मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत ने आज तक को दिए एक विशेष इंटरव्यू में राजनीति और अपने फिल्मी करियर से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात की. कंगना ने बताया कि हम अक्सर पॉलिटिक्स को न्यूज में देखते थे लेकिन अब हकीकत से रूबरू हो रहे हैं. कंगना ने राजनीति को युद्धक्षेत्र बताते हुए कहा, 'इसे आप युद्धक्षेत्र कर सकते हैं, यहां चुनाव लड़ना, जीतना अलग चीज है. शुरुआत में मेरे साथ में दिक्कत आई.. शुरू में नए लोगों से मिलना, नए चीजें मिलना था.. धीरे धीरे चीजें समझ में आ रही हैं.'
हिमाचल की राजनीति में महिलाओं की स्थिति पर बात करते हुए कंगना ने कहा, 'आज हिमाचल विधानसभा की राजनीति की बात करें तो आपको महज एक महिला नजर आती हैं. यहां 68 सीटें हैं. जब हमारा 33 परसेंट वाला आरक्षण अप्लाई होगा तो यहां महिलाओं की संख्या 22 हो जाएगी, वो बहुत बड़ी संख्या होगी. लेकिन अभी एक है और वो भी भी बहुत बड़े राजनेता की पत्नी,एक रानी, एक प्रोटेक्टिव वातावरण में रहने वाली महिला.. उसे तो आप वास्तविकता नहीं मान सकते हैं ना...बांकी महिलाएं कहां है राजनीति में..'
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जेंडर से भी आगे है महिलाओं का रोल
कंगना ने आगे कहा, 'जब महिला पावर की पोजिशन पर आती हैं तो पुरुषों को अक्सर क्यों दिक्कत होती है? मुझे लगता है कि महिला को अक्सर माता के रूप में जो आपमें कुछ बुरा देखती ही नहीं है, के रूप में देखा जाता है...या बहन देखी होती है जो हमेशा आपको सपोर्ट करती हैं, या पत्नी, जो हमेशा आपको कंफर्ट करती है... लेकिन जब एक महिला एक बॉस के रूप में आपके सामने होती है, चाहे वो किसी कॉरपोरेट कंपनी की सीईओ हो या आपकी कलीग हो, या राजनीति में हो, तो आपको लगता है कि यहां कुछ गलत है. कुछ गलत हो रहा है क्योंकि आपको लगता है कि महिला का अलग रोल है. फिर या तो आप उसे सुधारने की कोशिश करते हैं. लेकिन रोल जेंडर से भी आगे है.'
परिवारवाद का जिक्र करते हुए कंगना ने कहा, 'मुझे लगता है कि परिवावारवाद को हमने केवल फिल्मों और राजनीति तक सीमित कर दिया है लेकिन इसे हमें इसके इतर भी देखना चाहिए. यह कई जगह पर है... आज पूरा मंडी मेरा परिवार है...'
बताई विक्रमादित्य को शहजादा बताने की वजह
विक्रमादित्य सिंह से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, 'हम लोग एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं. हम दोनों की विचारधारा अलग है. मैं विक्रमादित्य सिंह को उतना ही जानती हूं, जितना आप जानते हैं. मैंने उनका इंटरव्यू देखा जिसमें वो रो रहे थे और कह रहे कि कि उनके पिताजी बहादुर शाह जफर की तरह हो गए हैं. क्योंकि दिल्ली में उनके पिताजी का स्टेच्यू बनाने के लिए दिल्ली में दो गज जमीन नहीं मिली. तो उन्होंने अपने पिताजी की तुलना बहादुरशाह जफर से की थी. तो मेरे मन में खयाल आया कि ये तो वाकई में शहजादा है. क्योंकि उनकी बातें हैं तो मासूम वाली...हम लोग यहां लोगों के पक्ष में बोलने के लिए हैं, यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. यह जनता के लिए है. आज तक यहां जिनकी सरकार थी मैं उनसे सवाल करती हूं और ये मेरा अधिकार है. लोकसभा का जो चुनाव होता है वो केंद्र के नाम पर ही होता है, स्वाभाविक है कि मोदी जी के नाम पर लड़ा जाता है.'
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राहुल और पीएम मोदी की तुलना नहीं
राहुल गांधी से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, 'राहुल जी और मोदी की कोई तुलना नहीं हैं. वह राजनीति में क्यों हैं, क्योंकि उनके दादा और पिताजी राजनीति में रहे हैं. हमारी फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसे लोग होते हैं जिन्हें जनता एक्सेप्ट नहीं करती है लेकिन उन्हें हर बार लॉन्च किया जाता है.. कांग्रेस का एक वक्त था, अब तो कांग्रेस केवल जबरदस्ती है. इनका घोषणा पत्र देखिए... ये कहते हैं कि मैं दूसरों की सारी दौलत जनता में बांट दूंगा.. ये जनता का लूटा हुआ पैसा है.. ये किस तरह की मानसिकता है.'
फेक है फिल्मी दुनिया
कंगना ने कहा कि फिल्मों की एक अलग दुनिया है, जो फेक है, वहां हर चीज फेक क्रिएट की जाती है, ये वास्तविकता है. लेकिन राजनीति में हर चीज हकीकत है.
फिल्म और राजनीति को कैसे मैनेज कर पाएगी? इस पर कंगना ने कहा, 'मैं फिल्मों में भी पक जाती हूं, मैं रोल भी करती हूं, निर्देशन भी करती हूं. अगर मुझे राजनीति में संभावना दिखती है कि लोग मुझसे जुड़ रहे हैं तो फिर में राजनीति ही करूंगी. आईडियली में एक ही काम करना चाहूंगी. अगर मुझे लगता है कि लोगों को मेरी जरूरत है तो फिर मैं उसी दिशा में जाऊंगी. मैं अगर मंडी में जीत जाती हूं तो फिर मैं राजनीति ही करूंगी. मुझे कई फिल्ममेकर कहते हैं कि राजनीति में मत जाओ... आपको लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए. मेरी निजी महत्वाकांक्षाओं की वजह से लोग सफर कर रहे हैं यह तो अच्छा नहीं है. मैंने एक प्रिविलेज लाइफ जी है, अगर अब लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिल रहा है तो उसे भी पूरा करूंगी.'
चित्रा त्रिपाठी