भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा से जुड़े सवाल पर दिल्ली पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया. 'पंचायत आजतक' कार्यक्रम में इंटरव्यू के दौरान राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि 26 जनवरी को दिल्ली पुलिस की वर्दी में संघ के लोगों को खड़ा किया गया था.
15 अगस्त को राकेश टिकैत क्या प्लान कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा कि वह दिल्ली में वाल्मीकि समाज का एक मंदिर है वहां पर झंडा फहराएंगे. वह बोले, 'झंडा लेकिन दिल्ली की जमीन पर ही फहराऊंगा.' यहां ये बात दिल्ली में 26 जनवरी को लाल किले पर जो हिंसा हुई थी, वहां तक जा पहुंची. क्योंकि वहां तिंरगे वाली जगह पर एक धार्मिक प्रतीक का झंडा भी लगाया गया था.
टिकैत से पूछा गया कि टिकैत खुद पुलिस में रहे हैं, बावजूद इसके वहां किसने की पुलिसकर्मियों के साथ हिंसा हुआ, उन्हें लाल किले से नीचे तक धकेला गया. इसपर टिकैत ने बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने यहां उल्टा सवाल किया कि वहां संघ के कितने लोगों को पुलिस की वर्दी पहनाकर खड़ा किया गया था यह भी मीडिया को बताना चाहिए.
सरकारें चाहती हैं किसान गरीब रहे - राकेश टिकैत
कार्यक्रम में डिजाइनर किसान, एसी में सोने वाले किसान के आरोपों पर राकेश टिकैत ने कहा ये (सरकारें) यही चाहते हैं कि किसान गरीब रहे, उसके पास ट्रैक्टर ना रहे, टूटे हुए हल से वह खेती करे. देश का किसान गाड़ी ना ले सके, एसी में ना लेट पाए. लेकिन दिल्ली-लखनऊ की चमचमाती कोठियों से देश के किसानों का फैसला नहीं होगा.
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टिकैत से आगे पूछा गया कि बीजेपी कहती है कि राकेश टिकैत और उनके मुट्ठी भर लोग उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इसपर टिकैत ने कहा कि वह कुछ बिगाड़ने की बात कहते भी नहीं है. वह तो सिर्फ किसानों के हक की बात करते हैं. वह बोले, 'यह कोई आजादी की लड़ाई नहीं है. सिर्फ हक की लड़ाई है. सरकार को यह कंडीशन लगाकर बात नहीं करनी चाहिए कि कानून वापसी नहीं होंगे.'
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