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'खाने का कोई धर्म नहीं' कहने वाले ये हैं Zomato के मालिक, IIT से की पढ़ाई

प्रियंका शर्मा
  • 01 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST
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'Food doesn’t have a religion. It is a religion' कहकर zomato पूरे देश में सुर्खियों में आ गया है. हर कोई कंपनी के स्टैंड को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है. कोई इसके पक्ष में है तो कोई इसका विरोध कर रहा है. साथ ही बात हो रही है धर्म निरपेक्षता की बात करने वाले कंपनी के मालिकों की. आइए, जानते हैं कौन हैं इस कंपनी के मालिक वो दो दोस्त जो अपने विचारों से पहचाने जा रहे हैं. इन दोस्तों की कहानी आपको भी जाननी चाहिए.


दीपिंदर गोयल- ( फोटो- फेसबुक)

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जोमैटो कंपनी के मालिक का नाम दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा है. इस कंपनी की शुरुआत साल 2008 में की गई थी. वर्तमान में 5,000 से ज्यादा कर्मचारी इस कंपनी में कार्यरत हैं. 
दीपिंदर गोयल- ( फोटो- फेसबुक)

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दीपिंदर गोयल ने साल 2005 में  IIT दिल्ली से ग्रेजुएशन की थी वहीं पंकज ने साल 2007 में IIT दिल्ली से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री ली.
पंकज चड्ढा- ( फोटो- फेसबुक)

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डिग्री पूरी होते ही दीपिंदर को‘बेन एंड कंपनी’ में बतौर कंसल्टेंट जॉब मिली.  लंच के दौरान वे अपने सहकर्मियों को कैफेटेरिया में मेन्यू कार्ड देखने के लिए लंबी लाइन में इंतजार करते हुए देखते. अक्सर महसूस होता कि इससे लोगों का समय बर्बाद हो रहा है.

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दीपिंदर को अपने दोस्तों का समय बचाने के लिए मैन्यू कार्ड स्कैन करके साइट पर अपलोड करने का विचार सूझा. देखते ही देखते साइट पॉपुलर हो गई. हिट पर हिट मिलने लगे. यहीं से दीपिंदर को फूड पोर्टल का आइडिया मिला.

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दीपिंदर और  पंकज के लिए ये सफर आसान नहीं था,  दीपिंदर ने कुछ समय पहले "foodlet.com" शुरू किया.  इस बिजनेस को रेस्तरां के साथ टाई-अप करना था और Foodlet.com के माध्यम से अपने प्रचार करना था. ग्राहक फूडलेट के जरिए ऑनलाइन खाना ऑर्डर कर सकते थे.

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दोनों ने मिलकर 9 महीने तक इस बिजनेस पर काम किया और इसे चालू करने के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन संसाधनों की कमी के चलते काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

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उस दौरान दीपिंदर ने असफलताओं के लिए विशेष रूप से दो  कारण बताए.  सबसे पहले, ग्राहक भोजन ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए तैयार नहीं थे. दूसरा- बिजनेस के संचालन के लिए बहुत समय की आवश्यकता थी.

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दीपिंदर ने अपने एक दोस्त प्रसून जैन के साथ " Foodiebay" की शुरुआत करने का आइडिया शेयर किया, लेकिन प्रसून जैन निजी कारणों के कारण मुबंई चले गए. उस समय  मानव संसाधनों की काफी कमी थी. लेकिन दीपिंदर ने संघर्ष जारी रखा.  तभी पंकज ने उन्हें अपने ड्रीम वेंचर में शामिल कर लिया था. इसके बाद दीपिंदर ने के करियर में मोड़ आया. वह पंकज को Foodiebay की लाइफ लाइन भी कहते हैं.


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जिसके बाद दीपिंदर  और  पंकज ने पूरा समय कंपनी को दिया. आपको बता दें बाद में Foodiebay का नाम बदलकर Zomato कर दिया गया था. जिसके बाद  Google के Android ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एक Zomato एप्लिकेशन उपलब्ध हो गया था.

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