Exclusive: सेकुलर बनना सरकार का काम-मैं प्राउड हिंदू बनना चाहता हूं, मनोज मुंतशिर ने कहा

तेरी मिट्टी में मिल जाऊं जैसे देशभक्ति गीत के राइटर Manoj Muntashir ने 26 जनवरी के मौके पर 'मैं उस भारत से आता हूं कविता लिखा है'. इस कविता को उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड भी किया है. सोशल मीडिया पर मनोज की यह कविता कई लोगों का ध्यान खींच रही है.

Advertisement
मनोज मुंतशिर मनोज मुंतशिर

नेहा वर्मा

  • मुंबई,
  • 26 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST
  • रिपब्लिक डे पर फैंस के लिए मनोज मुंतशिर ने पेश की कविता
  • देशभक्ति पर खुलकर की मनोज ने बात

Manoj Muntashir अपनी इस कविता को Republic Day पर फैंस के लिए तोहफा बता रहे हैं. इसके साथ ही मनोज आजतक डॉट इन से देशभक्ति, intolerance, secularism पर दिल खोलकर बातचीत करते हैं. 

अपनी इस कविता के बारे में मनोज कहते हैं, मैं जिस भारत से आता हूं, उस भारत से 135 करोड़ लोग भी आते हैं. मेरा रोल बस यही है कि मैं लोगों को यही बात याद दिलाता हूं. ताकि लोगों को अपने रूट्स का पता हो. आपको गर्व होना चाहिए कि आपका जन्म इस देश में हुआ है. 

Advertisement

बचपन से ही देशभक्त किस्म का इंसान हूं 
बचपन के दिनों को याद करते हुए मनोज कहते हैं, मेरी मां मुझे बताती थी कि जब मैं तीन साल का था और जब कभी रेडियो पर देशभक्ति के गानें बजते थे, तो मैं सैल्यूट की मुद्रा में खड़ा हो जाया करता था. वहीं स्कूल के वक्त, जब भी 15 अगस्त या 26 जनवरी होता था, तो दोस्तों की इज्जत बचाने वाला मैं ही हुआ करता था. क्योंकि मैं स्टेज पर खड़े होकर ऐ वतन जैसे गाने बड़ी मस्ती से गाता था, आवाज अच्छी नहीं थी लेकिन बात इमोशन की थी. 

चाहता हूं भगवंत मान CM बनें, खिंचाई वाला वीडियो तो मेरा काम है: राजू श्रीवास्तव

तेरी मिट्टी ने मेरे अंदर के Patriotism को जगाया है

मेरा जो गाना है, तेरी मिट्टी, यह मेरे लिए भी खोज थी कि आखिर अंदर से मैं क्या हूं. मैं अंदर से जो भी हूं, उसमें बड़ा हाथ यह रहा कि इस गाने ने मुझे उभार दिया. पिछले काफी दिनों से हमने अपनी राष्ट्रियता का धरातल खोया है, हम जरूर तरक्की कर आगे निकले हैं लेकिन गहराई अब नहीं रही है. मेरे लिए गहराई यह है कि हमें अपने दस हजार साल को याद करने की जरूरत है. हम ऐसे देश में हैं, जहां राम, बुद्ध, विवेकानंद, कृष्ण पैदा हुए, जहां चार वेदों, उपनिषदों का जन्म हुआ. ये भारत जो अवतारों की भूमिका रही है, यहां की हर बात गौरान्वित करने वाली है लेकिन हमने कहीं यह सेंस ऑफ प्राइड मिस किया है. मैं तो मानता हूं, जो इंसान भारत देश में पैदा होता है, वो उसी वक्त स्पेशल हो जाता है. हमारे अंदर दस हजार साल का डीएनए होता है. 

Advertisement

चाहता हूं हमारा देश विश्व गुरू बन कर उभरे 

मेरे लिए देशभक्ति का मतलब पुरानी चीजों पर ढोल पीटना कतई नहीं है. मेरे लिए राष्ट्रियता का मतलब है कि मैं पुरानी बुनियादों पर नया महल बनाऊं. मैं लोगों को यह बताऊं कि उनके अंदर कितनी बड़ी शक्ति है. अब इसे आप देशभक्ति कह लें, लेकिन मैं दिल से चाहता हूं कि जब हम अपनी आजादी के सौ साल पूरा करें, तो उस वक्त विश्व गुरू के रूप में पूरी दुनिया को दिखाएं. यह तभी संभव होगा, जब हमें अपनी ताकत पता होगी. मैं वीडियोज भी इसलिए बनाता हूं ताकि लोगों को अपनी पोटेंशियल का अहसास हो. 

Happy Republic Day: गणतंत्र दिवस पर सुनें देशभक्ति से सराबोर ये सुपरहिट सॉन्ग्स

नेशनलिज्म पर कीचड़ उछालने भारत के लिए खतरनाक  

जितने लोग नेशनलिज्म के ऊपर कीचड़ उछालते हैं, मुझे लगता है कि इन सबको वाकई अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए. क्योंकि ये लोग भारत और भारतीयता दोनों के लिए ही खतरा है. मैं भी पॉलिटिकल स्टेटमेंट्स देखता हूं, मैंने अभी अखिलेश यादव जी का स्टेटमेंट सुना, जो कह रहे हैं कि पाकिस्तान हमारा दुश्मन नहीं है. सच कहूं, यह सुनने के बाद मुझे थोड़ी देर के लिए अच्छा नहीं लगा. मैं सोच रहा था कि इतना पढ़ा लिखा इंसान जब इस तरह की बात करता है, तो इसमें उसका एजेंडा भी समझ आता है.आप एक समूह या वर्ग विशेष को खुश करना चाहते हो. आप किसी एक समूह के लिए नेशनल इंट्रेस्ट के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं. आप यह कह दें कि पाकिस्तान या चीन आपका दुश्मन नहीं है, तो हो चुकी बात. आपको हमेशा अपने दोस्त और दुश्मन के बीच अंतर पता होना चाहिए. 

Advertisement

हां, मैं गर्व से कहता हूं नेशनलिस्ट हूं 
मुझे क्लैरिटी है कि हां, मैं नेशनलिस्ट हूं. मुझे ये क्लैरिटी है कि मैं हिंदूस्तानी हूं. मुझे इस बात की भी क्लैरिटी है कि मैं हिंदू और मुझे इन तीनों में कोई शर्मिंदगी नहीं है. मैं इन तीन चीजों पर बकायदा सीना ठोक कर प्राइड लेता हूं और मैं जो नहीं हूं, वो बताता हूं, मैं सेक्यूलर नहीं हूं. सेक्यूलर एक ऐसा शब्द है न, जो मुझे लगता है कि दुनिया का सबसे ज्यादा ओवर यूज्ड और अब्यूज्ड वर्ड है. आपको ऐसा बता दिया जाता है कि आप सेक्यूलर नहीं है, तो बड़े बुरे आदमी हैं. मैं नहीं हूं सेक्यूलर, मैं इसलिए ये नहीं हूं क्योंकि सेक्यूलर होना सरकार का काम है. सरकार जो अपनी योजना बनाए, उसे लेकर सेक्यूलर सोच हो. अगर मैं सेक्यूलर होता हूं, तो हिंदूज्म में यकीन नहीं करता, तो मैं कहता हूं कि मैं वसुधैव कुटुम्बकम में भी यकीन नहीं करता, मैं इसमें भी यकीन नहीं करता कि दुनिया में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया.. दुनिया में हर कोई सुखी हो और हर कोई खुश हो. तब मैं चार वेदों में यकीन नहीं करता, फिर मेरा विलिव सिस्टम क्या है यार. मैं सेक्यूलर बनना ही नहीं चाहता, मैं प्राउड हिंदू बनना चाहता हूं. मैं उस धर्म का नगाड़ा बजाता हूं जिसने पूरी दुनिया को बंधुत्व सीखाया है. कोई रिलीजन बुरा नहीं है, हर किसी को हक है कि वे अपना धर्म निभाए. 

Advertisement

इनटॉलेरेंस का ढोल बजाने वाले बाहर के देश का हाल देख लें 
देश में इनटॉलेरेंस का जिन लोगों ने भी नगाड़ा पिटा है, आप देखें न आफगानिस्तान, सीरिया की लड़ाईयां देखें, कौन किसको मार रहा है. कौन सुरक्षित है. जितनी भी लड़ाइयां हो रही है वो किसके बीच हो रही है. रही बात हमारे देश की, तो रिपोर्ट में जाहिर है कि हमारे देश में रहने वाले मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. आपको नब्बे करोड़ हिंदुओं से डरने की जरूरत है बल्कि आप ये सोचें कि नब्बे करोड़ हिंदू आपकी रखवाली में हैं. आप उन्हें अपनी ताकत क्यों नहीं समझते कि आपका कोई बाल बांका नहीं कर सकता है. लेकिन यह एंगल गलत दिखाया गया है, हमें दुश्मन बनाया जा रहा है. आप भाई बनकर तो आओ, आप मशीन व बम लेकर न आए. हम प्यार करेंगे, डरेंगे नहीं आपसे. 

सोशल मीडिया गुमराह करती है जनता को

सोशल मीडिया अब वर्चुअल वर्ल्ड नहीं रहा है. यह अब असल जिंदगी में तब्दील होता जा रहा है, जो दुखद है. अब जो फेसबुक या वॉट्सएप पर कोई इंफोर्मेशन आती है, तो लोग उसे सच मान लेते हैं. मेरे पापा कई बार कहते हैं कि फेसबुक पर पढ़ा था. मैं उनको समझाने की कोशिश करता हूं कि पापा फेसबुक पर कोई कुछ भी लिख सकता है. आप देख लें कि किस तरह हमारे देश की भोली-भाली जनता को गुमराह किया जा रहा है. मैं तो कहता हूं कि अगर आपको किसी चीज पर संदेह है, तो गूगल पर रिसर्च कर आप उसकी तह तक जा सकते हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement