए एक्टर अमित स्याल का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म ने उनके करियर में नई जान फूंकी है. अमित फिल्म तितली में भी अपनी जबरदस्त अभिनय क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन उन्हें फिल्मों में ज्यादा चुनौतीपूर्ण किरदार नहीं मिल रहे थे जिसके बाद वे अपने करियर के बारे में काफी गंभीरता से सोचने लगे थे हालांकि इसी बीच ओटीटी 

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अमित ने कहा कि मेरे लिए अप्रोच काफी सिंपल था, मेरा करियर खत्म हो रहा था. मुझे ऐसी फिल्में नहीं मिल रही थी जिनका मैं हिस्सा होना चाहता था और मुझे जो भी मिल रहा था वो मेरे लिए बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं था. ओटीटी ने मेरे करियर को बचाया है. ऐसा मैं इसलिए भी कह सकता हूं क्योंकि मैं हार मानने की स्थिति में था और मैं काफी हद तक ऐसे हालातों में था जहां मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना है और कैसे अपने करियर को आगे बढ़ाना है. इसके बाद मुझे इनसाइड एज नाम की वेबसीरीज मिली और इसके बाद मेरा करियर कई मायनों में बेहतर हुआ.

OTT को प्राथमिकता देते हैं अमित

बता दें कि अमित इसके अलावा जमतारा, स्मोक, हॉस्टेजेस जैसी वेबसीरीज का भी हिस्सा रह चुके हैं.  अमित ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे लिए ये एक अच्छा बदलाव रहा है क्योंकि मैं कई दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने में कामयाब रहा हूं और मैं अपने करियर और अपनी जिंदगी में ऐसा ही कुछ काम करना चाहता हूं. अमित ने ये भी कहा कि वे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इस फॉर्मेट में कंटेंट का स्तर कहीं बेहतर होता है.

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उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म और फिल्मों के बीच कम होते अंतर पर कहा कि किसी भी वेबसीरीज में कहीं ना कहीं उतनी ही लगन और मेहनत लगती है जितनी किसी फिल्म में लगती है और ऐसा नहीं है कि ओटीटी का कंटेंट किसी भी मायने में फिल्मों से कम होता है. ये फॉर्मेट अलग है लेकिन किसी भी ओटीटी प्रोजेक्ट में फिल्म की तरह ही काफी काम करना होता है. अब फिल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आ रही हैं, ऐसे में दोनों के बीच अंतर कम होता जा रहा है.  

 

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