Lok Sabha 2024: BSP के साथ फेल तो सपा ने कांग्रेस के साथ मिलाया हाथ, BJP के सामने क्या टिक पाएगा अखिलेश का एक्सपेरिमेंट

आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है. इस बार यहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ में चुनाव लड़ रही हैं, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. वहीं बहुजन समाज पार्टी अकेले ताल ठोकेगी तो बीजेपी ने भी जातीय आधारित और क्षेत्री दलों को अपने साथ जोड़ लिया है. आइए समझते हैं कि आखिर सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी को चुनौती देने में कितनी कारगर साबित हो सकती है?

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अखिलेश यादव, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी अखिलेश यादव, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 17 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से कुछ चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं. इस बार यहां समाजवादी पार्टी का गठबंधन बहुजन समाज पार्टी के साथ नहीं हुआ है. अखिलेश यादव इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी का किला ढहाने की तैयारी में हैं. एसपी-बीएसपी गठबंधन 2019 में ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाया था और गठबंधन कुछ ही सीटों पर सिमटकर रह गया.

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बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती ने फैसला किया है कि उनकी पार्टी इस बार अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी. मसलन, मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच रहेगा, जिसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश में अब राष्ट्रीय लोक दल एनडीए का हिस्सा है. पूर्वांचल क्षेत्र में भी बीजेपी ने कई जातीय आधारित और क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर ली है.

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उत्तर प्रदेश के बीते दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में बीजेपी गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 में 73 सीटें जीतीं और 2019 के चुनाव में अकेले बीजेपी ने 62 सीटें हासिल की थी और सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिली थी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण
 
बीते चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में 23 सीटें जीती थी और सपा-बसपा ने चार-चार सीटें हासिल की थी. बीएसपी ने जहां सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और नगीना (एससी सीट) जीती तो वहीं सपा ने संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और रामपुर की सीटें हासिल की. गौरतलब है कि, मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व मुलायम सिंह किया करते थे, जहां अब उनकी बहु डिंपल यादव सांसद हैं. इस बार भी पार्टी ने उन्हें इसी सीट से मैदान में उतारा है.

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सेंट्रल उत्तर प्रदेश में बदले समीकरण

सेंट्रल उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की सीट अहम मानी जाती है, जो पहले कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता था. हालांकि, अमेठी में बीजेपी ने 2019 में कांग्रेस का किला ढहा दिया था और स्मृति ईरानी ने यहां अपनी पार्टी का परचम लहराया था.

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वहीं, रायबरेली से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हुआ करती थीं लेकिन इस बार वह जयपुर से राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं. सपा के साथ गठबंधन में कांग्रेस पार्टी को यह सीट मिली है लेकिन पार्टी की तरफ से फिलहाल उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है.

लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों का हाल

2019 के लोकसभा चुनाव में सेंट्रल लखनऊ से राजनाथ सिंह जीते थे. बीएसपी को इस क्षेत्र से सिर्फ एक सीट ही मिली और पार्टी के रितेश पांडे ने जीत दर्ज की. वह अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से जीते थे और सपा का इस क्षत्र से सफाया हो गया था. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 13 सीटें हासिल की थी, जिसमें प्रतिष्ठित फैजाबाद लोकसभा सीट भी शामिल है, जो हिंदू श्रद्धा का केंद्र है.

पूर्वी यूपी में सपा से ज्यादा मजबूत बसपा

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उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके में 30 सीटें हैं और वाराणसी लोकसभा सीट भी इसी क्षेत्र में पड़ता है, जिसका प्रतिनिधित्व पीएम नरेंद्र मोदी करते हैं. बीते चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने इस क्षेत्र से पांच सीटें हासिल की थी और सपा को एक सीट मिली थी. वहीं अपना दल ने दो सीटें हासिल की.

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बुन्देलखण्ड के इलाके पर बीजेपी का कब्जा

बुन्देलखण्ड का इलाका बीजेपी के कब्जे में हैं, जहां बीते चुनाव में पार्टी ने सभी चार सीटें जीती थी. इस क्षेत्र में झांसी, बांदा, हमीरपुर और  जालौन जैसी चार सीटें हैं. इस क्षेत्र में पानी की किल्लत काफी ज्यादा होती है. पीएम मोदी और राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के लिए पेयजल योजना का ऐलान किया था, जिसके जरिए लोगों को शुद्ध पानी मिलता है, जिसका चुनाव में बड़ा प्रभाव रहने वाला है.

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