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खिलजी के बाद भी कई बार हुए चित्तौड़ पर हमले, दो बार हुआ जौहर

aajtak.in
  • 27 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST
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फिल्म पद्मावती की रिलीज के विरोध के बीच राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और इससे जुड़ी कहानियां सुर्खियों में है. विरोध हो रहा है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है. कई जानकारों का कहना है कि खिलजी ने राजनीतिक कारणों से चित्तौड़ पर हमला किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं खिलजी के अलावा भी कई ऐसे शासक हुए हैं, जिन्होंने चित्तौड़ पर हमला किया था. आइए जानते हैं चित्तौड़ का इतिहास...

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चित्तौड़गढ़ को राजपूताना की बहादुरी, पराक्रम के लिए जाना जाता है. चितौड़ से जुड़ी कई ऐतिहासिक बहादुरी की कहानियां बताई जाती है.

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चित्तौड़गढ़ दुर्ग 700 एकड़ में फैला हुआ है और इस दुर्ग में कई महल, स्तंभ आदि हैं, जिसमें पद्मिनी महल, विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ आदि शामिल है.

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चित्तौड़ का अपना अद्भुत इतिहास है और इतिहास में कई बार राजपूतों को मुगल शासकों का प्रहार झेलना पड़ा है.

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दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी की ओर से चित्तौड़ पर हमला करने के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन इसके बाद भी कई शासकों ने यहा हमला किया था.

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बताया जाता है कि खिलजी ने रानी पद्मिनी के लिए चित्तौड़ पर हमला किया था और कई जानकार कहते हैं कि यह हमला राजनीतिक कारणों से ही किया गया था.

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साल 1303 में खिलजी के हमला के बाद साल 1533 में गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया था.

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बहादुर शाह के बाद 1568 में मुगल शासक अकबर ने भी चित्तौड़ पर हमला किया और किले पर कब्जा कर लिया.

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अकबर के बाद 1616 में मुगल शासक जहांगीर के राज में राजपूतों को वापस किले पर अधिकार मिला.

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बताया जाता है कि रानी पद्मिनी ने 1600 रानियों के साथ चित्तौड़गढ़ में जौहर किया था. हालांकि पद्मिनी के अलावा एक और रानी के जौहर करने का भी जिक्र है.

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प्रचलित कहानियों के अनुसार चित्तौड़ पर बहादुर शाह के आक्रमण के समय यही हाड़ी रानी कर्मवती ने सम्मान व सतीत्व की रक्षा हेतु तेरह हजार वीरांगनाओं सहित विश्व प्रसिद्ध जौहर किया था. इस स्थान की खुदाई करने पर मिली राख की कई परत इस करुण बलिदान की पुष्टि करती है.

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कहा जाता है कि कर्मवती ने चित्तौड़गढ़ में जौहर-स्थल (वर्तमान नाम) पर जौहर किया था.

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