Education Year Ender 2022: बीता साल शिक्षा जगत को पुराने ढर्रे से नये बदलाव की ओर लाने में जुटा रहा. स्कूलों का पूरा एकेडमिक सेशन इस साल कोरोना के खतरों से दूर रहा. मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का डर कम हुआ तो स्कूल-कॉलेजों के कैंपस में बहार नजर आई. लेकिन, वहीं इस बीते साल न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने का असर एजुकेशन सिस्टम में सबसे ज्यादा दिखा.
छात्र कॉलेजों में एडमिशन से लेकर बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव के दबाव में नजर आए. अगर यह कहा जाए कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी के असर को लेकर छात्रों के जेहन में साल 2022 हमेशा यादगार साल रहेगा, तो अतिश्योक्ति न होगी. यहां हम आपको शिक्षा जगत के चार बड़े बदलावों के बारे में बता रहे हैं.
CUET से एडमिशन का नियम
इस साल पहली बार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) का इंप्लीमेंटेशन हुआ. पहली बार यूजीसी की ओर से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) जुलाई 2022 में स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के पहले चरण में आयोजित किए गए. ये सीयूईटी परीक्षा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए लिया गया टेस्ट है. साल 2022 में करीब 2,50,495 छात्रों को सीयूईटी के लिए स्लॉट आवंटित किए गए थे जबकि 1,91,586 परीक्षा में शामिल हुए. यह भी बता दें कि CUET के इम्प्लीमेंटेशन को कई तरह के विरोधों और आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा.
फिर से पुराने पैटर्न पर परीक्षाएं
सीबीएसई बोर्ड ने साल 2021 में टर्म एग्जाम आयोजित किए थे, जो फिर से दोबारा पुराने पैटर्न पर वापस आए. सीबीएसई ने कहा कि टर्म एग्जाम का फॉर्मूला केवल एक बार के लिए था. अब जब स्कूल अपनी पूरी क्षमता से चल रहे हैं तो बोर्ड अपने पुराने पैटर्न के हिसाब से ही परीक्षाएं आयोजित करेगा. इससे छात्रों को काफी राहत मिली, लेकिन फिर भी बीते सालों ऑनलाइन पढ़ाई का असर साफ नजर आया. प्रतियोगी और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र सोशल मीडिया पर लगातार एग्जाम डेट पोस्टपोन करने की मांग करते नजर आ रहे हैं.
यूजीसी ने तैयार किया नया करीकुलम फ्रेमवर्क
UGC ने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए एक करीकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क घोषित किया है. न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत तैयार ये करीकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क छात्रों के लिए एक इनोवेटिव और लचीली उच्च शिक्षा प्रणाली प्रदान करेगा. यूजीसी ने इस पाठ्यक्रम को स्नातक कार्यक्रमों के लिए क्रेडिट ढांचे के साथ विकसित किया है. सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी द्वारा पाठ्यक्रम को अपनाने के लिए आवश्यक उपाय करने की सलाह दी गई है.
हॉलिस्टिक और मल्टी-डिसिप्लिनरी अंडरग्रेजुएट एजुकेशन पर जोर
फ्लेक्सिबल करीकुलर स्ट्रक्चर, मल्टीपल एंट्री-एग्जिट की अनुमति और री-एंट्री विकल्प मौजूद होगा
1 वर्ष (2 सेमेस्टर) पूरा करने के बाद यूजी प्रमाणपत्र
2 साल बाद यूजी डिप्लोमा (4 सेमेस्टर)
3 साल (6 सेमेस्टर) के बाद स्नातक की डिग्री
4 साल बाद स्नातक की डिग्री (ऑनर्स)
चौथा वर्ष मुख्य रूप से शोध-आधारित शिक्षा के लिए होगा.
अग्निवीर योजना- हिंसक विरोध
शिक्षा और रोजगार जगत में इस साल बड़ा बदलाव तब आया जब भारतीय सेना में भर्ती के लिए पहली बार कोई अग्निवीर जैसी स्कीम लांच की गई. इसमें शॉर्ट टर्म के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी. इस योजना के तहत हर साल करीब 40-45 हजार युवाओं को सेना में शामिल किया जाएगा. ये युवा साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के बीच के होंगे.
-ये भर्तियां मेरिट और मेडिकल टेस्ट के आधार पर की जाएंगी.
-इन चार वर्षों में सैनिकों को 6 महीने की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी.
-30-40 हजार मासिक वेतन के साथ अन्य लाभ भी दिए जाएंगे.
-पहले साल में 30 हजार, दूसरे साल में 33 हजार, तीसरे साल में 36500 और चौथे साल में 40 हजार मासिक वेतन दिया जाएगा.
-चार साल पूरे होने के बाद इन सभी अग्निवीरों की सेवा समाप्त हो जाएगी और फिर नई भर्तियां की जाएंगी.
-सेवा समाप्त होने वाले 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी काडर में भर्ती किया जाएगा.
इस योजना का हर तरफ विरोध हुआ. ये विरोध कई स्थानों पर हिंसक हो गया. इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाया कि इस स्कीम के तहत भर्ती पाने वाले युवा जब चार साल की सर्विस का कॉन्ट्रैक्ट पूरा कर लेंगे तो फिर उसके बाद उनके भविष्य का क्या होगा.अग्निपथ स्कीम पर बयान जारी करते हुए कांग्रेस के चीफ प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि केंद्र सरकार की इस स्कीम पर मिलिस्ट्री एक्सपर्ट से लेकर तीनों सेनाओं के टॉप अधिकारी तक सवाल उठा रहे हैं और कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि ऐसा करके मोदी सरकार भारतीय सेना की परंपरा, अस्मिता से खिलवाड़ कर रही है.
मानसी मिश्रा / रविराज वर्मा