पीएम मोदी का चेहरा, महिलाओं-युवाओं पर फोकस, PK फैक्टर की काट... बिहार में बीजेपी की क्या तैयारी

बीजेपी ने तय किया है कि बिहार में एनडीए का चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों रहेंगे. बीजेपी नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता अब भी कायम है, खासकर महिला मतदाताओं के बीच. इसलिए पार्टी विपक्ष को यह गलती नहीं करने देना चाहती कि वह नीतीश कुमार को निशाना बनाए.

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बीजेपी और जेडीयू इस चुनाव में महिलाओं और युवाओं को निर्णायक वोट बैंक मान रहे हैं. (File Photo- PTI) बीजेपी और जेडीयू इस चुनाव में महिलाओं और युवाओं को निर्णायक वोट बैंक मान रहे हैं. (File Photo- PTI)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी का लक्ष्य साफ है किसी भी सूरत में सत्ता में वापसी. इसके लिए बीजेपी ने एक बहुस्तरीय रणनीति तैयार की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा, नीतीश कुमार की स्वीकार्यता, महिलाओं और युवाओं को साधने की नीति और प्रशांत किशोर (पीके) फैक्टर की काट, सभी को केंद्र में रखा गया है.

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बीजेपी ने तय किया है कि बिहार में एनडीए का चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों रहेंगे. पार्टी को भरोसा है कि नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर जनता फिर से भरोसा जताएगी. 2015 को छोड़कर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को हर चुनाव में फायदा हुआ है और यही भरोसा इस बार भी पार्टी की रणनीति की नींव है.

बीजेपी नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता अब भी कायम है, खासकर महिला मतदाताओं के बीच. इसलिए पार्टी विपक्ष को यह गलती नहीं करने देना चाहती कि वह नीतीश कुमार को निशाना बनाए. नीतीश के नेतृत्व और महिला मतदाताओं में उनकी भावनात्मक अपील को देखते हुए बीजेपी चाहती है कि एनडीए का गठजोड़ स्थिर और समन्वित नजर आए. हालांकि, यह फैसला खुद नीतीश लेंगे कि सत्ता में वापसी की स्थिति में वे मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं.

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बीजेपी ने दिग्गज चेहरों पर जताया भरोसा

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बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

बीजेपी ने बिहार चुनाव की कमान तीन कद्दावर नेताओं को सौंपी है. सीआर पाटिल और केशव प्रसाद मौर्य को 78-78 और धर्मेंद्र प्रधान को 87 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. इन नेताओं को कहा गया है कि वे हर सीट पर एनडीए उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करें.

इसके अलावा, दूसरे राज्यों के मंत्री, सांसद, विधायक और वरिष्ठ नेता भी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं. उनका काम है स्थानीय मुद्दों का फीडबैक जुटाना, कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लाभार्थियों तक पहुंचाना.

महिला और युवाओं पर फोकस

बीजेपी और जेडीयू दोनों इस चुनाव में महिलाओं और युवाओं को निर्णायक वोट बैंक मान रहे हैं. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत अब तक 1.25 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में ₹10,000-₹10,000 जमा किए जा चुके हैं. हर घर को 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिल रही है, सामाजिक सुरक्षा पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 की गई है, जिससे 1.12 करोड़ परिवारों को लाभ मिला है.

महिलाओं के लिए 35% पुलिस भर्ती आरक्षण और पंचायतों व निकायों में 50% आरक्षण ने उन्हें सत्ता के केंद्र में ला दिया है. जीविका दीदियों को सस्ते ब्याज पर कर्ज, आशा-ममता वर्कर्स के भत्ते में बढ़ोतरी और रोजगार योजनाओं में प्राथमिकता, इन सबने महिला मतदाताओं के बीच एनडीए की पकड़ मजबूत की है.

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युवाओं के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं. बेरोजगार युवाओं को दो साल तक ₹1,000 प्रतिमाह देने की योजना लागू की गई है. साथ ही अगले पांच वर्षों में एक करोड़ रोजगार देने और छह हजार इंटर्नशिप शुरू करने का वादा किया गया है. 14 लाख नए मतदाताओं में से अधिकांश 18-19 वर्ष के हैं, और लगभग हर सीट पर औसतन 5,700 नए वोटर जुड़े हैं—जो कई सीटों पर जीत-हार का अंतर तय कर सकते हैं.

पीके फैक्टर पर भी बीजेपी का फोकस

बीजेपी इस बार प्रशांत किशोर के फैक्टर को हल्के में नहीं ले रही. पीके का सोशल मीडिया पर प्रभाव खासकर युवाओं में तेजी से बढ़ा है. यूट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनकी मजबूत उपस्थिति ने उन्हें एक स्वतंत्र राजनीतिक पहचान दी है. हालांकि बीजेपी नेताओं का मानना है कि ऑनलाइन लोकप्रियता हमेशा वोट में नहीं बदलती.

पार्टी का तर्क है कि जमीनी संगठन ही असली ताकत है और यही वह क्षेत्र है जहां पीके की नई पार्टी अभी कमजोर है. फिर भी बीजेपी उनके प्रभाव को पूरी तरह खारिज नहीं कर रही और अंदरूनी स्तर पर पीके फैक्टर की काट पर काम चल रहा है. पार्टी का कहना है कि समय आने पर वह अपनी रणनीति का खुलासा करेगी.

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बिहार में बीजेपी की पूरी रणनीति इस बार मोदी के भरोसे, नीतीश की अपील, महिलाओं का समर्थन और युवाओं की उम्मीद के चार स्तंभों पर टिकी है. साथ ही, पार्टी हर सीट पर बूथ-स्तर की तैयारी और विपक्षी रणनीतियों की बारीकी से निगरानी कर रही है.

संक्षेप में कहें तो बीजेपी ने बिहार में सत्ता वापसी के लिए न केवल पूरी मशीनरी झोंक दी है, बल्कि चुनाव को 'मोदी मॉडल + नीतीश फैक्टर' बनाकर मैदान को अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है.

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