बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इसी क्रम में चुनाव आयोग की टीम भी इस वक्त राज्य में डटी हुई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आयोग आखिर किन कारणों से दो दशक बाद, यानी 2003 के बाद पहली बार, एक विशेष और गहन मतदाता सूची संशोधन (इंटेंसिव रिविजन) अभियान चला रहा है. चुनाव से पहले तमाम मुद्दों को लेकर जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आजतक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव से लेकर नीतीश कुमार तक पर निशाना साधा.
वोटर लिस्ट रिवीजन पर क्या बोले प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर ने कहा कि इसकी पृष्ठभूमि समझने की जरूरत है क्योंकि महाराष्ट्र में इस तरह की ड्राइव चलाई गई. 2003 के बाद इस तरह की ड्राइव इलेक्शन के ठीक दो तीन महीने पहले चुनाव आयोग नहीं करता है. महाराष्ट्र और हरियाणा में लोग बताते हैं कि इस तरह का ड्राइव चलाया गया और वहां जो परिणाम आए, कुछ लोगों का खासकर मुख्य विपक्ष कांग्रेस का, राहुल गांधी का, ऐसा मानना है कि इलेक्टोरल रोल के रिविजन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई. अब ये कितना सही है कितना गलत है, ये तो जांच का विषय हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि एक एक वर्ग में कम से कम ये बात बनी है कि चुनाव से तीन महीने पहले इस तरह का ड्राइव क्यों चलाया जा रहा है और अगर चलाया जा रहा है तो मुझे ऐसा लगता है की इलेक्शन कमीशन को जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि इसकी प्रक्रिया क्या होगी, इसकी ट्रांसपेरेंसी को कैसे इंश्योर किया जाएगा और जितने भी स्टेक होल्डर हैं चुनाव लड़ने, लड़ाने वाले, वोटर, इन सबको ये विश्वास होना चाहिए कि ये जो प्रक्रिया कराई जा रही है, ये चुनाव की पूरी प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए है. किसी एक वर्ग को या किसी एक दल के समर्थकों या विरोधियों को हटाने या जोड़ने के लिए नहीं है.
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तेजस्वी यादव की ‘कलम यात्रा’ पर तंज
पटना में हाल ही में तेजस्वी यादव ने छात्र संसद का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने हजारों छात्रों को ‘कलम’ बांटी और शिक्षा सुधार के वादे किए. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने तीखा तंज कसा.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी पार्टियों को ये अधिकार है कि वो अपने वोटर्स को या जो उनको सुनने को तैयार हैं, उनके सामने अपनी बात रखें, उसमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन जब तेजस्वी यादव शिक्षा की बात करते हैं तो बिहार की जनता को समझना है कि 15-50 साल उनके मां-बाबू जी की आरजेडी की सरकार थी. शिक्षा व्यवस्था का उन 15 साल (1990 से 2005) में जितना नुकसान बिहार में हुआ है, शायद ही किसी दौर में हुआ है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि लोगों को ये समझने की जरूरत है कि 3 साल तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के तौर पर रहे हैं और सरकार की कमान बहुत हद तक उनके हाथ में थी और उन्होंने शिक्षा व्यवस्था के लिए क्या किया? अभी पिछली जो सरकार अभी महागठबंधन की थी, उसमें शिक्षा मंत्री आरजेडी का ही था, उस समय शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए क्या किया? लोग वो देख लें. रह गई बात कलम बांटने की तो हम लोग इसका विरोध करते हैं कि आप कलम बाटते हैं, मिठाई बांटते हैं, साड़ी बांटते हैं, पैसा बांटते हैं, दारू बांटते है और लोगों का वोट लेते हैं. कलम बाटने से लोग लोगों का भला थोड़ी होगा. आप अगर बाट सकते हैं तो ज्ञान बांटिए, शिक्षा बांटिए, रोजगार बांटिए. कलम बांटकर लोगों को लुभाने का प्रयास करना है, ये तो बहुत सिम्बोलिक ची है, उसका कोई महत्व नहीं है.
‘जंगलराज’ पर प्रशांत किशोर का दो टूक
तेजस्वी यादव द्वारा बार-बार 'जंगलराज' शब्द के इस्तेमाल पर प्रशांत किशोर ने कहा, "यह कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि हाईकोर्ट के जजों ने कहा था कि 90 के दशक के अंत तक बिहार में जंगलराज था. यह तथ्य है कि उस दौर में हत्या, अपहरण, रंगदारी चरम पर थी. पटना से व्यापारी पलायन कर रहे थे. अगर तेजस्वी यादव उस दौर को सुशासन बताते हैं, तो जनता को समझ जाना चाहिए कि वे किस दिशा में बिहार को ले जाना चाहते हैं."
नीतीश कुमार पर क्या बोले प्रशांत किशोर?
नीतीश कुमार की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर अब उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति अब ऐसी नहीं है कि वह मुख्यमंत्री बन रह सकें. जो व्यक्ति स्टेज पर बैठकर प्रधानमंत्री का नाम भूल जा रहा है, जो कि उनके बगल में बैठे हैं. उस व्यक्ति से आप अपेक्षा करते हैं कि वो बिहार जैसे कॉम्प्लेक्स स्टेट का लीडरशिप लेके चले. अगर ये बात आपको पता है, हमको पता है, बिहार के सामान्य लोगों को पता है तो ये कैसे संभव है कि अमित शाह और मोदी जी को पता नहीं है. उन्हें भी पता है, लेकिन जो राजनीतिक मजबूरियां हैं उनकी, भाजपा का अपने दम पर चुनाव लड़ने की ना तैयारी है, ना दम है. तो उनको अभी लड़ना है नीतीश कुमार के साथ. अगर गलती से सत्ता आ गई हाथ में तो नीतीश को हटाकर बीजेपी अपने किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाएंगे. नीतीश कुमार अब न सरकार चला रहे हैं, न पार्टी चला रहे हैं और न ही एनडीए गठबंधन. सब कुछ भाजपा और अमित शाह चला रहे हैं.
रोहित कुमार सिंह