इन दिनों महिला अफसर ऊषा किरन का नाम चर्चा में हैं. जिन्हें हाल ही में 'वोग वूमन ऑफ द अवॉर्ड-2018' से सम्मानित किया गया है. बता दें, ये छत्तीसगढ़ राज्य में सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात हैं. ऊषा उन महिला अफसर में आती हैं जिनसे नक्सली थर्राते हैं. वह सिर्फ 27 साल की हैं. आइए जानते हैं इस जबराट महिला अफसर के बारे में...
आपको बता दें, इस Vogue फैशन शो में सभी सेलिब्रिटीज ने रेड कारपेट पर
खूबसूरत ड्रेस में रैंप वॉक किया तो वहीं ऊषा अपनी वर्दी में के साथ रैंप
वॉक करती नजर आई थी. जैसे ही उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई लोगों
के मन में महिला जवान को लेकर इज्जत और ज्यादा बढ़ गई है.
ऊषा किरण अपने परिवार से सीआरपीएफ जॉइन करने वाली तीसरी पीढ़ी हैं. उनके पिता सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं. उनके दादा भी सीआरपीएफ में थे, अब वह रिटायर हो चुके हैं.
वह गुड़गांव की रहने वाली हैं. साल 2013 में सीआरपीएफ के लिए दी गई परीक्षा में ऊषा ने पूरे भारत में 295वीं रैंक हासिल की थी. ऊषा ट्रिपल जंप में गोल्ड मेडल जीत नेशनल विनर भी रह चुकी हैं. उन्होंने 25 साल की उम्र में सीआरपीएफ जॉइन कर ली थी.
आपको जानकर हैरानी होगी कि नक्सली इलाके में पोस्टिंग खुद ऊषा की पहली पसंद थी. ऊषा ने कहा था, 'वह खुद बस्तर आना चाहती हैं.
उन्होंने बताया कि मैंने अक्सर सुना था कि कैसे नक्सली लोगों को मार देते हैं. मैं उस जगह के बारे में जानना चाहती थी. जब सीआरपीएफ में जॉइन किया उस वक्त मेरे लिए ये अच्छा मौका था. बताते चलें कि वह हर ऑपरेशन में जवानों की अगुवाई खुद करती हैं. इससे आप उनकी बहादुरी का अंदाजा लगा सकते हैं.
बता दें, ऊषा रायपुर से 350 किलोमीटर दूर बस्तर के दरभा डिवीजन स्थित सीआरपीएफ कैंप में तैनात हैं. नक्सलियों का गढ़ कहा जाने वाला दरभा वही इलाका है, जहां पर साल 2012 में एक बड़े कांग्रेसी नेता समेत 34 लोगों को नक्सलियों ने मार दिया था.
गौरतलब है कि ऊषा का स्थानीय आदिवासी महिलाओं से खासा लगाव है. यहां उनकी नियुक्ति के बाद आदिवासियों और महिलाओं में उम्मीद की किरण जगी है.
सीआरपीएफ के 'कोबरा कमांडो फोर्स' में शामिल हो जाने के बाद ऊषा किरण का लक्ष्य नक्सल प्रभावित इस इलाके में पूरी तरह से नक्सलियों का खात्मा करना है. उनके खौफ का आलम यह है कि उनकी तैनाती के बाद से बड़े-बड़े नक्सली उनके नाम से ही थर्राने लगते हैं. बता दें, कोबरा कमांडो घने जंगलों में रहकर नक्सलियों से निपटने और अपनी जांबाजी के लिए जाने जाते हैं.
ऊषा कोबरा कमांडो फोर्स में शामिल होने वाली पहली महिला अफसर हैं. साथ ही वह कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिसोल्यूट एक्शन) का हिस्सा बनने वाली सबसे छोटी महिला सीआपीएफ अफसर हैं.
महिला अफसरों की बात की जाए तो ऊषा किरण उन अफसरों में शामिल हैं जो अपने फैसले लेने की क्षमता और मजबूत इरादों के लिए जानी जाती हैं.
वहीं ऊषा देश की पहली सीआरपीएफ महिला अफसर हैं, जिन्हें छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाके में तैनात किया गया है. वह नक्सली इलाकों में AK-47 लेकर घूमती हैं.
(सभी तस्वीरें- फेसबुक)