68 चरणों में हुआ था पहला लोकसभा चुनाव, 92 सीटों पर चुने गए थे 2-2 सांसद

आजादी के 72 साल बाद चुनाव में तकनीक का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ गया है. ईवीएम, इलेक्ट्रॉनिक पर्ची, वोटरों का ई-रजिस्ट्रेशन, थ्री-डी प्रचार, मोबाइल ऐप पर प्रचार आदि कई प्रक्रियाएं बदले हुए भारत की तस्वीर भी पेश करती हैं.

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पहले लोकसभा चुनाव का खास है किस्सा... पहले लोकसभा चुनाव का खास है किस्सा...

संदीप कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST

देश में लोकतंत्र का महापर्व यानी आम चुनाव होने वाला है. देश का मतदाता 17वीं लोकसभा के लिए 543 सदस्यों का चुनाव करेगा. चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच 7 चरणों में होंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. यानी करीब डेढ महीने की कवायद में देश नए संसद सदस्यों को चुनेगा और देश को चलाने वाली नई सरकार की तस्वीर साफ होगी. वर्ष 1951-52 में देश में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तब से अबतक वोटिंग और प्रचार का तरीका पूरी तरह बदल चुका है.

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आजादी के 72 साल बाद चुनाव में तकनीक का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ गया है. ईवीएम, इलेक्ट्रॉनिक पर्ची, वोटरों का ई-रजिस्ट्रेशन, थ्री-डी प्रचार, मोबाइल ऐप पर प्रचार आदि कई प्रक्रियाएं बदले हुए भारत की तस्वीर भी पेश करती हैं. लेकिन यहां यह बताना काफी रोचक होगा कि तब कैसी तस्वीर थी जब देश में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था. तब की जानकारियों को सुनें तो आज शायद ही किसी को यकीन होगा कि ऐसे मुश्किल हालात में पहला चुनाव हुआ था.

1. देश में पहला लोकसभा चुनाव 1951–52 में हुआ था. चुनाव प्रक्रिया 25 अक्टूबर 1951 से शुरू होकर 21 फरवरी 1952 तक संपन्न हुई थी. यानी करीब 4 महीने में.

2. तब चुनाव पूरी तरह से बैलेट पेपर से हुआ करता था. हर उम्मीदवार का अलग बैलेट बॉक्स था और जनता जिसे चुनना चाहे उसके बॉक्स में बैलेट पेपर डालना होता था. कुल 25.8 लाख बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल हुआ. चुनाव संपन्न कराने के लिए 6 महीने के लिए 16,500 क्लर्कों की भर्ती की गई थी.

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3. पहला लोकसभा चुनाव 68 चरणों में चुनाव पूरा हुआ. मौसम की स्थितियों के अनुसार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग महीनों में चुनाव कराए गए.

4. 489 सीटों के लिए हुए चुनाव में 53 पार्टियों और 533 निर्दलीय उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था. कुल 1849 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे.

5. पहले चुनाव में मतदान 45.7% हुआ था. तब देश की आबादी 36 करोड़ थी और 17.32 करोड़ मतदाता थे. तब 21 साल की उम्र में मताधिकार का नियम था.

6. 196,084 पोलिंग बूथ बनाए गए थे. सबसे पहला वोट हिमाचल प्रदेश के चीनी तहसील में डाला गया था.

7. 92 संसदीय सीटों पर 2-2 सांसद चुने गए. एक जनरल कटेगरी से और दूसरा SC/ST से. एक संसदीय क्षेत्र ऐसा भी था, जहां से 3 सांसद चुने गए. यह संसदीय क्षेत्र था- नॉर्थ बंगाल. हालांकि, 1960 में इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया.

8. इस चुनाव में 489 सीटों में से कांग्रेस ने 364 सीटें जीती थीं. चुनाव जीतकर पं. जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने. दूसरे स्थान पर सीपीआई रही जिसने 16 सीटों पर जीत हासिल की. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्टी जनसंघ को 3 सीटों पर जीत मिली.

9. कांग्रेस के अलावा इस चुनाव में नेहरू कैबिनेट से अलग होकर कई मंत्रियों की बनाई पार्टियां भी मैदान में उतरीं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जनसंघ, डॉ. भीमराव आंबेडकर की SCF(Scheduled Caste Federation), आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर प्रजा परिषद, राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण की सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया समेत 53 पार्टियां चुनाव मैदान में थीं.

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10. पहले चुनाव में डॉ. भीमराव आंबेडकर बॉम्बे-नॉर्थ सेंट्रल से चुनाव मैदान में थे. लेकिन वे कांग्रेस उम्मीदवार से चुनाव हार गए. आचार्य कृपलानी फैजाबाद से चुनाव हार गए.

1951 से लेकर अब तक देश में लोकसभा के 16 चुनाव हो चुके हैं. 1982 में ईवीएम मशीन आई. उससे पहले तक सिर्फ बैलेट पेपर से ही चुनाव होते थे. आज ईवीएम के कारण कुछ ही घंटों में हार-जीत का पता चल जाता है. लेकिन तब कई दिनों तक मतगणना चलती रहती थी और कई दिनों बाद विजेता उम्मीदवार का नाम पता चलता था.

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