Salvator Babenos: सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक पोस्ट में, एक पश्चिमी एकेडमिक ने हाल ही में इंडिया टुडे के एक सम्मेलन में कहा कि 'भारत का बुद्धिजीवी वर्ग भारत विरोधी है' और यह एक ऐसा वर्ग है जो 'मोदी विरोधी और भाजपा विरोधी' भी है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत को एक फासीवादी देश के रूप में गलत तरीके से चित्रित कर रहा है. यह कहना है सिडनी यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सैल्वाटोर बेबोनेस का. उन्होंने कहा कि भारत में समस्याएं हैं, लेकिन समस्या यह है कि कार्यकर्ता, पत्रकार और बुद्धिजीवी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पूरे सिस्टम को ही गलत तरीके से फ्रेम करते हैं.
कौन हैं सैल्वाटोर बेबोनेस?
ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर सैल्वाटोर बेबोनेस भारत-प्रशांत क्षेत्र की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर फोकस करते हुए पब्लिक पॉलिसी पर लिखते हैं. उनकी लिखी पुस्तकों में 'द न्यू ऑथोरिटेरियनिज्म: ट्रम्प, पॉपुलिज्म, एंड द टायरनी ऑफ एक्सपर्ट्स', 'ब्रिक्स या बस्ट?: एस्केपिंग द मिडिल-इनकम ट्रैप', 'अमेरिकन टियानक्सिया: चाइनीज मनी, अमेरिकन पावर एंड द एंड ऑफ हिस्ट्री' और 'सिक्सटीन फॉर 16' शामिल हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, वह उत्तर प्रदेश में स्थित एक भारतीय मीडिया कंपनी के साथ काम करने के लिए अमेरिकी न्याय विभाग और ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ विदेशी एजेंट के रूप में रजिस्टर्ड हैं. वह नोएडा स्थित डेमोक्रेसी न्यूज लाइव के साथ 6 महीने से कम की अवधि के लिए कंसल्टिंग असाइनमेंट के कारण फॉरेन एजेंट के रूप में रजिस्टर्ड हैं.
कई किताबों के हैं लेखक
सैल्वाटोर बेबोनेस 10 पुस्तकों और दो दर्जन से अधिक अकादमिक शोध लेखों के लेखक या संपादक हैं. वह पब्लिक पॉलिसी के मुद्दों पर बड़े पैमाने पर लिखते हैं और ऑस्ट्रेलियाई उच्च शिक्षा पर व्यापक रूप से टिप्पणियां देते हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा उनकी शॉर्ट बुक 'द न्यू ऑथोरिटेरियनिज्म: ट्रम्प, पॉपुलिज्म एंड द टायरनी ऑफ एक्सपर्ट्स' को 'बेस्ट ऑन पॉलिटिक्स 2018' नामित किया गया था.
aajtak.in