गुजरात में विधानसभा के चुनाव के अंदर भारतीय जनता पार्टी को बंपर जीत हुई है. इस बंपर जीत में आदिवासी क्षेत्र की भी जीत काफी अहम है क्योंकि गुजरात के अंदर जो कोंग्रेस का मजबूत वोट बैंक था उसमें बिजेपी सेंध लगाने में सफल हुई है आदिवासी इलाके की 27 सीट में से 23 सीटें बीजेपी ने जीत ली हैं. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी इलाके की 17 सीटें जीती थी. इस बार वह उसमें ने 3 ही बरकरार रख पाई.
कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक में सेंध
गुजरात के चुनाव शुरू ही हुए थे कि भाजपा कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पूरे प्रयास कर रही थी और उसी को लेकर पार्टी ने कांग्रेस के कई बड़े आदिवासी नेताओं को अपने पाले में कर लिया था. इसमें सबसे बड़ा नाम कांग्रेस से 10 बार विधायक रहे मोहन सिंह राठवा का था को छोटा जयपुर से जीते थे. बीजेपी ने उनको अपनी पार्टी में कर लिया था. इसके साथ-साथ विधायक अश्विन कोटवाल और उनके जैसे कई आदिवासी नेता जिन्हें कोंग्रेस ने लोकल लेवल पर संजोके रखे थे, उनमे से कईयों को बीजेपी अपने पाले में लाने में सफल रही थी.
साथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटाउदेपुर से लेकर भरूच, दक्षिण गुजरात दाहोद जैसे आदिवासी जिले में खुद जाकर रैलियां की थीं जिस की वजह से बीजेपी को यहाँ 27 में से 23 सीट पर जीत मिली है. आदिवासियों के बड़े नेता छोटु वसावा भरूच जिले की जगड़िया विधानसभा सीट से 7 बार से लगातार जीतते आ रहे थे. बीजेपी ने इस बार उनको भी हरा दिया है. इस बीच ,कांग्रेस आदिवासी क्षेत्र की केवल तीन सीट ही जीत पाई है जिसमें बनासकांठा की दाता सीट पर कांति खराडी, खेड़ब्रह्मा से तुषार चौधरी और वासदा से अनंत पटेल जीते हैं.
आदिवासी सीट को ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार
दरअसल, इस बार चुनाव प्रचार आदिवासी सीट को काफी ध्यान में रखकर किया गया था. साथ ही जिन सीटों पर भाजपा पहले कोंग्रेस को हरा नहीं पाई थी उन सीटों के लिए भाजपा ने कांग्रेस या किसी और पार्टी के मजबूत नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना शुरू कर दिया था.
बीजेपी की जीत में AAP की भूमिका
साथ मे बीजेपी की इस जीत के अंदर आम आदमी पार्टी की भी अहम भूमिका रही है क्योंकि छोटाउदेपुर ज़िले पावी जयपुर विधानसभा की सीट जहां पर गुजरात विधानसभा के विपक्ष के नेता सुखराम राठवा पवि जेतपुर सीट से चुनाव लड़े उनके सामने बीजेपी के जयंती राठवा थे. लेकिन इसके अलावा वहां आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार राधिका राठवा थीं जो कांग्रेस के पूर्व सांसद की लड़की है. ऐसे में उन्होंने अच्छे खासे कोंग्रेस के वोट ले लिए जिसकी वजह विपक्ष के नेता रहे सुखराम राठवा की हार हुई है.
स्टेच्यू ऑफ युनिटी बनने के बाद नर्मदा जिले की नान्दोद सीट भी बिजेपी ने 28 हजार मतों से जीत ली है. ये पहले कांग्रेस के पास थी. ऐसे ही दाहोद जिले की झलोद,गरबाडा, दाहोद सीट भी बीजेपी ने कोंग्रेस से छीन ली. जिले की सभी 6 सीटें बीजेपी की झोली में आ गई है.
'कांग्रेस का जो नेता जनता के मुद्दे उठाता है वो जीतता है'
लेकिन तापी पार नर्मदा रिव लिंक प्रोजेक्ट के विरोध का मुद्दा उठाकर सुर्खियों में आये वासदा सीट के कांग्रेस विधायक अपनी सीट बचाने में सफल हुए हैं. यह बताता है कि कांग्रेस का जो नेता एक्टिव पॉलिटिक्स और जनता के मुद्दे उठाता है वो जीतता है. बीजेपी ने अपना एक ही मंत्र यहां पर अपनाया है कि जिनके सामने जीत न सको उनको अपने साथ शामिल कर लो जिससे अपनी ताकत बढ़ जाती है. इसी तरह से बीजेपी ने गुजरात के अंदर सालों से बने कांग्रेस के वोट बैंक की मजबूती को तोड़ दिया. जिसमें आम आदमी पार्टी से भी मदद मिल गई.
नरेंद्र पेपरवाला