महाराष्ट्र के दिग्गज नेता एकनाथ खडगे की घरवापसी होने जा रही है. उन्होंने खुद इसका ऐलान किया है. खडसे ने कहा कि वो अगले हफ्ते दिल्ली जाकर बीजेपी में शामिल होंगे. खडगे की घोषणा के बाद बीजेपी में हलचल है और उनके प्रतिद्वंदी खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने तो 'बुझा हुआ दीया' बता दिया है. महाजन को देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है और यह जगजाहिर है कि खडसे के फडणवीस से वैचारिक मतभेद खुलकर सामने आए हैं. यही वजह है कि जब खडसे के बीजेपी में आने की खबरें आईं और फडणवीस से पुराने विवाद की चर्चा छिड़ी तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने सफाई दी है. फिलहाल, अगले एक हफ्ते तक महाराष्ट्र की राजनीति में गरमाहट देखने को मिल सकती है.
दरअसल, एकनाथ खडगे ने साल 2020 में बीजेपी छोड़ दी थी और शरद पवार की पार्टी NCP जॉइन कर ली थी. खडसे ने बीजेपी से 40 साल पुराना रिश्ता तोड़ा था. लेकिन अब एक बार फिर रिश्तों में नरमी आई है और खडसे ने बीजेपी में जाने का मन बना लिया है. खडसे महाराष्ट्र में एक समय बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे. वे नितिन गडकरी, दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के समकालीन हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में भी खडसे परिवार का खासा दखल है. खडसे NCP कोटे से एमएलसी हैं. उनकी बहू रक्षा खडसे रावेर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी से दो बार की सांसद हैं और तीसरी बार भी चुनावी मैदान में हैं. खडसे की बेटी एनसीपी (शरद पवार) का हिस्सा हैं और महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष हैं.
खडसे को 2016 में छोड़ना पड़ा था फडणवीस कैबिनेट
जलगांव जिले में खडसे और महाजन कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. चार साल पहले जब एकनाथ खडसे ने बीजेपी छोड़ी थी तो इसके पीछे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जिम्मेदार ठहराया था. खडसे साल 2009 और 2014 के बीच विधानसभा में नेता विपक्ष रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 120 सीटें जीतीं तो खडसे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था. हालांकि, पार्टी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की जिम्मेदारी दे दी थी. खडसे को कुछ महत्वपूर्ण विभागों से संतोष करना पड़ा था. बाद में खडसे पर भूमि सौदे में अनियमितताओं के आरोप लगे तो 2016 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. खडसे ने जब बीजेपी छोड़ी, तब कहा था कि मुझे केंद्रीय नेतृत्व से कोई समस्या नहीं है. सिर्फ फडणवीस के कारण ही पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
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'शरद पवार गुट नहीं छोड़ेंगी खडसे की बेटी'
उसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने खडसे की बेटी रोहिणी खडसे को मुक्ताईनगर सीट से टिकट दिया, लेकिन वे निर्दलीय उम्मीदवार चंद्रकांत निंबा पाटिल से हार गईं थीं. एकनाथ खडसे ने उस वक्त हार के लिए बीजेपी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था और नाराज होकर अगले साल पाला बदल लिया था. उनकी बेटी ने भी एनसीपी जॉइन कर ली थी. रोहणी अभी शरद पवार गुट में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं.
खडसे परिवार को उत्तर महाराष्ट्र में खासा प्रभाव
खडसे परिवार का उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्र में दबदबा है. माना जा रहा है कि उनके बीजेपी में आने से उत्तर महाराष्ट्र का सियासी गणित बदल जाएगा. इस क्षेत्र में बीजेपी एक बार फिर मजबूत स्थिति में होगी. ना सिर्फ पार्टी की ताकत बढ़ेगी, बल्कि आम चुनाव में इसका फायदा मिलेगा. जलगांव और रावेर में खडसे का प्रभाव है. बीजेपी में वापसी होने की स्थिति में स्थानीय नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाना बड़ी चुनौती माना जा रहा है. पार्टी नेताओं की बयानबाजी पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कभी भी एकनाथ खडसे का विरोध नहीं किया है. बावनकुले ने आगे कहा, जब वो बीजेपी के साथ थे तो फडणवीस ने उनका बहुत सम्मान किया और मैं इसका गवाह हूं. बावनकुले का कहना था कि जब खडसे फडणवीस कैबिनेट में मंत्री थे, तब उन्होंने हमेशा उन्हें पूरा सहयोग दिया. जब उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी तब भी उनके साथ व्यक्तिगत संबंध खराब नहीं हुए थे.
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'पहले रावेर से कदम वापस खींचे, फिर बीजेपी में जाने का ऐलान'
इससे पहले मार्च में खडसे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए ऐलान किया था कि वो रावेर सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने यह बात तब कही, जब बीजेपी ने इस सीट से उनकी बहू और मौजूदा सांसद रक्षा खडसे के नाम की घोषणा की थी. खडसे का कहना था कि ना तो वो और न ही उनकी बेटी रोहिणी खडसे इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि रावेर लोकसभा सीट पर खडसे परिवार के सदस्यों के बीच मुकाबला होगा. हालांकि, एकनाथ खडसे के मैदान छोड़ने से कयासबाजी तेज हो गई थी. कहा जा रहा था कि अपनी बहू के लिए रास्ता बनाने के लिए खडसे ने कदम पीछे खींचे हैं.
पिता के साथ बीजेपी में नहीं जाएंगी रोहिणी
इस बीच,एकनाथ खडसे की बेटी रोहिणी खडसे ने साफ किया है कि वो अपने पिता के साथ बीजेपी में नहीं जाएंगी और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के साथ बनी रहेंगी. सूत्रों के मुताबिक, खडसे की बेटी रोहिणी एक बार फिर मुक्ताईनगर से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं.
खडसे ने क्यों छोड़ी बीजेपी?
मामला 2016 का है. पुणे में जमीन खरीदने-बेचने का आरोप लगने के बाद देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट में शामिल एकनाथ खडसे को इस्तीफा देना पड़ा था. 2019 में बेटी भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव हार गई थीं. 2020 में खडसे बीजेपी छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए थे. खडसे के खिलाफ मामला अभी भी चल रहा है. जमीन हेराफेरी के मामले में ईडी ने 2021 में उनके दामाद गिरीश चौधरी को भी गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने पर दो साल बाद वो जमानत पर बाहर आए हैं. खडसे के ऊपर अपने परिवार के सदस्यों से जुड़े पुणे जिले में एक भूमि सौदे से संबंधित मामले में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था. उन पर अपनी पत्नी और दामाद द्वारा पुणे के पास भोसरी औद्योगिक क्षेत्र में सरकारी भूमि की खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था. दावा किया गया था कि खडसे परिवार ने कथित तौर पर बेहद सस्ती कीमत पर जमीन खरीदी, जो उस समय मौजूदा बाजार दर से काफी कम थी. खडसे ने एनसीपी में शामिल होने के बाद देवेंद्र फडणवीस पर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने का आरोप लगाया था.
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पहले हाईकमान से मिले, फिर जॉइनिंग का ऐलान
एकनाथ खडसे ने शनिवार को बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया. हालांकि, इससे पहले उन्होंने बीजेपी हाईकमान से मुलाकात कर अपनी वापसी का रास्ता साफ करना उचित समझा. सूत्रों का कहना है कि एकनाथ खडसे ने कुछ दिन पहले दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में खडसे ने दोबारा बीजेपी में शामिल होने की इच्छा जताई थी. हाईकमान से हरी झंडी मिलने के बाद खुद खडसे ने इसका ऐलान कर दिया.
बीजेपी बोली- जॉइनिंग कमेटी लेगी फैसला
हालांकि, बावनकुले यह बताना नहीं भूले कि बीजेपी में शामिल होने से पहले जॉइनिंग कमेटी मंजूरी होना जरूरी होता है. उन्होंने कहा, हमारी पार्टी की एक केंद्रीय और राज्य कमेटी है जो नए लोगों की जॉइनिंग करवाती है. दोनों कमेटियां एकनाथ खडसे के बीजेपी में शामिल होने पर निर्णय लेंगी. बावनकुले ने कहा कि पार्टी ने कभी किसी को शामिल होने से मना नहीं किया है. अशोक चव्हाण, अर्चना पाटिल समेत कई नेता हमारे साथ आए हैं. जो लोग हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, उनके लिए हमारा पटका (पार्टी का प्रतीक चिह्न) तैयार है.
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'एक ग्राम पंचायत भी उनके हाथ में नहीं'
खडसे के बीजेपी में आने के बयान पर गिरीश महाजन ने कहा, वो एक बुझे हुए दीपक की तरह हैं. यहां तक कि ग्राम पंचायत भी उनके हाथ में नहीं है. वे एक बैंक को नियंत्रित करते थे, लेकिन निदेशक मंडल भी बदल गया है और नए बोर्ड सदस्य उनकी बात नहीं सुनते हैं. उनके निर्णय को इतना महत्वपूर्ण क्यों बनाया जाए?
अशोक चव्हाण और अर्चना पाटिल भी बीजेपी में शामिल
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने इस साल फरवरी में कांग्रेस छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल भी हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं हैं. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल से 20 मई तक पांच चरणों में चुनाव होंगे और वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
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