उत्तराखंड के चंपावत जिले की एक विधानसभा सीट है लोहाघाट विधानसभा सीट. लोहाघाट विधानसभा सीट के तहत लोहाघाट तहसील के साथ ही पाटी और बाराकोट के इलाके आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में तीन विकासखंड आते हैं. लोहाघाट विधानसभा सीट पड़ोसी देश नेपाल के साथ करीब 60 किलोमीटर तक सीमा साझा करती है. मतदाताओं के लिहाज से लोहाघाट, चंपावत जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है.
लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में ही काली नदी का संगम है जो लोहाघाट के पंचेश्वर में होता है. यहीं से आगे जाकर ये नदी शारदा नदी कहलाती है. पंचेश्वर में हर साल उत्तरायणी का मेला लगता है और हजारों श्रद्धालु इस संगम में डुबकी लगाते हैं. लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल रीठा साहिब भी है जहां हर साल हजारों की तादाद में सिख श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं. लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में ही देवीधुरा नामक स्थान पर मां बाराही का प्रसिद्ध मंदिर भी है जहां हर साल रक्षाबंधन के दिन ऐतिहासिक बग्वाल मेला भी लगता है. लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में पौराणिक महत्व का बाणासुर का किला भी है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लोहाघाट विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की चर्चा करें तो उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस सीट के लिए अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं. लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार कांग्रेस और इसके बाद दो बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार विजयी रहे. 2002 और 2007 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह माहरा विधायक निर्वाचित हुए. महेंद्र सिंह माहरा एनडी तिवारी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. 2012 में कांग्रेस महेंद्र सिंह माहरा को बीजेपी के पूरन सिंह फर्त्याल ने 11535 वोट के अंतर से हरा दिया.
2017 का जनादेश
लोहाघाट विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने पूरन सिंह फर्त्याल पर ही भरोसा जताया. बीजेपी के टिकट पर उतरे पूरन सिंह फर्त्याल के सामने कांग्रेस ने भी उम्मीदवार बदला. कांग्रेस के टिकट पर खुशाल सिंह अधिकारी चुनाव मैदान में उतरे. बीजेपी के पूरन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के खुशाल को करीबी मुकाबले में 148 वोट से हरा दिया.
सामाजिक ताना-बाना
लोहाघाट विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक मतदाता हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता है. लोहाघाट विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में क्षत्रिय और अनूसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
लोहाघाट विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के पूरन सिंह फर्त्याल का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र का काफी विकास हुआ है. वे लोहाघाट में निर्माणाधीन कोली ढेक झील को अपनी उपलब्धि बता रहे हैं. विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि विधायक ने अपने पांच साल के कार्यकाल में ऐसा कोई कार्य नहीं कराया है जिसे लेकर वे जनता के बीच जा सकें. विपक्षी दलों के नेता विधायक पूरन सिंह फर्त्याल पर ये आरोप भी लगा रहे हैं कि उन्होंने अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के कारण विकास कार्य भी ठप करा दिए.
राकेश पंत