बिजवासन विधानसभा का चुनावी मिजाज: वोटर्स की क्या हैं प्राथमिकताएं?

दिल्ली की बिजवासन सीट का चुनाव दिलचस्प हो गया है. AAP सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत BJP के टिकट पर यहां से चुनावी मैदान में हैं. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में जानिए जनता ने इस इलाके के क्या मुद्दे और समस्याएं बताईं?

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बाईं तरफ कैलाश गहलोत, बीच में देवेंद्र सहरावत और दाईं तरफ सुरिंदर भारद्वाज. बाईं तरफ कैलाश गहलोत, बीच में देवेंद्र सहरावत और दाईं तरफ सुरिंदर भारद्वाज.

विनय त्रिवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही हैं. प्रत्याशी भी घर-घर जाकर वोटरों से समर्थन मांग रहे हैं. लेकिन बिजवासन के मतदाता किन मुद्दों को प्राथमिकता देंगे? उनकी प्रमुख समस्याएं क्या हैं? इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए AajTak.in की टीम बिजवासन पहुंची और वहां के मतदाताओं से बातचीत की.

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ऑटो ड्राइवरों की बड़ी चिंता - जाम और खराब सड़कें

बिजवासन में सबसे पहले हमारी मुलाकात ऑटो रिक्शा ड्राइवरों से हुई. उन्होंने बताया कि इलाके में ट्रैफिक जाम एक गंभीर समस्या है. इसकी वजह खराब सड़कें हैं, जिससे गाड़ियों की रफ्तार धीमी पड़ जाती है. ज्यादातर ऑटो चालक दिल्ली सरकार से नाराज दिखे.

बस्ती के लोग बोले - टूटी सड़कें, बढ़ता अपराध, बेरोजगारी बड़ी समस्या

इसके बाद हमने बस्ती का रुख किया, जहां लोगों ने टूटी सड़कों, गंदगी, बढ़ते अपराध और बेरोजगारी को बड़ी समस्याएं बताया. एक युवा मतदाता ने नशे की लत को लेकर चिंता जताई और सरकार से नशा मुक्ति अभियान चलाने की मांग की.

पिछले 10 साल में क्या बदला?

जब हमने लोगों से पूछा कि पिछले 10 साल में इलाके में क्या बड़ा काम हुआ है, तो ज्यादातर का जवाब था कि संतोषजनक विकास नहीं हुआ. कुछ लोगों ने कन्वेंशन सेंटर, सड़कों और मेट्रो का जिक्र किया, लेकिन अधिकांश का कहना था कि मूलभूत सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ.

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मुफ्त बिजली-पानी पर क्या बोले वोटर?

जब सवाल किया गया कि क्या वे मुफ्त बिजली, पानी और सीवर जैसी सुविधाओं के आधार पर वोट देते हैं, तो अधिकतर ने हां में जवाब दिया. एक पुरुष वोटर ने कहा, "हर कोई अपना फायदा देखता है. अगर मुझे 10 रुपये का लाभ होगा तो मैं भी इसके बारे में सोचूंगा." वहीं, एक महिला ने कहा, "राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन उन्हें पूरा कोई नहीं करता."

क्या विधायक आम जनता से मिलते हैं?

बिजवासन के विधायक जनता से मिलते हैं या नहीं, इस पर भी मतदाता बंटे नजर आए. एक ऑटो ड्राइवर ने बताया कि मौजूदा विधायक भूपिंदर सिंह जून ने उसकी मां को अस्पताल में भर्ती कराने में मदद की थी, जबकि उनकी कोई जान-पहचान नहीं थी. वहीं, कई लोगों का कहना था कि उन्हें कभी विधायक से मिलने की जरूरत ही नहीं पड़ी.

महिलाओं की सुरक्षा पर बढ़ती चिंता

महिला वोटरों ने अपराध बढ़ने पर चिंता जताई और सरकार से कानून-व्यवस्था मजबूत करने की मांग की. दिलचस्प बात यह रही कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता था कि दिल्ली की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है या केंद्र सरकार की.

बिजवासन में तिकोना मुकाबला, लेकिन AAP बनाम Ex-AAP की टक्कर!

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इस बार बिजवासन सीट पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने मौजूदा विधायक भूपिंदर सिंह जून का टिकट काटकर सुरिंदर भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, BJP ने कैलाश गहलोत को टिकट दिया है, जो AAP छोड़कर BJP में शामिल हुए हैं. कांग्रेस ने भी बड़ा दांव खेलते हुए AAP के पूर्व विधायक देवेंद्र सहरावत को मैदान में उतारा है.

कुल मिलाकर, बिजवासन में लड़ाई AAP बनाम Ex-AAP की बनती दिख रही है. अब देखना होगा कि मतदाता इस बार किसे मौका देते हैं.

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