एक्टर विक्की कौशल ने अपनी पहली फिल्म 'मसान' से ही स्टारडम की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कर दी थी. उनकी पिछली फिल्म 'छावा' ने दुनियाभर में ₹807 करोड़ से ज्यादा की कमाई की. दूसरी ओर, एक्टर बॉबी देओल लंबे समय के बाद अपने करियर को दोबारा मजबूत कर रहे हैं. भले ही दोनों के रास्ते अलग रहे हैं, लेकिन डायरेक्टर अनुराग कश्यप का मानना है कि इन दोनों में एक समानता है, जिसका उन्होंने हाल ही में खुलासा किया.
शुरुआत से एक्टिंग को लेकर सीरियस रहे विक्की
अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्मों गैंग्स ऑफ वासेपुर और निशांची के बारे में बात करते हुए बताया कि विक्की कौशल ने उनके साथ शुरुआती दिनों में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया था. वहीं बॉबी के साथ वो जल्द ही फिल्म करने वाले हैं.
अनुराग ने कहा,“हां, विक्की मेरा असिस्टेंट था. उसके पिता, श्याम कौशल जी, फिल्म के एक्शन डायरेक्टर थे. विक्की शुरू से ही एक्टर बनना चाहता था, इसलिए वह यह देखना चाहता था कि फिल्म कैसे बनाई जाती है. वह बहुत यंग था और बहुत मेहनत करता था. उसे साफ पता था कि उसे एक्टर बनना है. उसने उस सेट पर समझ लिया कि एक्टिंग कोई ऐसी चीज नहीं है जिसमें मौका मिलते ही इंसान बड़ा बन जाए. उसने कई बेहतरीन कलाकारों को काम करते देखा, और फिल्म खत्म होते ही उसने थिएटर जॉइन कर लिया.”
“विक्की ने मानव कौल और कुमुद मिश्रा के साथ थिएटर करना शुरू किया. उन्होंने 2 से 3 साल तक पूरी लगन से थिएटर किया और एक्टिंग की असली कीमत को समझा. वह रातोरात स्टार नहीं बने. उन्होंने संजू, राजी और मनमरजियां जैसी फिल्मों में कई छोटे लेकिन असरदार किरदार निभाए. लोगों ने उन भूमिकाओं में उनका टैलेंट देखा और उन्हें बड़ा मौका देने के बारे में सोचा.”
सुपरस्टार बनने के बाद बॉबी ने 40 की उम्र में सीखी एक्टिंग
अनुराग ने कहा,“एक्टिंग में पूरी तरह खुद को समर्पित करना पड़ता है.” अनुराग कश्यप ने बताया कि उन्होंने इस बारे में बॉबी देओल से एक बहुत खूबसूरत बात सुनी. उन्होंने कहा,“हमारी फिल्म बंदर एक ऐसे कलाकार की कहानी है, जो एक हिट फिल्म के बाद गुमनाम हो जाता है. बॉबी ने कहा कि वह इस कहानी से खुद को जोड़ सकते हैं.
अनुराग ने बॉबी की कही बातें शेयर कीं, उन्होंने कहा, ‘जब मैं पांच साल का था, तब मुझे पता था कि मैं एक स्टार बनूंगा और मैं बना भी. लेकिन फिर सब खत्म हो गया, लोगों ने फोन करना बंद कर दिया, काम आना बंद हो गया, कुछ नहीं होता था.'”
अनुराग ने आगे कहा,“बॉबी ने मुझे बताया कि वह जूहू में गाड़ी चलाते हुए जब भी किसी सेट पर वैनिटी वैन या शूटिंग की लाइट देखते, तो या तो उन्हें गुस्सा आता था या रोना. वे सोचते, ‘मैं वहां क्यों नहीं हूं?’ उन्होंने बताया कि 40 साल की उम्र तक किसी ने उन्हें कभी यह नहीं कहा कि उन्हें एक्टिंग वर्कशॉप करनी चाहिए. तब उन्होंने एक्टिंग को सही मायने में सीखना शुरू किया. उन्होंने क्लास ऑफ ’83, लव हॉस्टल और आश्रम में काम किया. उन्होंने कहा कि जब मैंने ऐसे किरदार निभाए जो मेरी असल जिंदगी से अलग थे, तभी मुझे एहसास हुआ कि किसी किरदार को निभाने का अनुभव कितना सुकूनभरा होता है.”
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