156 साल पुराने मुगलसराय जंक्शन का नाम बदल गया है. अब इस स्टेशन
को पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम जाना जाएगा. आइए जानते हैं आखिर क्यों
बदला जा रहा है नाम और क्या है इतिहास...
मुगलसराय जंक्शन के नए नाम की घोषणा अमित शाह और पीयूष गोयल करेंगे.
आपको बता दें, गदर के बाद 1862 में पूर्वी भारत के दूसरे सबसे बड़े रेलवे स्टेशन का नाम मुगलसराय जंक्शन पड़ा, यानी यह 156 साल पुराना है.
साल 1992 में भी मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने की कोशिश की गई थी लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने तब इसे मानने से मना कर दिया था. कल्याण सिंह के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए पहली बार इसका नाम बदलने की कोशिश साल 1992 में हुई थी.
फिर इस बार BJP के प्रदेश अध्यक्ष और चंदौली से सांसद महेंद्र पांडे ने यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था जिसके बाद BJP ने अपनी इस पुरानी मांग को परवान चढ़ाया.
जानें- क्यों बदला जा रहा है नाम: जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमयी मौत 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन पर हुई थी और मुगलसराय जंक्शन के यार्ड के खंभा नंबर 1276 के पास उनका शव मिला था
जिसके बाद से मुगलसराय जंक्शन संघ और बीजेपी के समर्थकों के लिए एक तीर्थ जैसा बन गया था और लंबे समय से इसकी मांग चल रही थी कि मुगलसराय जंक्शन का नाम दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाए.
नाम को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं: मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलना बीजेपी को इसलिए भी मुफीद है क्योंकि यह नाम मुगलों के नाम पर रखा गया था. मुगलकाल में यह मुगल राजाओं का सराय हुआ करता था, जहां वो आते जाते अपना पड़ाव डालते थे. नाम बदलने से बीजेपी जहां एक तरफ अपने संस्थापक का नाम पूर्वी भारत के द्वार पर लिख रही है, वहीं दूसरी तरफ इसी बहाने मुगल नाम मिटा भी रही है और यह BJP की सियासत का हिस्सा भी है.
आपको बता दें, मुगलसराय स्टेशन पर लगे तमाम पुराने साइनबोर्ड को हटाकर नए साइनबोर्ड लगाने काम लगभग पूरा हो चुका है. स्टेशन का नाम बदलने के बाद टिकट की बुकिंग के लिए स्टेशन का कोड जो कि एमजीएस (MGS) है, से बदलकर डीडीयू (DDU) कर दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि मुगलसराय जंक्शन का नाम एशिया के सबसे बड़े रेलवे यार्ड के तौर पर जाना जाता है. यह दिल्ली-हावड़ा रूट के सबसे व्यस्त स्टेशन है, जहां से लाखों यात्री सफर करते हैं. यहां से तकरीबन 250 ट्रेनें रोज़ाना गुज़रती है.