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जानिए- क्यों फांसी की सजा के बाद पेन की निब तोड़ देते हैं जज?

प्रियंका शर्मा
  • 05 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST
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जघन्य अपराधों के लिए फांसी की सजा सुनाई जाती है. वहीं जब कोर्ट में किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाई जाती है तो जज पेन की निब तोड़ देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. इसके पीछे क्या वजह है?

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भारत के कानून में सबसे बड़ी सजा फांसी की होती है.

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फांसी की सजा जघन्य अपराधों के लिए सुनाई जाती है. जज फांसी की सजा सुनाने के बाद इसलिए पेन की निब इस आशा के साथ तोड़ देते हैं ताकि ऐसा अपराध दोबारा न हो.

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बता दें, किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जब फैसले पर हस्ताक्षर करना होता है. जिसके बाद उस पैन की निब तोड़ दी जाती है जिससे उस अपराधी की मौत  लिखी है.


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वहीं फांसी की सजा सुनाने के बाद पैन की निब इसलिए भी तोड़ी जाती है, क्योंकि जिस पैन ने अपराधी की मौत लिखी है वह किसी और काम के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सके.

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आपको बता दें, 'Death Sentence' किसी भी जघन्य अपराध के मुकदमों के लिए समझौते का अंतिम एक्शन होता है, जिसे किसी भी अन्य प्रक्रिया द्वारा बदला नहीं जा सकता. 

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जब फैसले में पेन से “Death” लिख दिया जाता है, तो इसी क्रम में पेन की निब को तोड़ दिया जाता है, ताकि इंसान के साथ-साथ पेन की भी मौत हो जाए.


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आपको बता दें, जब पेन से “Death” लिख दिया जाता है उसके बाद निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके. वो फैसला अंतिम माना जाता है.

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बता दें, फांसी सजा हमेशा रात के वक्त दी जाती है.

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वहीं फांसी देने वाला जल्लाद फांसी देने से पहले अपराधी के कान में बोलता है'- “हिंदुओं को राम-राम और मुस्लिमों को सलाम. मै अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं. मैं आपके सत्य के राह पे चलने की कामना करता हूं”

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