समाज की सोच और उम्मीदें हर मोड़ पर लोगों के फैसलों को कंट्रोल करती रहती हैं, ऐसे में खुद की असली पहचान बनाने का सपना देखना किसी बड़ी जंग से कम नजर नहीं आता. करियर से लेकर लाइफस्टाइल तक, हर कदम पर “लोग क्या कहेंगे” का प्रेशर बना रहता है, लेकिन इस दबाव से बाहर निकलना न सिर्फ मुमकिन है, बल्कि एक खुशहाल और सच्ची जिंदगी जीने के लिए जरूरी भी है. आइए जानते हैं कैसे कुछ टिप्स को फॉलो करके आप सोशल एक्सपेक्टेशन से बचने में मदद ले सकते हैं और अपने जीवन को अपने नजरिए से जीने का प्रयास कर सकते हैं.
अपनी असली वैल्यू को समझना
समाज क्या चाहता है, उससे हटकर ये समझना जरूरी है कि सच में क्या मायने रखता है. सबसे पहले अपने लिए थोड़ा वक्त निकालिए और उन कोर वैल्यूज़ पर ध्यान दीजिए जो आपके फैसलों को गाइड करती हैं. ऐसे समझ सकते हैं अपनी वैल्यू
• सेल्फ-रिफ्लेक्शन: कुछ शांत पल निकालिए और सोचिए आपकी लाइफ में वो कौन-से मोमेंट्स हैं जब आप सबसे ज्यादा फुलफिल्ड और खुश रहते हैं.
• जर्नलिंग: आप लिख सकते हैं कि किस चीज में आप यकीन रखते हैं, क्या चीज आपको मोटिवेट करती है, और क्या आपको सच्ची खुशी देती है.
• फीडबैक लें: कई बार हमारे करीबी लोग वो क्वालिटीज़ देख लेते हैं जो हम खुद मिस कर देते हैं. अपने दोस्तों या फैमिली से पूछिए कि उन्हें क्या लगता है, आपकी सबसे स्ट्रॉन्ग वैल्यूज क्या हैं?
जब आप अपनी वैल्यूज़ को क्लियर कर लेते हैं, तो आप एक ऐसा बेस बना लेते हैं जिससे आपके सारे डिसीजन आपकी पहचान से मैच करते हैं, न कि उस पहचान से जो समाज आप पर थोपना चाहता है.
सोशल नॉर्म्स को चैलेंज करना
जब आपको ये क्लियर हो जाए कि आपकी वैल्यूज क्या हैं तो अगला स्टेप में आप उन सोशल रूल्स को चैलेंज कर सकते हैं जो आपकी सोच से मेल नहीं खाते हैं. समाज की उम्मीदें इतनी गहराई से सेट होती हैं कि लोग उन्हें बिना सोचे-समझे फॉलो करते रहते हैं. लेकिन अगर आपको सच में फ्री होना है तो इन नॉर्म्स को क्रिटिकली देखना शुरू करना होगा.
सोशल नॉर्म्स को चैलेंज करने के तरीके:
• खुद को एजुकेट करना: जानिए कि ये रूल्स आए कहां से हैं, इनका इतिहास जानने से समझ आएगा कि ये कितने रैंडम और टाइमपास हो सकते हैं.
• बातचीत करना: दूसरों से डिस्कस करें कि वो इन नॉर्म्स को कैसे देखते हैं. अलग-अलग नजरिया आपके माइंड को रीसेट कर सकता है.
• कुछ हटके ट्राई करनाः जो सोसायटी कहती है, उसके उल्टा करके देख सकते हैं. चाहे वो कोई ऑफबीट करियर हो या अलग लाइफस्टाइल. यह एक्सपेरिमेंट आपको रियल बनने में मदद कर सकता है.
जरूरत हो तो संगत बदलो, सपोर्टिव नेटवर्क बनाओ
अगर आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो आपको रियल रहने देते हैं, तो आप किसी भी सोशल प्रेशर को हरा सकते हैं.
सपोर्टिव नेटवर्क बनाने के टिप्सः
• समान ख्यालों वाले लोग खोजिएः ऐसे लोग जो आपकी वैल्यूज़ और इंटरेस्ट से मैच करते हों, ऐसी संगत आपको बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.
• नेगेटिव लोगों से दूरी: जो लोग आपको बार-बार नॉर्मल बनने को कहते हैं, उनसे थोड़ा डिस्टेंस बनाना हेल्दी हो सकता है.
• सपोर्ट ग्रुप्स जॉइन करनाः करियर, पर्सनल ग्रोथ या पैशन के मामले में आपको ऐसे ग्रुप्स मोटिवेट कर सकते हैं जो सपोर्टिव हो.
सेल्फ कंपैशन प्रैक्टिस कीजिए
सोशल एक्सपेक्टेशन से बाहर निकलना आसान नहीं होता है, कई बार guilt आता है, कई बार लगता है कि खुद में ही कोई कमी है. ऐसे में खुद से प्यार करना, खुद को समझना और खुद को जज न करना यही असली स्ट्रेंथ बन सकती है.
सेल्फ कंपैशन के स्मार्ट तरीके:
• माइंडफुलनेस मेडिटेशन करना: प्रेज़ेंट मोमेंट में रहना सीखिए, इससे नेगेटिव सेल्फ-टॉक कम होती है और माइंड क्लियर होता है.
• खुद को पॉजिटिव रखना: “मैं काफी अच्छा हूं” “मैं ग्रो कर रहा हूं”... ऐसी चीजें खुद को रोज बोलिए. ये आपकी वैल्यू और सेल्फ-वर्थ को रीइनफोर्स करने में मदद करती है.
• खुद को माफ़ करना: हर कोई गलती करता है, परफेक्शन एक मिथ है. आप अपनी गलती से सीखिए, पछताने में टाइम वेस्ट करना कोई फायदा नहीं देता है.
पर्सनल गोल सेट कीजिए
अगर आप सच में अपनी यूनिक लाइफ बनाना चाहते हैं, तो गोल्स भी आपकी वैल्यूज से मैच करने चाहिए. न कि सोशल मीडिया या रिश्तेदारों की उम्मीदों से मैच करने चाहिए. गोल्स सिर्फ टारगेट नहीं होते, ये आपके सफर के लिए रास्ता बनाते हैं और जब आप इन्हें अपने दिल से करते हैं तो ये आपके लिए फायदा दे सकते हैं.
गोल सेट करने के स्मार्ट स्टेप्स:
• स्पेसिफिक बनिए: मैं खुश रहना चाहता हूं कहने की जगह अपने वैल्यू के अनुसार गोल बनाइए जैसे कि आप खुद से कह सकते हैं कि मैं हर साल एक नई जगह ट्रैवल करना चाहता हूं. गोल जितना क्लियर होगा, मोटिवेशन उतना स्ट्रॉन्ग रह सकेगा.
• मेजरेबल गोल बनाइए: ऐसा क्राइटेरिया सेट कीजिए जिससे आप ट्रैक कर सकें कि आपने खुद को कितना बेहतर बना सका है, जैसे मैंने इस साल कितनी बार नई स्किल सीखी?
• फ्लेक्सिबल रहिए: लाइफ कभी प्लान के हिसाब से नहीं चलती. अपने गोल्स को एडजस्ट करने की स्पेस रखिए. लेकिन अपने कोर वैल्यूज़ से भटकने से बचना सीखिए.
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